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तबादला रोकने पहुँचे उस्मान के बेटे को हाई कोर्ट से झटका, इंजीनियर रिजवान की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- अफसरशाही में नहीं चलेगा बाप का रसूख, जजों को ट्रोल करने पर भड़का हाईकोर्ट, SSP को जांच का आदेश

इन्तजार रजा हरिद्वार- तबादला रोकने पहुँचे उस्मान के बेटे को हाई कोर्ट से झटका,
इंजीनियर रिजवान की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- अफसरशाही में नहीं चलेगा बाप का रसूख,
जजों को ट्रोल करने पर भड़का हाईकोर्ट, SSP को जांच का आदेश

नैनीताल: जिस ठेकेदार उस्मान पर हाल ही में नैनीताल की बहुचर्चित घटना में गंभीर आरोप लगे, अब उसका बेटा रिजवान खान भी सुर्खियों में है। लोक निर्माण विभाग में अपर सहायक अभियंता के पद पर तैनात रिजवान ने खटीमा से टिहरी (घनसाली) तबादले के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली थी, लेकिन कोर्ट ने तबादले पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया।

कोर्ट ने दो टूक कहा कि सरकारी सेवा में स्थानांतरण एक सामान्य प्रक्रिया है, और यह किसी व्यक्ति की पारिवारिक या सामाजिक हैसियत के आधार पर नहीं रोका जा सकता। जस्टिस जी. नरेंद्र और आलोक मेहरा की खंडपीठ ने याचिका को सुनते हुए स्पष्ट कर दिया कि “तबादले में किसी राजनीतिक साजिश का कोई प्रमाण नहीं है”।

तबादले से पहले सोशल मीडिया पर लीक हुआ आदेश, कोर्ट में उठा सवाल

रिजवान के वकील कार्तिकेय हरि गुप्ता ने कोर्ट में दलील दी कि तबादले से पहले ही कुछ कट्टरपंथी नेताओं ने सोशल मीडिया पर स्थानांतरण आदेश वायरल कर दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि रिजवान को बिना नोटिस के और बिना वैध कारण के हटाया गया, जो प्रशासनिक ज्यादती है।

लेकिन महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने कोर्ट को बताया कि तबादला विभागीय प्रक्रिया के तहत और नियमों के अनुसार किया गया। अदालत ने राज्य पक्ष के तर्कों को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी।

न्यायाधीशों और वकीलों की ट्रोलिंग पर कोर्ट सख्त

सुनवाई के दौरान सबसे गंभीर मुद्दा तब सामने आया जब कोर्ट ने सोशल मीडिया पर न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं को ट्रोल किए जाने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि “यह न्यायिक मर्यादा पर सीधा प्रहार है और इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

SSP नैनीताल को इस पूरे प्रकरण की जांच कर 19 मई तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए गए हैं। कोर्ट ने इशारों में स्पष्ट कर दिया है कि इस तरह की ट्रोलिंग अब मामूली बात नहीं मानी जाएगी।

संदेश साफ: अदालतें अब दबाव में नहीं आएंगी

रिजवान खान को राहत न देकर हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अफसरशाही में अब रसूखदार बाप-बेटों की नहीं, कानून की चलेगी। इस फैसले से यह भी संकेत गया है कि सोशल मीडिया की आड़ में अदालतों को दबाव में लाने की कोशिशों पर अब नकेल कसी जाएगी।

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