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आशा बहनों की आवाज़ डीएम तक पहुँची,, फिक्स सैलरी, सुरक्षा और सम्मान की मांग लेकर जिलाधिकारी से मिलीं आशा कार्यकत्रियां,, राजेश्वरी चौहान बोलीं– “सेवा करने वाली आशाओं को अब हक़ और सम्मान चाहिए

हरिद्वार में आज आशा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन की राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश्वरी चौहान के नेतृत्व में सैकड़ों आशा बहनों ने जिलाधिकारी मयूर दीक्षित से मुलाकात की और अपनी प्रमुख मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। डीएम कार्यालय में आयोजित इस जनसुनवाई कार्यक्रम में आशा बहनों ने फिक्स सैलरी, अस्पतालों में व्यवहार, और सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की।

इन्तजार रजा हरिद्वार- आशा बहनों की आवाज़ डीएम तक पहुँची,,
फिक्स सैलरी, सुरक्षा और सम्मान की मांग लेकर जिलाधिकारी से मिलीं आशा कार्यकत्रियां,,
राजेश्वरी चौहान बोलीं– “सेवा करने वाली आशाओं को अब हक़ और सम्मान चाहिए

हरिद्वार। (06 अक्टूबर 2025) — हरिद्वार में आज आशा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकत्री यूनियन की राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश्वरी चौहान के नेतृत्व में सैकड़ों आशा बहनों ने जिलाधिकारी मयूर दीक्षित से मुलाकात की और अपनी प्रमुख मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। डीएम कार्यालय में आयोजित इस जनसुनवाई कार्यक्रम में आशा बहनों ने फिक्स सैलरी, अस्पतालों में व्यवहार, और सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की।

राजेश्वरी चौहान ने डीएम से कहा कि, “आशा कार्यकत्रियां दिन-रात मरीजों की सेवा में लगी रहती हैं, चाहे बारिश हो या आधी रात, लेकिन उन्हें अभी तक ना तो उचित वेतन मिला है और ना ही सम्मानजनक व्यवहार।” उन्होंने बताया कि कई बार आशाओं को गर्भवती महिलाओं या बीमार मरीजों को रात में अस्पताल लाना पड़ता है, परंतु अस्पतालों में न तो उन्हें ठहरने की जगह मिलती है और न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था।

ज्ञापन में यूनियन ने मांग रखी कि आशाओं को ₹25,000 की फिक्स सैलरी दी जाए, ताकि वे आर्थिक रूप से सुरक्षित रहें। साथ ही, अस्पतालों में आशाओं का सम्मान सुनिश्चित किया जाए और रात में ड्यूटी करने वाली आशाओं के लिए “आशा घर” या आश्रय स्थल की व्यवस्था की जाए।राजेश्वरी चौहान ने यह भी कहा कि जिला अस्पताल में कई बार डिलीवरी मरीजों को बिना उचित कारण रेफर कर दिया जाता है, जिससे आशाओं को मजबूरी में मरीज को प्राइवेट अस्पताल ले जाना पड़ता है। “हम सरकार की सेवाओं को जनता तक पहुँचाने वाली कड़ी हैं, लेकिन कई जगह हमें ही दोषी ठहरा दिया जाता है,” उन्होंने कहा।

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि आशाओं को समय से प्रोत्साहन राशि (इंसेंटिव) नहीं मिलती, जबकि वे सालभर कई सर्वे, गर्भवती महिलाओं की देखरेख और टीकाकरण जैसे कार्य करती हैं। इसके अलावा, जन्म प्रमाण पत्र 15 दिनों के भीतर जारी किए जाने और आशाओं को त्योहारों पर प्रोत्साहन भत्ता देने की भी मांग रखी गई।

डीएम मयूर दीक्षित ने आशा यूनियन की सभी बातों को ध्यानपूर्वक सुना और भरोसा दिलाया कि “आपकी सभी मांगों को शासन स्तर तक भेजा जाएगा और विभागीय समीक्षा कर कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन का उद्देश्य है कि “हर फ्रंटलाइन वर्कर को उसका पूरा अधिकार और सम्मान मिले, क्योंकि आप ही वह कड़ी हैं जो सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुँचाती हैं।”

राजेश्वरी चौहान ने कहा कि यह आंदोलन किसी टकराव के लिए नहीं बल्कि “सम्मान और न्याय की मांग” के लिए है। उन्होंने आशा बहनों से संयम और एकता बनाए रखने का आह्वान करते हुए कहा कि “जब तक हर आशा बहन को उसका हक़ नहीं मिलेगा, यूनियन अपनी आवाज़ उठाती रहेगी।”अंत में आशा यूनियन की ओर से यह भी कहा गया कि जल्द ही पूरे राज्य में जनजागरण अभियान चलाया जाएगा, ताकि

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