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सलेमपुर महदुद नहीं बनेगा अहिल्याबाई नगर!” ग्रामीणों ने उठाई विरोध भरी आवाज  मुख्यमंत्री की घोषणा से गांव में भड़का विरोध, ग्रामीण बोले – जिला मुख्यालय रोशनाबाद को देंना चाहिए ‘लोकमाता’ अहिल्याबाई होलकर का नाम प्राचीन विरासत, लोकतांत्रिक हक और सांस्कृतिक सम्मान को लेकर ग्रामीणों ने डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित को सौंपा ज्ञापन

इन्तजार रजा हरिद्वार- सलेमपुर महदुद नहीं बनेगा अहिल्याबाई नगर!” ग्रामीणों ने उठाई विरोध भरी आवाज 

मुख्यमंत्री की घोषणा से गांव में भड़का विरोध, ग्रामीण बोले – जिला मुख्यालय रोशनाबाद को देंना चाहिए ‘लोकमाता’ अहिल्याबाई होलकर का नाम

प्राचीन विरासत, लोकतांत्रिक हक और सांस्कृतिक सम्मान को लेकर ग्रामीणों ने डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित को सौंपा ज्ञापन

इन्तजार रजा, हरिद्वार
हरिद्वार जनपद के ऐतिहासिक गांव सलेमपुर महदूद में इन दिनों आक्रोश की लहर दौड़ रही है। वजह है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की वह घोषणा जो उन्होंने हाल ही में एक सार्वजनिक मंच से की, जिसमें उन्होंने कहा कि “ग्राम सभा सलेमपुर महदूद” का नाम, आवश्यक प्रक्रियाओं के बाद, लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के नाम पर रखा जाएगा। मुख्यमंत्री की इस घोषणा ने जहां एक ओर श्रद्धा का भाव जगाया, वहीं दूसरी ओर गांव वासियों को भीतर से झकझोर दिया।

गांव का ऐतिहासिक स्वरूप मिटाने की आशंका का आरोप 
सलेमपुर महदूद कोई सामान्य गांव नहीं, बल्कि सन् 1374 में स्थापित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध गांव है। ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव की पहचान सदियों से चली आ रही है और इसका नाम केवल एक ‘निवास स्थल’ नहीं, बल्कि उनकी पहचान, विरासत और इतिहास का प्रतीक है।

ग्रामीणों ने जताया विरोध
मुख्यमंत्री की इस घोषणा के तुरंत बाद गांव में विरोध के स्वर तेज हो गए। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि पप्पू पाटिल, पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत हरिद्वार राव आफाक अली, पप्पू पाटिल, राजवीर सिंह समाजसेवी, राव फरम ,राव माजिद, एडवोकेट गुलफाम अली, रिहान एडवोकेट, आरिफ अली, मोहित पाटिल , हफीज अहमद ,शाहनवाज अली, गुल सनव्वर अली समेत कई अन्य जनप्रतिनिधियों व नागरिकों ने डीएम कार्यालय पहुंचकर डीएम हरिद्वार मयूर दीक्षित को ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में उठी प्रमुख मांगें

ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को सौंपे गए ज्ञापन में चार मुख्य बातें स्पष्ट रूप से उठाई हैं:

  1. ग्राम सभा सलेमपुर महदूद का नाम नहीं बदला जाए – यह गांव ऐतिहासिक है और इसके नाम में किसी भी प्रकार का फेरबदल उनकी पहचान मिटाने जैसा होगा।
  2. हरिद्वार जिला मुख्यालय रोशनाबाद का नाम बदला जाए – यदि लोकमाता अहिल्याबाई के नाम से किसी स्थान का नामकरण आवश्यक है तो रोशनाबाद को चुना जाए, जो हरिद्वार का प्रशासनिक केंद्र है।
  3. किसी बड़ी योजना के साथ हो जुड़ाव – यदि सम्मान देना ही है तो किसी बड़े अस्पताल, विश्वविद्यालय, परिवहन टर्मिनल या सरकारी योजना का नाम लोकमाता के नाम पर रखा जाए।
  4. ग्राम सभा की खुली बैठक आयोजित हो – ताकि समस्त ग्रामवासियों की राय विधिवत रूप से दर्ज की जा सके और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन हो।

सलेमपुर महदुद गांव के प्रमुखों की आवाज

पप्पू पाटिल (प्रधान प्रतिनिधि सलेमपुर महदुद):
“हम लोकमाता अहिल्याबाई को देवी मानते हैं, लेकिन उनका सम्मान किसी बड़े और प्रभावशाली स्थान से जुड़ना चाहिए, न कि हमारे गांव की ऐतिहासिक पहचान को मिटाकर।”

