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चारधाम यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए हरिद्वार में आपदा प्रबंधन की बड़ी तैयारी,शिवपुल क्षेत्र में भीड़ से मची भगदड़ की सजीव मॉक ड्रिल का सफल संचालन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जिला प्रशासन व आपदा टीमों की त्वरित संयुक्त कार्रवाई

भगदड़ के कारण 15 लोग घायल हो गए जिसमें 01 की घटनास्थल पर ही मृत्यु तथा 10 लोगों की गंगा नदी में डूबने की सूचना प्राप्त हुई। चार धाम यात्रा को सुरक्षित एवं सुव्यस्थित दंग से संचालित करने के उद्देश्य से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जिला आपदा प्रबंधन व जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वधान में किया गया मॉक अभ्यास/ मॉक ड्रिल।

इन्तजार रजा हरिद्वार- चारधाम यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए हरिद्वार में आपदा प्रबंधन की बड़ी तैयारी,शिवपुल क्षेत्र में भीड़ से मची भगदड़ की सजीव मॉक ड्रिल का सफल संचालन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जिला प्रशासन व आपदा टीमों की त्वरित संयुक्त कार्रवाई

भगदड़ के कारण 15 लोग घायल हो गए जिसमें 01 की घटनास्थल पर ही मृत्यु तथा 10 लोगों की गंगा नदी में डूबने की सूचना प्राप्त हुई।
चार धाम यात्रा को सुरक्षित एवं सुव्यस्थित दंग से संचालित करने के उद्देश्य से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जिला आपदा प्रबंधन व जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वधान में किया गया मॉक अभ्यास/ मॉक ड्रिल।

हरिद्वार, 24 अप्रैल 2025
चारधाम यात्रा को सुरक्षित, सुव्यवस्थित और आपातकालीन परिस्थितियों में उत्तरदायी बनाने के उद्देश्य से हरिद्वार जनपद में एक महत्वपूर्ण मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस अभ्यास में शिवपुल क्षेत्र में भीड़भाड़ से उत्पन्न भगदड़ की सजीव स्थिति को दर्शाया गया, जिसमें राहत एवं बचाव की संपूर्ण प्रक्रिया का पूर्वाभ्यास किया गया। इस संयुक्त अभियान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, चिकित्सा टीमों और स्वयंसेवी संगठनों की सक्रिय भागीदारी रही।

घटना का पूर्वाभ्यास: शिवपुल पर अचानक भीड़, भगदड़ की स्थिति

प्रातः 9:40 बजे जिला आपदा नियंत्रण कक्ष को सूचना प्राप्त हुई कि हरिद्वार के सीसीआर के पीछे शिवपुल क्षेत्र में अत्यधिक भीड़ के कारण भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस सूचना के मिलते ही जिलाधिकारी श्री कर्मेंद्र सिंह के नेतृत्व में त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए 9:45 बजे इंसिडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम (IRS) को सक्रिय किया गया। मात्र तीन मिनट के भीतर 9:48 बजे जिला प्रशासन की टीमें रेस्पॉन्स मोड में आ गईं।

इस अभ्यास की गंभीरता और सजीवता को ध्यान में रखते हुए आपदा प्रबंधन टीमों को तत्काल घटना स्थल की ओर रवाना किया गया। पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आपदा मित्र, चिकित्सा स्टाफ, स्वयंसेवकों और अन्य आपदा सेवाओं ने घटनास्थल पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्यों की कमान संभाली।

घायलों की संख्या, प्रकार और त्वरित उपचार

मॉक ड्रिल के अनुसार भगदड़ में कुल 15 लोग घायल हुए। इनकी स्थिति निम्न प्रकार रही:

  • 1 व्यक्ति की घटनास्थल पर मृत्यु
  • 4 लोग गंभीर रूप से घायल, जिन्हें एंबुलेंस के माध्यम से तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया
  • 10 लोग सामान्य रूप से घायल, जिन्हें प्राथमिक उपचार हेतु रिलीफ सेंटर भेजा गया

इसके अतिरिक्त, भगदड़ के दौरान 10 लोगों के गंगा नदी में डूबने की सूचना मिली। इन सभी को जल पुलिस और गोताखोरों की टीम द्वारा सुरक्षित रेस्क्यू किया गया, जिनमें से:

  • 1 गंभीर घायल को अस्पताल भेजा गया
  • 4 को प्राथमिक उपचार हेतु रिलीफ कैंप
  • 5 को घटनास्थल पर ही उपचार कर सुरक्षित घर भेज दिया गया

