उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी का बड़ा बयान: मुसलमान करें जनसंख्या नियंत्रण, आरएसएस-भाजपा की तारीफ, कांग्रेस पर हमला

इन्तजार रजा हरिद्वार-उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी का बड़ा बयान: मुसलमान करें जनसंख्या नियंत्रण, आरएसएस-भाजपा की तारीफ, कांग्रेस पर हमला
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी का हालिया बयान उत्तर भारत की राजनीति और मुस्लिम समुदाय के बीच एक नए विमर्श को जन्म दे रहा है। उन्होंने जहां एक ओर भाजपा और आरएसएस की सराहना की, वहीं कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। इतना ही नहीं, उन्होंने मुस्लिम समाज को जनसंख्या नियंत्रण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी खुलकर राय दी। उनके इस बयान की चर्चा न सिर्फ उत्तराखंड में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है।
अरबी मदरसों को लेकर राज्य सरकार की नीयत पर जताया भरोसा
मंगलौर में अरबी मदरसों के उलेमाओं द्वारा भव्य स्वागत के दौरान मुफ्ती शमून कासमी ने कहा कि उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार अरबी मदरसों को लेकर बेहद गंभीर और सकारात्मक सोच रखती है। उन्होंने बताया कि सरकार चाहती है कि मदरसों के छात्र भी देश की मुख्यधारा से जुड़ें और उन्हें केवल दीनी (धार्मिक) शिक्षा ही नहीं, बल्कि आधुनिक शिक्षा भी मिले, जिससे वे समाज में योगदान दे सकें और रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य किसी विशेष वर्ग को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि जो मदरसे सभी जरूरी दस्तावेजों और नियमों का पालन करते हैं, उन्हें परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जिन मदरसों के पास आवश्यक दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें जल्द से जल्द अपनी औपचारिकताएं पूरी कर लेनी चाहिए, वरना उन पर कार्रवाई तय है।
कार्रवाई बदले की भावना से नहीं: कासमी
मुफ्ती कासमी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उत्तराखंड में चल रही मदरसों की जांच या कार्रवाई किसी भी बदले की भावना से प्रेरित नहीं है। यह केवल उन संस्थानों के खिलाफ की जा रही है जो शिक्षा के मानकों, दस्तावेजों या सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि राज्य सरकार की यह पहल मुसलमानों के खिलाफ नहीं, बल्कि शिक्षा प्रणाली को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने के लिए है।
आरएसएस और भाजपा की सराहना
यह सबसे चौंकाने वाला हिस्सा रहा जब उन्होंने आरएसएस और भाजपा की खुले मंच से तारीफ की। उन्होंने कहा कि आज अगर मुस्लिम समाज मुख्यधारा से जुड़ रहा है और मदरसों में आधुनिक शिक्षा की चर्चा हो रही है, तो इसमें भाजपा सरकार की नीति और दृष्टिकोण का भी योगदान है। उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस को लेकर जो भ्रांतियां हैं, वह केवल राजनीतिक प्रोपेगेंडा का हिस्सा हैं और मुस्लिम समाज को खुद इन चीजों को समझना चाहिए। मुफ्ती शमून कासमी के इस बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है, क्योंकि आमतौर पर आरएसएस और भाजपा को लेकर मुस्लिम समाज में संदेह और असहमति का माहौल देखा जाता है।
जनसंख्या नियंत्रण पर मुस्लिम समाज को सलाह
अपने भाषण में मुफ्ती कासमी ने एक और महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात की – जनसंख्या नियंत्रण। उन्होंने मुस्लिम समाज से अपील की कि वह देशहित में जनसंख्या नियंत्रण की ओर गंभीरता से सोचे। उन्होंने कहा कि अधिक जनसंख्या न केवल संसाधनों पर बोझ डालती है, बल्कि गरीब परिवारों के लिए जीवन और भी कठिन बना देती है।उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लाम में भी संतुलन और जिम्मेदारी का संदेश दिया गया है। यदि मुस्लिम समाज शिक्षा, रोजगार और सामाजिक सुधार की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है, तो जनसंख्या नियंत्रण की पहल स्वयं उसे करनी होगी। उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल देशहित में होगा, बल्कि मुस्लिम समाज को सशक्त बनाने में भी सहायक होगा।
कांग्रेस पर तीखा हमला
अपने बयान में उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर भी हमला बोला और कहा कि कांग्रेस ने हमेशा मुसलमानों को गुमराह किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने केवल मुसलमानों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया, लेकिन उनके सामाजिक और शैक्षणिक विकास के लिए कभी ईमानदारी से काम नहीं किया। उन्होंने कहा, “अगर कांग्रेस चाहती तो आज मुसलमान समाज बहुत आगे होता। लेकिन उसने जानबूझकर उन्हें शिक्षा, रोजगार और तकनीकी विकास से दूर रखा, ताकि वे केवल वोट देने के लिए निर्भर बने रहें।”
मुस्लिम समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं
मुफ्ती शमून कासमी के इस बयान के बाद मुस्लिम समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोगों ने उनके विचारों का स्वागत किया है और माना है कि यह एक प्रगतिशील सोच है जो मुस्लिम समाज को आगे ले जा सकती है। वहीं कुछ लोगों ने इसे राजनीतिक दबाव का नतीजा बताया है और इसे मुस्लिम हितों के खिलाफ बताया है। कुछ धर्मगुरुओं का कहना है कि भाजपा और आरएसएस की नीतियों ने देश में अल्पसंख्यकों के लिए असुरक्षा का माहौल पैदा किया है, ऐसे में उनका समर्थन करना उचित नहीं है। वहीं अन्य लोगों का मानना है कि समय के साथ सोच में बदलाव जरूरी है और यदि सरकार कुछ अच्छा कर रही है, तो उसे सराहने में कोई बुराई नहीं।
मुफ्ती शमून कासमी का यह बयान न केवल एक धार्मिक नेता के रूप में उनकी सोच को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि मुस्लिम समाज के भीतर परिवर्तन की एक लहर चल रही है। जहां एक ओर वे सरकार से सहयोग की बात कर रहे हैं, वहीं अपने समाज को भी आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दे रहे हैं।
आरएसएस और भाजपा की तारीफ, कांग्रेस की आलोचना, मदरसों में सुधार और जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दों पर उनकी राय आने वाले समय में उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मुस्लिम राजनीति को नई दिशा दे सकती है।
अगर यह बयान केवल राजनीतिक मंच तक सीमित नहीं रहता और वास्तविक सुधारों की नींव बनता है, तो यह देश के बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक समाज के लिए एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है।