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मिक्चर प्लांट बना ग्रामीणों की मुसीबत/फजीहत का सबब, फसलें तबाह, सड़क बनी रेगिस्तान और गहरे गड्ढे व कीचड़ का दलदल,, जिला मुख्यालय से 5 कि.मी पर महादेव रोड हेत्तमपुर में मिक्चर प्लांट के ट्रकों ने गांवों और फसलों की जीवनरेखा को बर्बादी में बदल डाला,, ना सुनवाई, ना समाधान आप कहां हो जीरो टॉलरेंस नीति की धामी सरकार जी,, आठ साल से वैकल्पिक मार्ग का इंतजार, किसान दर-दर भटकने को मजबूर, अब डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित से लगाई गुहार,, गांव वालों ने दी आंदोलन और रास्ते पर नाकाबंदी कर धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी,,

इन्तजार रजा हरिद्वार- मिक्चर प्लांट बना ग्रामीणों की मुसीबत/फजीहत का सबब, फसलें तबाह, सड़क बनी रेगिस्तान और गहरे गड्ढे व कीचड़ का दलदल,,

जिला मुख्यालय से 5 कि.मी पर महादेव रोड हेत्तमपुर में मिक्चर प्लांट के ट्रकों ने गांवों और फसलों की जीवनरेखा को बर्बादी में बदल डाला,,

ना सुनवाई, ना समाधान आप कहां हो जीरो टॉलरेंस नीति की धामी सरकार जी,,

आठ साल से वैकल्पिक मार्ग का इंतजार, किसान दर-दर भटकने को मजबूर, अब डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित से लगाई गुहार,,

गांव वालों ने दी आंदोलन और रास्ते पर नाकाबंदी कर धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी,,

रिपोर्ट: Daily Live Uttarakhand / बहादराबाद डेस्क
दिनांक: 18 जून, 2025
स्थान: हरिद्वार, ब्लॉक बहादराबाद, ग्राम आन्नेकी हेतमपुर ,पुरनपुर साल्हापुर, सुमन नगर आदि क्षैत्र 


हरिद्वार जनपद का बहादराबाद के ग्राम आन्नेकी हेतमपुर ,पुरनपुर साल्हापुर, सुमन नगर आदि क्षैत्र  जहां कभी खेतों की हरियाली, साफ रास्ते और ग्रामीण खुशहाली के लिए जाना जाता था, आज एक मिक्चर प्लांट के चलते नारकीय जीवन की मिसाल बन गया है। वर्षों से लगाई जा रही अर्जियां, दर्जनों बार भेजे गए ज्ञापन और अनगिनत शिकायतों के बावजूद प्रशासनिक उदासीनता और उद्यमियों की मिलीभगत ने ग्रामीणों की उम्मीदों को धूल-धक्कड़ में तब्दील कर दिया है।

मिक्चर प्लांट की मलाई मालिक के हिस्से, गांववालों के हिस्से आया दर्द

ग्राम आन्नेकी हेतमपुर, सलेमपुर, पूरणपुर, शाल्हापुर और सुमननगर जैसे दर्जनों गांवों के निवासी महादेव रोड पर स्थित उस मिक्चर प्लांट से त्रस्त हैं, जहां से प्रतिदिन भारी ट्रकों की आवाजाही होती है। यह ट्रक न केवल रास्ते को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि हवा में इतना धूल भर देते हैं कि खेतों की पत्तियां तक सांस नहीं ले पातीं। इन ट्रकों के टायरों से उखड़ी सड़क में अब दो-दो फिट गहरे गड्ढे बन चुके हैं। बरसात आते ही यही गड्ढे कीचड़ का समंदर बन जाते हैं, जिससे न कोई पैदल निकल सकता है, न साइकिल, न बैलगाड़ी और न ही ट्रैक्टर।

ग्रामीणों का आरोप है:

“मिक्चर प्लांट वाले अपने ट्रकों के लिए रास्ता समतल करवा लेते हैं लेकिन गांववालों के लिए आठ साल से कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की। सिर्फ मुनाफा देख रहे हैं, बाकी सबको बर्बाद कर दिया।”

आठ वर्षों से झेल रहे नारकीय यातना, ना सुनवाई, ना समाधान आप कहां हो धामी सरकार जी

ग्रामीणों का यह भी कहना है कि समस्या एक-दो महीने की नहीं, बल्कि पूरे आठ वर्षों से चल रही है। इन वर्षों में न तो पंचायत स्तर से कोई स्थायी प्रस्ताव बना, न ब्लॉक स्तर पर कोई ठोस निरीक्षण हुआ और न ही जिला प्रशासन ने कोई सख्त कदम उठाया।

“हमने तहसील से लेकर डीएम तक ज्ञापन दिए, यहां तक कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को भी बताया, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सब कागजों में ही रह गया। मिक्चर प्लांट की कमाई में सबकी हिस्सेदारी है शायद, तभी कोई आवाज़ नहीं उठती।”

ग्रामीणों के इस कथन में जो कटुता है, वह उनकी दशा को बयां करने के लिए पर्याप्त है।

फसलें बर्बाद, जीवन संकट में

मिक्चर प्लांट की वजह से उड़ती धूल खेतों पर जम जाती है, जिससे फसलें खराब हो रही हैं। विशेषकर सब्जियां, दलहन और गेहूं जैसे उत्पादों का सीधा नुकसान हो रहा है।
सुरेश कुमार, एक स्थानीय किसान का कहना है:“चार बीघा में खेती बाड़ी लगायी थी, लेकिन ट्रकों की धूल से पत्तियां पीली पड़ गईं। उत्पादन आधा रह गया। खेत में तो हम जा भी नहीं सकते, अभी ट्रैकों के साथ रेट का रेगिस्तान और बारिश में फिसलकर गिर जाएं तो जान आफत में आ जाए।”