राव आफाक अली (पूर्व अध्यक्ष  जिला पंचायत हरिद्वार):
“गांव का नाम बदलकर न तो माता जी का सम्मान बढ़ेगा और न हमारी भावना को संतोष मिलेगा। हमें गर्व है कि हम सलेमपुर के निवासी हैं, यह नाम हमारा गौरव है।”

एडवोकेट राव गुलफाम अली:
“यह निर्णय लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विपरीत है। बिना गांववासियों की सहमति के किसी भी तरह का नाम परिवर्तन तानाशाही जैसा है।”

गुलशनव्वर उर्फ़ बूला चौधरी:
“हम चाहते हैं माता अहिल्याबाई को बड़ा सम्मान मिले, लेकिन छोटे गांव के नाम को मिटाना उनकी महानता के साथ भी न्याय नहीं है।”

लोकमाता का सम्मान सभी चाहते हैं, पर कैसे?

ग्रामवासियों का कहना है कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर भारत की महानतम महिला शासकों में से एक थीं। उनके नाम को छोटे स्तर पर जोड़ना स्वयं उनके योगदान को कम आंकने जैसा होगा। गांव वालों की भावनाओं को समझते हुए स्पष्ट हो रहा है कि वे विरोध नहीं कर रहे, बल्कि सम्मानजनक समाधान की मांग कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर भी उठा विरोध

मुख्यमंत्री की सलेमपुर महदुद गांव का नाम बदलने की घोषणा के बाद यह मुद्दा सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया है।
#SaveSalempur और #RespectAhilyabai जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग इस निर्णय को असंवेदनशील और जल्दबाजी में लिया गया बता रहे हैं। कई यूज़र्स ने लिखा – “धरोहर को मिटाकर श्रद्धा नहीं दिखाई जाती, उसे सहेज कर बढ़ाया जाता है।”

हम धनगर समाज के भी सम्मान के पक्ष में

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि रावली महदूद सहित आसपास के क्षेत्रों में धनगर समाज की बड़ी आबादी निवास करती है, जो लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को देवी तुल्य मानती है। ऐसे में यदि कोई बड़ा संस्थान या योजनागत सम्मान दिया जाए तो यह पूरे समाज और क्षैत्र का गौरव बढ़ाएगा।

नाम बदलने की राजनीति या प्रशासनिक असंवेदनशीलता?

राजनीतिक हलकों में भी अब इस मसले पर चर्चा हो रही है। कुछ लोगों का मानना है कि सरकार इस निर्णय से एक विशेष समुदाय पर निशाना साधना चाहती है, जबकि कुछ इसे प्रशासनिक असावधानी मानते हैं, जो स्थानीय भावनाओं को दरकिनार कर लिया गया।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन?

ग्रामवासियों का यह भी कहना है कि यदि पंचायत की खुली बैठक करवा ली जाती और वहां की राय के आधार पर प्रस्ताव पास किया जाता तो आज विरोध की यह स्थिति नहीं बनती।
बिना जनसहमति कोई भी बदलाव लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है।

समाधान संवाद से निकलेगा, न कि आदेश से

यह मुद्दा केवल नाम बदलने का नहीं है, यह प्रश्न है गौरव, पहचान और सहभागिता का। सरकार को चाहिए कि वह जनसंवाद की परंपरा को आगे बढ़ाए और किसी भी निर्णय को लागू करने से पहले स्थानीय लोगों की राय को महत्व दे।

सलेमपुर महदूद के लोग लोकमाता अहिल्याबाई के नाम का विरोध नहीं कर रहे, बल्कि वे चाहते हैं कि उनके नाम का इस्तेमाल ऐसी किसी योजना या संरचना के लिए हो, जिससे उनका राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान हो। ऐसे में अगर सरकार समय रहते संवाद का रास्ता अपनाए, तो यह निर्णय संवेदनशीलता और लोकतंत्र दोनों की मिसाल बन सकता है।

हरिद्वार के ग्राम रोशनाबाद में ऑल इंडिया धनगर समाज और लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर महासंघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शिरकत की थी इसी कार्यक्रम में सीएम ने प्रस्ताव मिलने पर ग्राम सभा सलेमपुर महदुद का नाम बदलने की मंच से घोषणा की थी


रिपोर्ट: इन्तजार रजा,
Daily Live Uttarakhand

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