स्ट्रेचिंग एरिया और प्रबंधन व्यवस्था

घटना की व्यापकता को देखते हुए ऋषिकुल मैदान को स्टेजिंग (स्ट्रेचिंग) एरिया घोषित किया गया, जहाँ से सभी राहत एवं बचाव कार्यों का संचालन किया गया। इस क्षेत्र के मैनेजर के रूप में डिप्टी कलेक्टर लक्ष्मी राज चौहान ने नेतृत्व किया और हर कदम पर निगरानी रखी। स्ट्रेचिंग एरिया में राहत उपकरण, चिकित्सा सुविधा, रेस्क्यू किट, जलपान और विश्राम की समुचित व्यवस्था की गई थी।

सभी विभागों के बीच समन्वय और कार्यों का स्पष्ट विभाजन किया गया जिससे समयबद्ध प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य यह था कि यदि ऐसी कोई वास्तविक आपदा उत्पन्न होती है तो प्रशासन, आपदा दल और अन्य संबंधित इकाइयाँ कितनी तत्परता से कार्य कर पाती हैं।

डिब्रीफिंग एवं विश्लेषण

ड्रिल के बाद जनपद आपातकालीन परिचालन केंद्र (EOC) में एक विस्तृत डिब्रीफिंग सत्र आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता मुख्य विकास अधिकारी एवं इंसिडेंट कमांडर आकांक्षा कोंडे ने की। इस सत्र में उपस्थित अन्य प्रमुख अधिकारियों में शामिल रहे:

  • एसपी सिटी पंकज गैरोला
  • ऑब्जर्वर लेफ्टिनेंट कर्नल सी.जी. सिंह
  • एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर राहुल
  • असिस्टेंट कमांडेंट राकेश रावत
  • इंस्पेक्टर हरेंद्र सिंह
  • जिला सैनिक कल्याण अधिकारी सरिता पवार
  • जिला पूर्ति अधिकारी तेजबल सिंह
  • पीडी के.एन. तिवारी
  • जिला विकास अधिकारी वेद प्रकाश
  • रेड क्रॉस सोसायटी सचिव डॉ. नरेश चौधरी

इस समीक्षा में सभी विभागों की भूमिका, समयबद्धता, समन्वय, और सुधार की संभावनाओं पर खुलकर चर्चा हुई।

प्रशासन की तैयारी और जनहित संकल्प

जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने बताया कि चारधाम यात्रा जैसे व्यापक धार्मिक आयोजनों में लाखों श्रद्धालुओं की आवाजाही होती है। ऐसे में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूर्वाभ्यास अत्यंत आवश्यक होता है। उन्होंने मॉक ड्रिल को सफल बताते हुए कहा कि हर विभाग की त्वरित और समर्पित भागीदारी ही हमारी शक्ति है।

उन्होंने विशेष रूप से यह कहा कि “जनपद प्रशासन का उद्देश्य केवल मॉक ड्रिल कराना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि वास्तविक आपदा की स्थिति में कोई भी व्यक्ति असहाय महसूस न करे।

मॉक ड्रिल की मुख्य विशेषताएं:

  • IRS सिस्टम के तहत त्वरित प्रतिक्रिया
  • आठ मिनट के भीतर ऑन-ग्राउंड रेस्पॉन्स
  • बहुस्तरीय समन्वय व्यवस्था
  • गोताखोरों द्वारा समय पर रेस्क्यू ऑपरेशन
  • आपदा मित्रों और स्वयंसेवकों की भागीदारी
  • घटनास्थल से रिलीफ सेंटर तक त्वरित मेडिकल ट्रांसपोर्ट
  • पोस्ट ड्रिल मूल्यांकन एवं सुधार बिंदुओं पर चर्चा

आपदा से सतर्कता ही सुरक्षा है

यह मॉक ड्रिल केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि चारधाम यात्रा के दौरान संभावित जोखिमों का आकलन और उनसे निपटने की पूर्व तैयारी का वास्तविक मूल्यांकन था। जिला प्रशासन और सहयोगी एजेंसियों की सामूहिक प्रतिबद्धता ने यह स्पष्ट कर दिया कि हरिद्वार आपात स्थिति में सतर्क, सक्षम और संगठित है।

आगामी महीनों में यात्रा के चरम काल के दौरान प्रशासनिक तंत्र की यह तत्परता ही यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। आपदा से निपटने के ये अभ्यास न केवल टीमों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाते हैं बल्कि आमजन को भी यह विश्वास दिलाते हैं कि वे एक संगठित और सजग व्यवस्था का हिस्सा हैं।

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