प्यासे जंगल में छलका जीवन का अमृत, जानवरों और पक्षियों की प्यास बुझाने निकले इंसानियत के सच्चे सेवक, घिस्सुपुरा के ग्रामीणों की अनोखी पहल बनी प्रेरणा की मिसाल

इन्तजार रजा हरिद्वार- प्यासे जंगल में छलका जीवन का अमृत,
जानवरों और पक्षियों की प्यास बुझाने निकले इंसानियत के सच्चे सेवक,
घिस्सुपुरा के ग्रामीणों की अनोखी पहल बनी प्रेरणा की मिसाल
हरिद्वार, 12 मई 2025 — गर्मी की तपन बढ़ते ही हरियाली से घिरे पथरी जंगल के तालाब सूखने लगे। पानी की बूंद-बूंद को तरसते जंगली जानवरों और पक्षियों के सामने प्यास का संकट खड़ा हो गया। जहां एक ओर यह संकट जीवन के लिए खतरा बन रहा था, वहीं दूसरी ओर कुछ जागरूक ग्रामीणों ने इसे अवसर बनाया — सेवा का, संवेदना का और इंसानियत का।
घिस्सुपुरा गांव के आशु चौहान को जब जानकारी मिली कि पथरी जंगल के तालाबों में पानी नहीं है, तो उन्होंने यह बात समाज में साझा की। आशु चौहान ने एक नेक संदेश भेजा — “जहां भी लगे कि पानी की कमी से जानवर और पक्षी प्यासे हैं, वहां हर व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार मदद करनी चाहिए। जल की सेवा, सबसे बड़ी सेवा है।”
इस संदेश ने दिलों को झकझोर दिया। उसी दिन सलीम भाई नामक ग्रामीण ने आशु चौहान से संपर्क किया और कहा, “मैं भी जंगली जानवरों और पक्षियों के लिए सेवा करना चाहता हूं।” बिना समय गंवाए, सलीम भाई ने अपने संसाधनों से जंगल के एक तालाब में पानी भरवाया। उनका यह कार्य न केवल जीवनदायी सिद्ध हुआ, बल्कि पूरे क्षेत्र में एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया।
वन विभाग के अधिकारियों का भी इस पहल में पूर्ण सहयोग मिला। उन्होंने न केवल तकनीकी मदद दी, बल्कि अन्य तालाबों में भी जल आपूर्ति सुनिश्चित करने का भरोसा दिलाया। यह एक उदाहरण है कि जब समाज और प्रशासन मिलकर काम करें, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
इस नेक कार्य की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किसी प्रचार या दिखावे के लिए नहीं, बल्कि सच्चे मन से जानवरों और पक्षियों की पीड़ा को समझते हुए किया गया। ऐसे कार्य न केवल मानवता को जीवित रखते हैं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी मिसाल बनते हैं।
आज जरूरत है कि हम सब भी इस प्रेरणा से सीख लें और अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसे प्रयास करें। हर छोटा कदम, किसी के जीवन का आधार बन सकता है। चलिए, मिलकर जल की सेवा को जन-आंदोलन बनाएं — क्योंकि प्यास बुझाना सिर्फ सेवा नहीं, सच्ची पूजा आस्था और श्रद्धा है।