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पलायन पर प्रहार: पहाड़ों के पुनर्वास की नई सोच, सामाजिक सहभागिता से सशक्त होगा उत्तराखंड, ‘उत्तरजन टुडे’ कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने रखे विचार, सरकार के प्रयासों की सराहना

इन्तजार रजा हरिद्वार- पलायन पर प्रहार: पहाड़ों के पुनर्वास की नई सोच,
सामाजिक सहभागिता से सशक्त होगा उत्तराखंड,
‘उत्तरजन टुडे’ कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने रखे विचार, सरकार के प्रयासों की सराहना

उत्तराखंड की शाश्वत चुनौती – पलायन – पर गंभीर मंथन करते हुए “उत्तरजन टुडे सेंचुरियन क्लब” द्वारा “पहाड़ कैसे हों आबाद?” विषयक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के महानिदेशक तथा एमडीडीए के उपाध्यक्ष श्री बंशीधर तिवारी ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने राज्य सरकार की ओर से पलायन की समस्या से निपटने हेतु किए जा रहे प्रयासों को विस्तार से प्रस्तुत किया।

श्री तिवारी ने कहा कि वर्तमान सरकार पलायन को केवल आंकड़ों की दृष्टि से नहीं, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक स्तर पर भी समझ रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह अपनी जन्मभूमि से जुड़ा रहे और उसके उत्थान में योगदान दे। श्री तिवारी के अनुसार, भले ही सकारात्मक पलायन के जरिए लोग रोजगार या शिक्षा के लिए बाहर जाएं, लेकिन उन्हें अपने गांव, अपने पहाड़ से भावनात्मक रिश्ता कभी नहीं तोड़ना चाहिए।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार सीमांत गांवों को दोबारा आबाद करने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले तीन वर्षों में सरकार ने दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों को ध्यान में रखकर कई जनकल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं। जिनमें सड़कों, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और डिजिटल कनेक्टिविटी की दिशा में उल्लेखनीय कार्य हुआ है। इन योजनाओं का सीधा लाभ उन लोगों को मिल रहा है, जो दशकों से सुविधाओं के अभाव में अपने गांव छोड़ने को मजबूर थे।

रोजगार, महिला सशक्तीकरण और सामूहिक भागीदारी को प्राथमिकता

मुख्य अतिथि श्री तिवारी ने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल पलायन रोकना नहीं, बल्कि पर्वतीय क्षेत्रों को जीवंत बनाना है। इसके लिए रोजगार के अवसर बढ़ाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि सरकार स्वरोजगार, कौशल विकास और स्थानीय उत्पादों के संवर्धन की दिशा में लगातार काम कर रही है। इसके साथ ही महिला सशक्तीकरण को विशेष बल दिया जा रहा है ताकि महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें और अपने गांव में ही रहकर सशक्त समाज का निर्माण करें।

श्री तिवारी ने सामाजिक सहभागिता को विकास की धुरी बताया। उन्होंने कहा कि सरकार को अकेले प्रयास करने की अपेक्षा समाज को साथ लेकर चलने की नीति पर कार्य करना होगा। यदि स्थानीय नागरिक, प्रवासी जन और प्रशासन एकजुट हो जाएं, तो कोई भी गांव उजड़ने से नहीं बचेगा।

खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य की दिशा में सख्त कदम

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अपर आयुक्त तथा ड्रग कंट्रोलर श्री ताजबर सिंह जग्गी ने खाद्य सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दों पर ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में मिलावटखोरों के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। विशेषकर चारधाम यात्रा के दृष्टिगत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि श्रद्धालुओं को शुद्ध एवं स्वच्छ खाद्य सामग्री मिले।

उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को जागरूक करना सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए जनसंपर्क विभाग की मदद से लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। श्री जग्गी ने भरोसा दिलाया कि किसी भी हाल में स्वास्थ्य के साथ समझौता नहीं होने दिया जाएगा।

ऋषिकेश मॉडल: सामूहिक प्रयासों से समाधान

ऋषिकेश नगर निगम के आयुक्त श्री शैलेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि पलायन की समस्या का समाधान केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है। इसके लिए सामूहिक सामाजिक प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग पहाड़ों से शहरों की ओर चले आए हैं, उन्हें अपनी जड़ों से जुड़ने की जिम्मेदारी लेनी होगी।

श्री नेगी ने भूमि बंदोबस्त और क्रय-विक्रय में पारदर्शिता और जागरूकता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि कई बार अवैध खरीद-फरोख्त से स्थानीय समाज प्रभावित होता है। उन्होंने इंदौर मॉडल का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वच्छता में उत्तराखंड को भी नए प्रयोग करने होंगे।

सामरिक रणनीति, जल उपयोग और मीडिया की भूमिका

पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल श्री गंभीर सिंह नेगी ने भारत की वर्तमान सामरिक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हाल की आतंकी घटनाओं के बाद भारत ने जो सख्त कदम उठाए हैं, उनसे यह सिद्ध होता है कि देश अब आत्मनिर्भर है और हर चुनौती से निपटने में सक्षम है। उन्होंने सिंधु घाटी की नदियों के जल के बेहतर उपयोग के लिए एक नई रणनीति की आवश्यकता पर बल दिया।

राज्य सूचना आयुक्त श्री योगेश भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में सूचनाधिकार अधिनियम (RTI) एक मजबूत हथियार है। लेकिन इसके बेहतर और प्रभावशाली उपयोग के लिए लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने मीडिया के समक्ष खड़ी चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि एक सशक्त और प्रतिनिधित्व करने वाली पत्रिका आज की आवश्यकता है।

पत्रकारिता के सामाजिक सरोकार और उत्तरजन टुडे की भूमिका

कार्यक्रम में ‘उत्तरजन टुडे’ के संपादक श्री पी.सी. थपलियाल ने पत्रिका की नौ वर्षों की यात्रा को साझा करते हुए कहा कि ‘उत्तरजन टुडे’ सीमांत गांवों के पुनर्वास में सरकार की भागीदार बनने को संकल्पित है। उन्होंने कहा कि मीडिया को केवल आलोचक की भूमिका में नहीं रहना चाहिए, बल्कि उसे समाधान का हिस्सा बनना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं शिक्षाविद् एवं पूर्व कुलपति डॉ. सुधा रानी ने पत्रकारिता को जनता और सरकार के बीच सेतु बताया। उन्होंने कहा कि पहाड़ों को आबाद करने की दिशा में मीडिया को एक सक्रिय भूमिका निभानी होगी और समाज के हर वर्ग को इस दिशा में प्रेरित करना होगा।

 

“पहाड़ कैसे हों आबाद?” जैसे ज्वलंत विषय पर आयोजित यह संवाद कार्यक्रम केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि पहाड़ के भविष्य को लेकर उठाए गए ठोस प्रश्नों और समाधान के सुझावों की मजबूत पहल थी। इसमें भाग लेने वाले विशेषज्ञों, अधिकारियों और सामाजिक प्रतिनिधियों ने यह सिद्ध कर दिया कि यदि सरकारी योजनाओं को जनसहभागिता, जागरूकता और मीडिया समर्थन मिल जाए, तो उत्तराखंड का हर गांव फिर से जीवंत हो सकता है।

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