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फिर खौफनाक अग्निकांड, क्या कर रहा है प्रशासन , क्या और क्यों है प्रशासन बेखबर रिहायशी इलाकों में ज्वलनशील कबाड़ गोदाम बने खतरा: हरिद्वार के सलेमपुर रिहायशी इलाके में बने प्लास्टिक पन्नी के कबाड़खाने में लगी भीषण आग से फिर मची तबाही, दमकल कर्मियों ने फिर दिखाया दम,एफएसओ भी आग बुझाने को दमकल कर्मीयों संग डटे,

आम जनता की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए – न कि व्यापारिक मुनाफा। आप कहां हो सरकार जी,कहां हो आप प्रशासन जी आम आदमी की दबी आवाज, रिहायशी इलाकों में कबाड़खानो और लघु उद्योगो बीच जिंदगी ढुढते आम लोगों की फजीहत

इन्तजार रजा हरिद्वार- फिर खौफनाक अग्निकांड, क्या कर रहा है प्रशासन , क्या और क्यों है प्रशासन बेखबर रिहायशी इलाकों में ज्वलनशील कबाड़ गोदाम बने खतरा: हरिद्वार के सलेमपुर रिहायशी इलाके में बने प्लास्टिक पन्नी के कबाड़खाने में लगी भीषण आग से फिर मची तबाही, दमकल कर्मियों ने फिर दिखाया दम,एफएसओ भी आग बुझाने को दमकल कर्मीयों संग डटे,

आम जनता की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए – न कि व्यापारिक मुनाफा। आप कहां हो सरकार जी,कहां हो आप प्रशासन जी आम आदमी की दबी आवाज, रिहायशी इलाकों में कबाड़खानो और लघु उद्योगो बीच जिंदगी ढुढते आम लोगों की फजीहत

हरिद्वार धर्मनगरी सलेमपुर में एक रिहायशी क्षेत्र के बीचों-बीच स्थित कबाड़ गोदाम में शनिवार को लगी भीषण आग ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया। घटना ने न सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए, बल्कि यह भी उजागर किया कि किस तरह बिना किसी सुरक्षा मानकों के, आबादी के बीच खतरनाक गतिविधियाँ कबाड़खानो और अवैध लघु उद्योगो के रुप मे संचालित हो रही हैं।

क्या है सलेमपुर में आगकांड से जुड़ी घटना…. बहादराबाद के सलेमपुर क्षेत्र, जो कि घनी आबादी वाला इलाका है, वहाँ एक प्लास्टिक पन्नी और अन्य ज्वलनशील सामग्रियों से भरे कबाड़ गोदाम में अचानक आग लग गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग इतनी तेजी से फैली कि कुछ ही मिनटों में उसने गोदाम को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लिया और लपटें आसपास की इमारतों तक पहुँचने लगीं। काले धुएँ का विशाल गुब्बार पूरे इलाके में फैल गया, जिससे लोगों को सांस लेने में भारी तकलीफ होने लगी। हालात यह हो गए कि लोगों को अपने घरों से सामान बाहर फेंककर जान बचानी पड़ी। हालांकि कई घरों से सामान सड़कों पर फेंककर आग से बचाते हुए कई परिवारों को एहतियातन सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया।

दमकल विभाग की तत्परता, मौके पर पहुंचे एफ.एस.ओ हरिद्वार बीरबल………..आग की सूचना मिलते ही दमकल विभाग की कई गाड़ियाँ मौके पर पहुँचीं और आग बुझाने का कार्य शुरू किया गया। हालांकि, आग पर काबू पाना आसान नहीं था क्योंकि गोदाम में प्लास्टिक, थर्मोकोल, और अन्य अत्यधिक ज्वलनशील वस्तुएँ भरी हुई थीं। दमकलकर्मियों ने बताया कि आग पूरी तरह से बुझाने में लंबा वक्त लगा है।

अग्निकांड से सहमे स्थानीय लोगों की आपबीती……. घटना से प्रभावित स्थानीय निवासियों ने बताया कि कैसे उन्होंने अपना सामान घरों से बाहर सड़कों पर फेंका और जान बचाने के लिए घरों से बाहर भागना पड़ा। डरी सहमी एक स्थानीय निवासी महिला रिहाना ने बताया, “हमने जैसे ही धुआँ देखा, समझ गए कि कुछ बड़ा हुआ है। घर में आग की लपटें घुस आई थीं, बच्चों को उठाकर भागे और जो सामान हाथ में आया, बस वही बाहर ला फेंका।”

दूसरी ओर, इसी रिहायशी इलाके की रहने वाली एक महिला ने बताया, “हमारे घर की बालकनी जल गई। अगर हम दो मिनट और लेट होते तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था।”

