उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर बढ़ी पारदर्शिता,, शादाब शम्स बोले – “उम्मीद पोर्टल विपक्ष के भ्रम का जवाब,, वक्फ संशोधन अधिनियम पर अंतिम निर्णय की ओर देश की नजरें

इन्तजार रजा हरिद्वार- उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर बढ़ी पारदर्शिता,,
शादाब शम्स बोले – “उम्मीद पोर्टल विपक्ष के भ्रम का जवाब,,
वक्फ संशोधन अधिनियम पर अंतिम निर्णय की ओर देश की नजरें
देहरादून/हरिद्वार (संवाददाता) – उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने वक्फ संपत्तियों और मैनेजमेंट कमेटियों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में भी वक्फ बोर्ड की लगभग 2200-2300 संपत्तियाँ दर्ज हैं, जिनमें से करीब 200 संपत्तियों के लिए मैनेजमेंट कमेटियाँ गठित की जा चुकी हैं। शादाब शम्स ने बताया कि बोर्ड की ओर से चलाई गई मुहिम के तहत 150 से अधिक वक्फ प्रबंध समितियों ने खुद को ‘उम्मीद पोर्टल’ पर रजिस्टर्ड कर लिया है।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो लोग राजनीति के चलते रजिस्ट्रेशन से बचने की कोशिश कर रहे थे, उनका भ्रम अब टूट चुका है। “जो लोग विरोध की राजनीति के चलते कह रहे थे कि कोई उम्मीद पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन न कराए, ये उनके चेहरे पर सन्नाटेदार तमाचा है। लोग जागरूक हो रहे हैं, समझ रहे हैं और तेजी से हमसे जुड़ रहे हैं,” शादाब शम्स ने कहा
पारदर्शिता के लिए ‘उम्मीद पोर्टल’
शम्स ने बताया कि उम्मीद पोर्टल के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के हर पहलू में पारदर्शिता लाई जाएगी। अब हर संपत्ति की जानकारी पोर्टल पर दिखाई देगी। इसे तीन चरणों – मेकर, चेकर और अप्रूवर – में बाँटा गया है ताकि प्रक्रिया में ईमानदारी बनी रहे।
उनके अनुसार, “तीनों विषयों पर तेजी से काम चल रहा है और लोग पॉजिटिव वाइब्स के साथ काम कर रहे हैं। विपक्ष ने जो भ्रम का वातावरण बनाया था, उसके बादल छट चुके हैं। अब लोग सकारात्मक हैं और देख रहे हैं कि उनके लिए कुछ अच्छा होने वाला है।”
“लोकतंत्र में ताली और गाली दोनों
शादाब शम्स ने कहा, “हम लोकतंत्र में जी रहे हैं। अगर हम अच्छा करेंगे तो हमें ताली मिलेगी और अगर बुरा करेंगे तो हमें गाली मिलेगी। देश की जनता को, देश के आम मुसलमान को तय करने दीजिए कि 75 साल में आपने क्या किया और मोदी सरकार अब क्या कर रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में मुस्लिम समाज की ‘अपलिफ्टिंग’ (उन्नति) के लिए बेहतर कदम उठाए जा रहे हैं। “जो अन्याय पहले वक्फ के माध्यम से किया जा रहा था, उस पर भी रोक लगेगी। सबके साथ न्याय और ईमानदारी संविधान का मकसद है और उम्मीद पोर्टल उसी दिशा में बढ़ रहा है,” उन्होंने कहा।
वक्फ संशोधन अधिनियम पर विरोध
वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर विपक्षी दलों के विरोध पर भी शादाब शम्स ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “जो लोग वक्फ संशोधन अधिनियम का विरोध करना चाहते थे, उन्होंने पहले भी इसका विरोध किया था और आगे भी करते रहेंगे। लेकिन देश की जनता यह समझती है कि जब उन्होंने पहले विरोध किया था, तब न्यायालय ने उनकी आपत्तियों में से केवल तीन मुद्दों को ही स्वीकार किया था, जबकि बाकी सभी आपत्तियाँ खारिज कर दी थीं। यह साफ़ दर्शाता है कि उनका पहले का विरोध निरर्थक था।”
उन्होंने कहा कि अब बचे हुए तीन मुद्दों पर उनकी आपत्तियों की वैधता पर आज निर्णय होने जा रहा है। “हमें भरोसा है कि जो भी निर्णय होगा, वह बेहतर होगा और मुस्लिम समाज के हित में होगा,” शादाब शम्स ने कहा।
“विपक्ष के बादल छट गए”
वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने साफ किया कि अब विरोध की राजनीति काम नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि जो लोग पहले लोगों को गुमराह कर रहे थे, उनका झूठ अब जनता के सामने खुल चुका है। “विपक्ष के बनाए भ्रम के बादल अब छट चुके हैं। मुस्लिम समाज पॉजिटिव है और उसे दिख रहा है कि उसके लिए अच्छा होने वाला है। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है,” उन्होंने कहा।

शादाब शम्स के मुताबिक उम्मीद पोर्टल की पूरी प्रक्रिया से वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, प्रबंधन और उपयोग में सुधार होगा। इससे न केवल विवाद कम होंगे बल्कि लोगों का विश्वास भी बढ़ेगा।
उन्होंने कहा, “ईमानदारी सबके साथ हो, न्याय सबके साथ हो – यही संविधान का मकसद है। हमें उम्मीद है कि आने वाले वक्त में ‘उम्मीद’ पोर्टल की उम्मीदों को पर लगेंगे।”
इस बयान के साथ यह साफ हो गया है कि उत्तराखंड वक्फ बोर्ड पारदर्शिता और जवाबदेही के रास्ते पर आगे बढ़ चुका है। अब देश की नजरें वक्फ संशोधन अधिनियम पर होने वाले फैसले पर टिकी हैं, जो तय करेगा कि आगे वक्फ प्रबंधन किस दिशा में जाएगा।