देश में बच्चों की सुरक्षा को लेकर क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत: 1 जुलाई से लागू होगा नया कानून, बचपन अब और भी सुरक्षित: अपराधियों को मिलेगी सख्त सजा, उत्तराखंड पुलिस की अपील – बच्चों के प्रति अपराधों के खिलाफ एकजुट हों

इन्तजार रजा हरिद्वार- देश में बच्चों की सुरक्षा को लेकर क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत: 1 जुलाई से लागू होगा नया कानून,
बचपन अब और भी सुरक्षित: अपराधियों को मिलेगी सख्त सजा,
उत्तराखंड पुलिस की अपील – बच्चों के प्रति अपराधों के खिलाफ एकजुट हों
हरिद्वार/नई दिल्ली।
देश में बच्चों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। 1 जुलाई 2024 से लागू होने जा रही भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के अंतर्गत अब बच्चों से जुड़े अपराधों पर बेहद कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। यह कानून न केवल बाल अपराधों को गंभीरता से लेता है, बल्कि बच्चों को किसी भी प्रकार के अपराध में शामिल करने वाले व्यक्तियों को अब सीधे दंड की श्रेणी में लाता है।
नए कानून के मुख्य प्रावधान:
🔴 बच्चों से अपराध करवाना या अपराध में शामिल करना:
अब यदि कोई व्यक्ति किसी नाबालिग बच्चे को किसी भी प्रकार के अपराध में शामिल करता है – चाहे वह चोरी, तस्करी, नशे का व्यापार या अन्य कोई गैर-कानूनी गतिविधि हो – तो उसे सख्त सजा दी जाएगी। यह अपराध अब दंडनीय की श्रेणी में आएगा और न्यायालय इसे गंभीर दृष्टि से देखेगा।
🔴 नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त:
बच्चों की तस्करी, मानव व्यापार या किसी भी प्रकार की खरीद-बिक्री अब जघन्य अपराध माना जाएगा। इसमें शामिल दोषियों को कठोर कारावास के साथ-साथ संपत्ति जब्ती जैसी सजा भी मिल सकती है।
🔴 नाबालिगों से सामूहिक बलात्कार:
अगर किसी नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार होता है तो दोषियों को अब आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक दिया जा सकता है। यह भारत में बच्चों की गरिमा और जीवन की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का ऐतिहासिक निर्णय है।
न्याय संहिताओं में बड़ा बदलाव – क्या है BNS, BNSS और BSA?
- भारतीय न्याय संहिता (BNS – Bharatiya Nyaya Sanhita):
यह कानून अब भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लेगा। इसका उद्देश्य अपराधों को लेकर स्पष्ट, कठोर और संवेदनशील प्रावधान करना है। - भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS – Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita):
यह कानून आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह लेगा और जांच, गिरफ्तारी, न्यायिक कार्यवाही को अधिक प्रभावी बनाएगा। - भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA – Bharatiya Sakshya Adhiniyam):
अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) को इस अधिनियम से प्रतिस्थापित किया जाएगा, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
उत्तराखंड पुलिस की अपील: समाज साथ आए, आवाज़ उठाए
उत्तराखंड पुलिस ने इस कानून का स्वागत करते हुए आमजन से अपील की है कि:
- बच्चों के प्रति हो रहे किसी भी प्रकार के अपराध पर चुप न रहें।
- पुलिस को सूचना दें, सहयोग करें और दोषियों को सजा दिलाने में मदद करें।
- अपने बच्चों को शिक्षित करें, सतर्क करें और उनके मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
📲 QR कोड स्कैन कर जानकारी प्राप्त करें:
सरकार और पुलिस विभाग ने इस विषय में विस्तृत जानकारी, जागरूकता वीडियो और शिकायत पोर्टल को QR कोड के माध्यम से जनसामान्य तक पहुंचाया है। कोई भी व्यक्ति इस QR कोड को स्कैन कर अपनी जानकारी बढ़ा सकता है।
विशेषज्ञों की राय: यह कानून समय की मांग
मानवाधिकार कार्यकर्ता और बाल सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून बच्चों के भविष्य की रक्षा के लिए एक अत्यंत आवश्यक और सार्थक कदम है। “अक्सर अपराधी बच्चों की मासूमियत का फायदा उठाकर उन्हें गलत रास्ते पर धकेलते थे। अब ऐसे लोगों को कानून के तहत कड़ी सजा मिलेगी,” एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा।
आंकड़े जो डराते हैं:
वर्ष | बच्चों से जुड़े अपराधों की संख्या (राष्ट्रीय स्तर) |
---|---|
2021 | 1,49,404 मामले |
2022 | 1,62,064 मामले |
2023 | 1,79,912 मामले |
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि बच्चों से जुड़े अपराध लगातार बढ़ रहे थे। नया कानून इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने में मददगार होगा।
जनहित में अपील:
यह कानून केवल सजा देने के लिए नहीं, बल्कि समाज को संवेदनशील बनाने और बच्चों को ‘सुरक्षित भविष्य’ देने के लिए बनाया गया है। इसलिए जरूरत है कि:
- अभिभावक जागरूक बनें, बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान दें।
- स्कूल और शिक्षक समय-समय पर बच्चों को सुरक्षा शिक्षा दें।
- सामाजिक संगठनों, मीडिया और प्रशासन को मिलकर बच्चों के हित में कार्य करना होगा।
संवाददाता – Intzar Raza, ‘Daily Live Uttarakhand’