कार्यवाहक प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल……? यह पहली बार नहीं है जब हरिद्वार में रिहायशी इलाकों सलेमपुर, दादुपुर, सुमन नगर के बीच बने कबाड़ गोदामों में आग लगी हो। इससे पहले भी इसी तरह की घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। बावजूद इसके, प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जांच रिपोर्ट की बात कर जांच रिपोर्ट आखिर क्यों सार्वजनिक नहीं कि जाती कार्रवाई को भी स्थानीय लोगों ने नकारात्मक बताया है

स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया है कि रिहायशी क्षेत्रों में ऐसे खतरनाक गोदामों को संचालित करने की अनुमति कैसे दी जाती है? क्या फायर डिपार्टमेंट की NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) इनके पास है? अगर नहीं, तो प्रशासन ने अब तक इन्हें क्यों नहीं सील किया? और जिन्हें सील किया गया उन्हें दोबारा किस शर्त और नियम के तहत खोला गया है या फिर प्रशासनिक सील का रुतबा भी खत्म और गैर प्रभावी हो गया है

स्थानीयो को उच्च स्तरीय जांच के आदेशो की रहती है उम्मीद…..हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह से घटना की गंभीरता को देखते हुए उच्च स्तरीय जांच के आदेश की उम्मीद भी जा रही हैं। सुत्रो की मानें तो प्रशासन की ओर से एक उच्च स्तरीय जांच टीम गठित की जाने की उम्मीद लगाई जा रही है जो यह पता लगाएगी कि आग लगने के पीछे की असली वजह क्या रहती थी और क्या सलेमपुर दादुपुर सुमन नगर क्षैत्र के रिहायशी इलाकों में लगातार बढ़ रहे कबाड़खाना गोदामों के मालिको के पास आवश्यक अनुमति है। क्या रिहायशी इलाकों में इन कबाड़खानो/लघु उद्योगो का रहना कहा तक उचित है

रिहायशी इलाकों में कबाड़ गोदामों/अवैध लघु उद्योगो पर रोक क्यों जरूरी?………यह घटना यह स्पष्ट करती है कि रिहायशी इलाकों में ज्वलनशील सामग्री से भरे गोदाम किसी भी समय जानलेवा साबित हो सकते हैं। न सिर्फ यह कानून का उल्लंघन है, बल्कि आम जनता की सुरक्षा के साथ खुला खिलवाड़ भी है। रिहायशी इलाकों में लगातार चल रहे इन कबाड़खाना गोदामों/ अवैध लघु उद्योगो में न तो आग से सुरक्षा के कोई उपाय होते हैं, न ही इनके मालिकों को आपातकालीन स्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण होता है। जब तक प्रशासन सख्त कदम नहीं उठाएगा, तब तक ऐसी घटनाएँ बार-बार होती रहेंगी।

सहमे स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया……. स्थानीय लोगों को लम्बे समय से अब तक प्रशासन से सख्त कार्रवाई की माँग की है। डीएम हरिद्वार से लेकर पीएम भारत सरकार तक कार्यवाही को लेकर पत्र भेजकर मांग की गई है स्थानीय निवासी मुकेश त्यागी ने कहा, “हम लगातार प्रशासन को चेताते आए हैं, लेकिन जब तक बड़ा हादसा न हो, कोई सुनवाई नहीं होती। अब समय आ गया है कि ऐसे सभी गोदामों को सील किया जाए और इनके जिम्मेदारों पर कानूनी कार्रवाई हो।” “यह केवल एक आगजनी की घटना नहीं है, यह सिस्टम की विफलता का उदाहरण है। जब तक आम जनता खुद सड़कों पर उतरकर आवाज नहीं उठाएगी, तब तक कोई फर्क नहीं पड़ेगा।” अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस घटना से सबक ले और तत्काल प्रभाव से ऐसे सभी गोदामों की जाँच करवाए जो रिहायशी इलाकों में स्थित हैं। अगर किसी के पास उचित कागजात नहीं हैं या सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हो रहा है, तो उसे तुरंत बंद किया जाए।

इसके साथ ही, फायर डिपार्टमेंट की भूमिका की भी समीक्षा जरूरी है – क्या उन्होंने NOC जारी की थी? यदि नहीं, तो फिर गोदाम वर्षों से कैसे चल रहा था?

हरिद्वार की यह घटना एक चेतावनी है – न केवल हरिद्वार के सलेमपुर दादुपुर सुमन नगर क्षैत्र के लिए, बल्कि उन सभी इलाकों के लिए जहाँ रिहायशी इलाकों के बीच लघु उद्योग या कबाड़खाना गोदाम संचालित किए जा रहे हैं। यह समय है कि प्रशासन, जनप्रतिनिधि, और नागरिक समाज एकजुट होकर इन खतरों के खिलाफ खड़े हों।

आम जनता की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए – न कि व्यापारिक मुनाफा। आप कहां हो सरकार जी,कहां हो आप प्रशासन जी आम आदमी की दबी आवाज, रिहायशी इलाकों में कबाड़खानो और लघु उद्योगो बीच जिंदगी ढुढते आम लोगों की फजीहत

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