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ग्रामोत्थान परियोजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को चारा उत्पादन में प्रशिक्षण,, रूड़की विकासखंड में दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न, 22 महिलाओं ने लिया भाग,, पौष्टिक व किफायती चारा उत्पादन से पशुपालन में बढ़ेगी आत्मनिर्भरता

इन्तजार रजा हरिद्वार- ग्रामोत्थान परियोजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को चारा उत्पादन में प्रशिक्षण,,

रूड़की विकासखंड में दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न, 22 महिलाओं ने लिया भाग,,

पौष्टिक व किफायती चारा उत्पादन से पशुपालन में बढ़ेगी आत्मनिर्भरता

हरिद्वार: ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने और पशुपालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के अंतर्गत विकासखंड रूड़की में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती आकांक्षा कोण्डे के निर्देशन में एवं जिला परियोजना प्रबंधक की देखरेख में यह प्रशिक्षण 22 से 23 सितंबर 2025 तक ग्राम पंचायत धनौरी में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में कुल 22 ग्रामीण पशुपालक महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

कार्यक्रम का संचालन ‘नईं राहें’ सीएलएफ के सहयोग से किया गया। मास्टर ट्रेनर श्री अनुज कुमार (सहायक विस्तार – कृषि एवं पशुपालन, ब्लॉक रूड़की) ने प्रतिभागियों को चारा उत्पादन की आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक विधियों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने भूमि की तैयारी, बीज चयन, बुआई, सिंचाई, निराई और संतुलित खाद-उर्वरक के प्रयोग सहित पूरी प्रक्रिया की व्यावहारिक जानकारी साझा की।

प्रशिक्षण के दौरान नेपियर घास, मक्का, जौ, ज्वार और बरसीम जैसी प्रमुख चारा फसलों की विशेषताओं और उनका पोषण मूल्य भी समझाया गया। कार्यक्रम में यह भी चर्चा हुई कि कैसे पौष्टिक और किफायती चारा उत्पादन पशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा और दूध उत्पादन में वृद्धि करेगा। प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और स्थानीय परिस्थितियों में आने वाली समस्याओं के समाधान पर विचार-विमर्श किया।

मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती आकांक्षा कोण्डे ने कहा, “इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं और पशुपालकों को न केवल तकनीकी ज्ञान प्रदान करते हैं बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति और आत्मनिर्भरता को भी सशक्त बनाते हैं। हमारी कोशिश है कि पशुपालन क्षेत्र में सतत आजीविका और बेहतर जीवन स्तर को बढ़ावा दिया जाए।”

जिला परियोजना प्रबंधक ने भी प्रशिक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में पौष्टिक चारा उत्पादन बढ़ाने से पशुपालन की गुणवत्ता सुधरेगी और महिलाओं की आर्थिक भागीदारी भी मजबूत होगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि परियोजना के माध्यम से भविष्य में और अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

इस पहल से ग्रामीण महिलाएं चारा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेंगी, पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर होगा और दूध उत्पादन में वृद्धि होगी। वहीं, इससे उन्हें अतिरिक्त आय के स्रोत भी मिलेंगे, जो ग्रामीण समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान करेगा।

इस कार्यक्रम ने साबित कर दिया कि सशक्त महिला प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीक का संयोजन ग्रामीण विकास और पशुपालन क्षेत्र में सतत सुधार की दिशा में एक ठोस कदम है।

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