निजी अस्पताल में प्रसव के दौरान दो महिलाओं की मौत से मचा हड़कंप,, माँ गंगा मैटरनिटी एंड आई केयर अस्पताल सील, डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप,, दो मुकदमे दर्ज, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेगा मौत का राज

इन्तजार रजा हरिद्वार- निजी अस्पताल में प्रसव के दौरान दो महिलाओं की मौत से मचा हड़कंप,,
माँ गंगा मैटरनिटी एंड आई केयर अस्पताल सील, डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप,,
दो मुकदमे दर्ज, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेगा मौत का राज
हरिद्वार, 03 अगस्त 2025।
जनपद हरिद्वार के बहादराबाद थाना क्षेत्र स्थित माँ गंगा मैटरनिटी एंड आई केयर अस्पताल उस समय सुर्खियों में आ गया जब एक ही दिन में दो गर्भवती महिलाओं की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। प्रथम दृष्टया मामला चिकित्सा लापरवाही का प्रतीत होने पर न केवल प्रशासन बल्कि आमजन में भी गहरा आक्रोश फैल गया है। फिलहाल दोनों प्रकरणों में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर अग्रिम जांच शुरू कर दी है। वहीं, एसडीएम की उपस्थिति में अस्पताल को सील कर दिया गया है।
मीनाक्षी की मौत: सुबह भरी उम्मीदें, शाम को मातम
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर निवासी टीनू पुत्र नाथीराम, जो इन दिनों सिडकुल क्षेत्र के डेंसों चौक पर निवासरत हैं, ने अपनी 30 वर्षीय गर्भवती पत्नी मीनाक्षी को दिनांक 3 अगस्त को सुबह 10:00 बजे माँ गंगा मैटरनिटी एंड आई केयर अस्पताल में भर्ती कराया था।
अस्पताल के डॉक्टरों ने लगभग दो घंटे बाद यानी दोपहर 12 बजे डिलीवरी कराई और जच्चा-बच्चा दोनों को स्वस्थ बताया। लेकिन शाम 4 बजे अचानक डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि मीनाक्षी को खून की भारी कमी हो रही है, और उसे तत्काल रक्त चढ़ाया गया। इसके कुछ समय बाद मीनाक्षी की तबीयत बिगड़ती चली गई और अस्पताल प्रशासन ने उसे मृत घोषित कर दिया।
टीनू का आरोप है कि अस्पताल ने शुरू से लेकर अंत तक न तो कोई विशेषज्ञ डॉक्टर मुहैया कराया और न ही स्थिति की गंभीरता को समय रहते समझा। यदि समय पर उचित इलाज हुआ होता तो उसकी पत्नी की जान बच सकती थी।
खुशबू की मौत: सामान्य डिलीवरी के बाद बिगड़ा हाल
इसी दिन की एक और हृदयविदारक घटना में नारसन खुर्द, तहसील रुड़की निवासी मोंटी पुत्र सुमन ने अपनी गर्भवती पत्नी खुशबू को सुबह 9:30 बजे इसी अस्पताल में भर्ती कराया था। प्रारंभिक तौर पर ऑपरेशन के माध्यम से डिलीवरी की गई, लेकिन इसके कुछ समय बाद ही खुशबू की भी तबीयत बिगड़ने लगी। जब तक परिजन कुछ समझ पाते, अस्पताल ने उन्हें भी यही सूचना दी कि उनकी पत्नी अब इस दुनिया में नहीं रही।
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल की ओर से उन्हें लगातार गुमराह किया गया और जब तक मौत हो गई, तब तक उन्हें यह तक नहीं बताया गया कि अंदर वास्तव में क्या हो रहा है।
पुलिस-प्रशासन की तत्परता, अस्पताल सील
दोनों घटनाओं की सूचना मिलते ही बहादराबाद पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को शांत करते हुए मृत महिलाओं के शवों को जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया। शवों का पंचायतनामा एवं पोस्टमार्टम दिनांक 04 अगस्त को संपन्न कराया जाएगा, जिसके बाद ही असली कारणों की पुष्टि हो सकेगी।
घटना की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम की अगुवाई में माँ गंगा मैटरनिटी एंड आई केयर अस्पताल को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया है। अस्पताल के मुख्य गेट पर सीलिंग नोटिस चस्पा कर दिया गया है और स्टाफ को बाहर निकालकर अस्पताल में प्रवेश पर पूर्ण रोक लगा दी गई है।
मुकदमे दर्ज, गंभीर धाराओं में लिप्त
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दोनों मामलों में वादी टीनू और वादी मोंटी की ओर से बहादराबाद थाने में शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस ने दोनों मामलों में मुकदमा क्रमशः मु0अ0स0 311/25 और 312/25 धारा 106(1) भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत दर्ज किया है।
मामले की विवेचना बहादराबाद थाने की पुलिस टीम द्वारा की जा रही है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यदि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मेडिकल लापरवाही की पुष्टि होती है तो नामजद डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ की गिरफ्तारी भी संभव है।
क्षेत्र में आक्रोश, स्वास्थ्य विभाग पर भी सवाल
इस घटना के बाद स्थानीय क्षेत्रवासियों में भारी आक्रोश है। लोग पूछ रहे हैं कि यदि यह अस्पताल लंबे समय से लापरवाही कर रहा था तो अब तक स्वास्थ्य विभाग क्या कर रहा था? क्या इस अस्पताल की नियमित निगरानी नहीं हो रही थी? क्या सभी दस्तावेज, लाइसेंस और चिकित्सकीय योग्यता की जांच समय-समय पर की जाती थी?
स्वास्थ्य विभाग को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है, और यह मांग की जा रही है कि न केवल अस्पताल के मालिक बल्कि पूरे नियामक तंत्र की जांच की जाए।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद होगा बड़ा खुलासा
फिलहाल मामले की विवेचना जारी है। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही दोनों मौतों के कारणों पर अंतिम रूप से कुछ कहा जा सकेगा। यदि लापरवाही की पुष्टि होती है तो संबंधित डॉक्टरों और स्टाफ पर गिरफ्तारी की तलवार लटकना तय है। दूसरी ओर, पीड़ित परिवार इंसाफ की गुहार कर रहे हैं और शासन से अपील कर रहे हैं कि दोषियों को सख्त सजा मिले ताकि भविष्य में किसी और मां की कोख सूनी न हो।
यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि चिकित्सा प्रणाली में बढ़ती लापरवाही पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न भी। प्रशासन की अगली कार्रवाई पर पूरे हरिद्वार की निगाहें टिकी हैं।