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IPS तृप्ति भट्ट की अगुवाई में GRP की कार्यशैली बनी मिसाल,,   22 लाख के 135 मोबाइल लौटाकर जीते दिल, पाँच माह में 250 मोबाइलों की वापसी ने जगाई जनता में विश्वास की लौ

इन्तजार रजा हरिद्वार-  IPS तृप्ति भट्ट की अगुवाई में GRP की कार्यशैली बनी मिसाल,,   22 लाख के 135 मोबाइल लौटाकर जीते दिल, पाँच माह में 250 मोबाइलों की वापसी ने जगाई जनता में विश्वास की लौ

देहरादून/हरिद्वार।
रेलवे पुलिस (GRP) की भूमिका केवल अपराध रोकना भर नहीं, अब वह आम जनता की सहायता और उम्मीद का प्रतीक बन चुकी है। उत्तराखंड GRP की कप्तान IPS तृप्ति भट्ट की नेतृत्व क्षमता, संवेदनशील सोच और तकनीकी दक्षता ने जीआरपी की छवि को नया आयाम दिया है। बरसाती मौसम में जब आम लोग खोए मोबाइल को लेकर निराश हो जाते हैं, तब GRP ने उनका मोबाइल लौटाकर चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी।

हाल ही में GRP मुख्यालय हरिद्वार में एक विशेष समारोह में एसपी GRP तृप्ति भट्ट ने स्वयं अपने हाथों से 135 मोबाइल फोन उनके वास्तविक स्वामियों को सौंपे। इन मोबाइलों की कुल कीमत 22 लाख रुपये से अधिक आँकी गई है। इस अवसर पर लोगों की आँखों में नमी और चेहरे पर मुस्कान थी। यही नहीं, केवल 5 माह की अवधि में GRP उत्तराखंड कुल 250 मोबाइल फोन, जिसकी कीमत लगभग 40 लाख रुपये, पीड़ितों को लौटा चुकी है।

कप्तान की सोच, टीम की मेहनत और तकनीक का त्रिकोण बना मिसाल

IPS तृप्ति भट्ट अपने तेज-तर्रार निर्णयों, प्रोएक्टिव अप्रोच और इंटेलिजेंट प्लानिंग के लिए जानी जाती हैं। जब उन्हें GRP का चार्ज सौंपा गया, उन्होंने सबसे पहले एक रणनीति के तहत GRP के सभी थानों और SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) को एकजुट किया।

उन्होंने “एक इकाई, एक दिशा” का सिद्धांत अपनाया। मोबाइल गुमशुदगी के मामलों को प्राथमिकता दी गई और प्रत्येक स्टेशन को तकनीकी रूप से दक्ष बनाकर सक्रिय सर्विलांस टीमों का गठन किया गया।

मोबाइल रिकवरी के लिए अपनाए गए साधन:

  • C.E.I.R. पोर्टल (Central Equipment Identity Register)
  • IMEI आधारित ट्रैकिंग
  • मैन्युअल प्रयासों के साथ इंटरस्टेट समन्वय

उत्तराखंड, दिल्ली, यूपी, पंजाब, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा सहित कुल 10 राज्यों से मोबाइल फोन बरामद कर उत्तराखंड लाना अपने आप में पुलिस टीम की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

खुशी की बारिश में मुस्कराए पीड़ित

जब मोबाइल खो जाता है, तो सिर्फ एक डिवाइस नहीं, बल्कि फोटो, कॉन्टैक्ट्स, बैंकिंग डेटा, सोशल मीडिया और निजी जिंदगी का बड़ा हिस्सा छिन जाता है। लेकिन जब वही मोबाइल लौटता है, तो वह एक बेशकीमती खुशी बन जाता है।

मोबाइल वापसी कार्यक्रम में शामिल कई लोगों ने GRP के प्रयासों की खुलकर प्रशंसा की।
धनंजय तिवारी, जिनका मोबाइल एक माह पहले ट्रेन यात्रा के दौरान गुम हुआ था, भावुक होकर बोले—

