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बहादराबाद के नामी स्कूल का रिजल्ट भले ही चमका, लेकिन सवाल अब भी बाक़ी हैं एंजिल्स एकेडमी की चुप्पी शर्मनाक, ड्राइवर जेल गया, पर प्रिंसिपल की भूमिका पर सन्नाटा क्यों?, एंजिल्स एकेडमी को जवाब देना होगा। क्योंकि जब तक सवाल बाकी हैं, तब तक रिजल्ट अधूरा है—और इंसाफ अधर में।

इन्तजार रजा हरिद्वार- बहादराबाद के नामी स्कूल का रिजल्ट भले ही चमका, लेकिन सवाल अब भी बाक़ी हैं
एंजिल्स एकेडमी की चुप्पी शर्मनाक,
ड्राइवर जेल गया, पर प्रिंसिपल की भूमिका पर सन्नाटा क्यों?, एंजिल्स एकेडमी को जवाब देना होगा। क्योंकि जब तक सवाल बाकी हैं, तब तक रिजल्ट अधूरा है—और इंसाफ अधर में।

हरिद्वार के बहादराबाद क्षेत्र का प्रतिष्ठित माना जाने वाला स्कूल एंजिल्स एकेडमी सीनियर सेकेंडरी एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह इसके उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम हैं। स्कूल के बाहर होर्डिंग्स लगे हैं, सोशल मीडिया पर प्रचार चल रहा है और बच्चों की उपलब्धियों पर बधाइयों की बौछार हो रही है। लेकिन इसी चमकते हुए रिजल्ट के पीछे एक स्याह परछाईं है—एक मासूम बच्ची के साथ हुई शर्मनाक घटना, जिसे शायद भुला दिया गया है, दबा दिया गया है।

कुछ दिन पूर्व इसी स्कूल में पढ़ने वाली एक मासूम छात्रा के साथ स्कूल के ही ड्राइवर ने अश्लील हरकत की थी। मामला सामने आने पर आरोपी को बहादराबाद पुलिस द्वारा तत्परता दिखाते हुए क़ानूनी प्रक्रिया के तहत जेल भेजा गया। यह कार्रवाई जरूरी और स्वागत योग्य थी, लेकिन मामला केवल यहीं खत्म नहीं होता। पीड़ित बच्ची के माता-पिता ने स्कूल की प्रिंसिपल पर भी गंभीर आरोप लगाए थे। उनके अनुसार, घटना के बारे में जब उन्होंने प्रिंसिपल से बातचीत करनी चाही, तो उन्हें स्कूल से जबरन बाहर निकाल दिया गया। आरोप यह भी लगे कि स्कूल प्रशासन ने घटना को छुपाने और दबाने का प्रयास किया।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि आज तक स्कूल की ओर से इस पर कोई स्पष्ट या जिम्मेदाराना प्रतिक्रिया या ब्यान सामने नहीं आया। न कोई आंतरिक जांच की जानकारी सामने आई, न ही यह स्पष्ट हुआ कि प्रिंसिपल पर लगाए गए आरोपों की सत्यता की जांच हो रही है या नहीं। ऐसे मामलों में स्कूल का यह रवैया केवल संवेदनहीन नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था की गरिमा को चोट पहुंचाने वाला है।

जब कोई स्कूल केवल रिजल्ट को उपलब्धि मानकर खुद को सफल घोषित करता है, तो यह दृष्टिकोण अधूरा है। असली सफलता तब मानी जाएगी जब स्कूल अपने हर बच्चे की सुरक्षा और गरिमा की रक्षा करे। सिर्फ टॉपर्स की तस्वीरें छाप देने से कोई स्कूल जिम्मेदार नहीं बन जाता।

यह सवाल अब भी हवा में है: क्या उस मासूम बच्ची को न्याय मिला? क्या स्कूल प्रशासन ने आत्ममंथन किया? और क्या प्रिंसिपल पर लगे आरोपों का क्या हुआ

कार्यवाहक विभागों,समाज, और शिक्षा विभाग को चाहिए कि ऐसे मामलों को केवल एक घटना न समझें, बल्कि इसे शिक्षा संस्थानों में जवाबदेही की कसौटी मानें। बच्चों की सुरक्षा सिर्फ अभिभावकों की नहीं, बल्कि स्कूल की भी प्राथमिक जिम्मेदारी है।

एंजिल्स एकेडमी को जवाब देना होगा। क्योंकि जब तक सवाल बाकी हैं, तब तक रिजल्ट अधूरा है—और इंसाफ अधर में।

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