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कोतवाली गंगनहर क्षेत्र में ई-रिक्शा चालक की हत्या का खुलासा, बैटरी चोरी की नियत से हत्या, दो आरोपी पुलिस गिरफ्त में, हरिद्वार पुलिस की तकनीकी जांच और सतर्कता से सुलझा ब्लाइंड मर्डर केस

इन्तजार रजा हरिद्वार- कोतवाली गंगनहर क्षेत्र में ई-रिक्शा चालक की हत्या का खुलासा,
बैटरी चोरी की नियत से हत्या, दो आरोपी पुलिस गिरफ्त में,
हरिद्वार पुलिस की तकनीकी जांच और सतर्कता से सुलझा ब्लाइंड मर्डर केस

हरिद्वार। कोतवाली गंगनहर क्षेत्र में ई-रिक्शा चालक मुन्ना की हत्या की गुत्थी पुलिस ने कुछ ही दिनों में सुलझा ली है। मृतक के परिजनों की शिकायत और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने 500 से अधिक CCTV कैमरे खंगाले और कॉल डिटेल की गहन जांच के बाद दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि घटना बैटरी चोरी की नियत से की गई थी।

घटना का विवरण
ग्राम सुनहरा निवासी मिठवा ने 18 मई 2025 को पुलिस को सूचना दी कि उनका 31 वर्षीय पुत्र मुन्ना 16 मई से लापता है। उसी दिन शाम को मुन्ना का शव सालियर-मंगलौर हाईवे के पास एक निर्माणाधीन दीवार के पीछे से बरामद हुआ। पुलिस अधीक्षक ग्रामीण शेखर सुयाल और क्षेत्राधिकारी रुड़की नरेन्द्र पंत मौके पर पहुंचे और जांच के लिए विशेष टीमों का गठन किया गया।

जांच की दिशा
पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तीन टीमें बनाईं और करीब 500 CCTV कैमरों के फुटेज खंगाले। कॉल डिटेल्स और मोबाइल लोकेशन से भी सुराग इकट्ठा किए गए। मृतक के ई-रिक्शा से दो बैटरियां गायब थीं और उसका मोबाइल भी घटनास्थल पर नहीं मिला था, जिससे लूट की आशंका को बल मिला।

गिरफ्तारी और पूछताछ
23 मई को पुलिस को सूचना मिली कि दो संदिग्ध व्यक्ति ई-रिक्शा बैटरियां बेचने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उन्हें गुरुरामराय इंटर कॉलेज के पास से गिरफ्तार किया। आरोपियों के नाम आशीष कुमार उर्फ सरदार और विक्रांत उर्फ राहुल उर्फ रोल्ला हैं। पूछताछ में उन्होंने बताया कि आशीष ने जनलक्ष्मी फाइनेंस से लिए लोन की किश्त चुकाने के लिए योजना बनाई थी। ई-रिक्शा बुक कर मुन्ना को सुनसान स्थान ले जाकर पहले शराब पिलाई गई और फिर बैटरी चोरी का विरोध करने पर बेल्ट से गला घोंटकर हत्या कर दी गई।

पुलिस टीम और बरामदगी
पुलिस ने आशीष के पास से मृतक का मोबाइल फोन और दोनों बैटरियां बरामद की हैं। इस मामले को सुलझाने में प्रभारी निरीक्षक आर.के. सकलानी, एसआई अजय शाह, अंकुर शर्मा, प्रवीण बिष्ट, और सीआईयू की टीम समेत 20 से अधिक पुलिसकर्मियों ने मेहनत की।

यह केस हरिद्वार पुलिस के लिए एक तकनीकी चुनौती था, जिसे सतर्कता, टीमवर्क और सूझबूझ से सुलझाया गया। मृतक के परिजनों को न्याय मिला और समाज में भरोसा बहाल हुआ कि अपराध छिप नहीं सकते।

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