“मैंने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी… लेकिन GRP पुलिस ने मेरा विश्वास लौटा दिया। तृप्ति भट्ट मैडम और उनकी टीम को दिल से धन्यवाद देता हूँ।”


SP तृप्ति भट्ट : नेतृत्व की नई परिभाषा

कार्यक्रम में SP GRP तृप्ति भट्ट ने कहा:

“आजकल के माहौल में मोबाइल एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक गैजेट है, इसके अचानक खो जाने से दिक्कत होना स्वाभाविक है। मुझे खुशी है कि हम लोगों के चेहरे पर आई मुस्कान की वजह बने हैं।”

SP तृप्ति भट्ट न केवल प्रशासनिक दक्षता में माहिर हैं, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी हर पहलू को देखती हैं। उन्होंने हर मोबाइल रिकवरी को केवल केस क्लोज़ करने का मामला नहीं, बल्कि जन सेवा का दायित्व माना।

टीम वर्क: जमीनी स्तर पर बेहतरीन समन्वय

इस उपलब्धि में GRP की पूरी टीम ने दिन-रात मेहनत की है। कुछ प्रमुख अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की सूची:

  • अशोक कुमार, I/C SOG व SHO जीआरपी देहरादून
  • अनुज सिंह, SO जीआरपी हरिद्वार
  • नरेश कोहली, SO जीआरपी काठगोदाम
  • संजय शर्मा, SO जीआरपी लक्सर

SOG टीम के सदस्य:

  • HC अरविन्द रावत
  • HC अमित शर्मा
  • HC करुणेश कुमार
  • मनोज सिंह
  • दीपक चौधरी
  • विनीत चौहान
  • कांस्टेबल जाहुल मिर्जा, GRP हरिद्वार

इन सभी पुलिसकर्मियों की निष्ठा, तकनीकी दक्षता और क्षेत्रीय समन्वय की भावना ने इस ऑपरेशन को सफल बनाया।

जनता की GRP पर बढ़ती आस्था

इस पूरी पहल का सबसे बड़ा लाभ यह रहा कि रेलवे पुलिस को लेकर जनता की धारणा में बड़ा बदलाव आया है। GRP को अब सिर्फ स्टेशन की सुरक्षा तक सीमित नहीं देखा जा रहा, बल्कि वह एक ऐसा विभाग बन चुका है जो संवेदनशील है, त्वरित प्रतिक्रिया देता है, और तकनीकी रूप से सक्षम है।

ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों में यह विश्वास जगा है कि यदि कुछ खो गया, तो GRP पुलिस केवल रपट दर्ज नहीं करेगी, बल्कि उसे लौटाने तक की ज़िम्मेदारी निभाएगी

GRP का भविष्य: तकनीक और जनसंपर्क का नया मॉडल

उत्तराखंड GRP का यह मॉडल अब अन्य राज्यों के लिए एक “बेस्ट प्रैक्टिस केस” बन सकता है। यदि देशभर की GRP इसी तरह C.E.I.R. पोर्टल, मोबाइल ट्रैकिंग और जनसंपर्क को साथ लेकर चलें, तो देशभर में लाखों लोगों को राहत मिल सकती है।

साथ ही इस प्रयास से यह भी संदेश गया कि पुलिस व्यवस्था जनसरोकारों के साथ कैसे जुड़ सकती है

 उम्मीद की पुलिस

IPS तृप्ति भट्ट और उनकी GRP टीम ने साबित किया है कि पुलिसिंग का अर्थ केवल अपराधियों की धरपकड़ नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना भी है। मोबाइल वापसी जैसी “छोटी लगने वाली कोशिशें” असल में आम आदमी की ज़िंदगी में बहुत बड़ा फर्क पैदा करती हैं।

हर मुस्कराते चेहरे में आज GRP की मेहनत दिख रही थी — और यही सच्ची सफलता है।


📍 रिपोर्टर: इन्तज़ार रज़ा
📌 Daily Live Uttarakhand

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