खेती, जो इस क्षेत्र की रीढ़ है, अब मिक्चर प्लांट के नीचे दबती जा रही है। किसान अब या तो रास्ते से हटकर खेती कर रहे हैं, या किसी और के खेतों से होकर अपने खेत तक जा रहे हैं। इससे कई बार ग्रामीणों के बीच आपसी विवाद भी हो चुके हैं।


रास्ता जो कभी गांवों की जान था, अब बना जान का जोखिम

जिस सड़क की हालत पहले ग्रामीणों की जीवनरेखा जैसी थी, वही अब खतरे का केंद्र बन चुकी है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, बीमारों को अस्पताल ले जाना टेढ़ी खीर बन चुका है, गर्भवती महिलाओं को झटके खाते हुए अस्पताल पहुंचाना किसी मिशन से कम नहीं। ट्रकों की लाइनें और रास्ते में बने खड्डे – ये दोनों मिलकर उस समाज को रौंद रहे हैं, जो मेहनत और ईमानदारी से जीवनयापन करता है।

ग्रामीणों की मानें तो —

“हम तो अपने गांव और खेतों में कैद होकर रह गए हैं। विकास तो दूर, हम तो बदहाली में जी रहे हैं। रास्ता कोई दे नहीं रहा, और मिक्चर प्लांट के मालिक कहते हैं कि रास्ता हम क्यों बनाएं?”


जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन, गांव वालों ने दी आंदोलन और रास्ते पर नाकाबंदी कर धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी

दिनांक 16 जून 2025 को ग्रामीणों ने जिलाधिकारी हरिद्वार को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि मिक्चर प्लांट की वजह से उनका जीवन संकट में है और यदि शीघ्र कोई ठोस निर्णय न लिया गया तो वे आंदोलन, धरना और चक्का जाम जैसे कदम उठाने को विवश होंगे।

ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में भागेंराम, सुरेश कुमार, सचिन दुग्गल, छतरपाल सिंह, राहुल कुमार, पेलन सिंह, सागर, संजय चौहान, राजपाल, स्वराज, राजकिरण समेत कई ग्रामीण प्रमुख शामिल हैं। सभी ने एक सुर में कहा कि अगर रास्ता नहीं बना तो प्लांट को बंद करवाने के लिए कोर्ट तक जाएंगे।


प्रशासनिक निष्क्रियता या उद्योगपति के दबाव में चुप्पी?

यह सवाल अब गांव के हर चौपाल में उठ रहा है कि आखिर क्यों आठ वर्षों से प्रशासन इस समस्या को नज़रअंदाज़ कर रहा है? क्या मिक्चर प्लांट मालिक की पहुंच इतनी ऊंची है कि वह जनहित को कुचल सकता है? या फिर उद्योगों के नाम पर आम जनता को जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है?

इस संबंध में ब्लॉक कार्यालय, बहादराबाद से कई बार जानकारी मांगी गई, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। ग्राम पंचायत की तरफ से भी कोई कार्यवाही सामने नहीं आई। यह चुप्पी अब ग्रामीणों को असहनीय लगने लगी है।


ग्रामीणों की स्पष्ट मांगें:

  1. रास्ते को तुरंत पक्का करवाया जाए।
  2. दो-दो फिट गहरे गड्ढों को समतल किया जाए और बारिश से पहले कीचड़ नियंत्रण की व्यवस्था की जाए।
  3. मिक्चर प्लांट के ट्रकों के लिए अलग वैकल्पिक मार्ग बनाया जाए।
  4. धूल नियंत्रण के लिए पानी का छिड़काव नियमित कराया जाए।
  5. ग्रामीणों और फसलों को होने वाले नुकसान का उचित मुआवजा दिया जाए।

अब ग्रामीणों की पीड़ा को प्राथमिकता देने का समय

हरिद्वार जैसे धार्मिक और कृषि प्रधान जिले में अगर ग्रामीण अपने ही खेतों तक न पहुंच पाएं, तो इसे सिर्फ ‘अव्यवस्था’ नहीं कहा जा सकता — यह ‘शोषण’ है। उद्योगों का विकास जरूरी है, लेकिन उस विकास की कीमत यदि आमजन को अपना जीवन देकर चुकानी पड़े तो वह कोई उपलब्धि नहीं, बल्कि सामाजिक असफलता है।

अब प्रशासन को चाहिए कि वह केवल आश्वासन नहीं, कार्यवाही करे। मिक्चर प्लांट को उद्योग नीति के दायरे में लाया जाए, ट्रकों की निगरानी की जाए और रास्ते के निर्माण को तुरंत प्राथमिकता दी जाए।


📌 Daily Live Uttarakhand की यह विशेष रिपोर्ट जनहित में प्रकाशित की जा रही है। यदि आपकी पंचायत या गांव भी किसी ऐसी ही समस्या से जूझ रहा है, तो हमें लिखें या संपर्क करें।

✍️ रिपोर्ट: इंतज़ार रज़ा, विशेष संवाददाता
📍 स्थान: बहादराबाद, हरिद्वार
📞 संपर्क: dailyliveuttarakhand@gmail.com

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