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नाम परिवर्तन पर विराम “वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम” रहेगा अपने नाम पर अडिग मुख्यमंत्री धामी बोले – खिलाड़ियों के नाम से प्रदेश को मिलती है प्रेरणा, फैलाई जा रही थी झूठी अफवाह

इन्तजार रजा हरिद्वार-  नाम परिवर्तन पर विराम
“वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम” रहेगा अपने नाम पर अडिग
मुख्यमंत्री धामी बोले – खिलाड़ियों के नाम से प्रदेश को मिलती है प्रेरणा, फैलाई जा रही थी झूठी अफवाह

Daily Live Uttarakhand | विशेष रिपोर्ट | हरिद्वार |

हरिद्वार में वंदना कटारिया स्पोर्ट्स स्टेडियम के नाम परिवर्तन को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रही अफवाहों और राजनीतिक बयानबाजी पर अब पूरी तरह विराम लग गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देते हुए दो टूक कहा कि स्टेडियम का नाम नहीं बदला जा रहा है और इसे लेकर सिर्फ “राजनीतिक भ्रमजाल” फैलाया जा रहा था।

मुख्यमंत्री का यह बयान उन अफवाहों पर करारा प्रहार है, जिनमें कहा जा रहा था कि स्टेडियम का नाम किसी राजनीतिक नेता के नाम पर बदला जा रहा है। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि वंदना कटारिया और मनोज सरकार जैसे खिलाड़ी उत्तराखंड की असली पहचान हैं, और उनकी उपलब्धियों को भुलाया नहीं जा सकता।

◼ खेल प्रतिभाओं के सम्मान में कोई समझौता नहीं: मुख्यमंत्री धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार प्रवास के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए स्पष्ट कहा:

“हमारे युवा खिलाड़ी राज्य का नाम ऊंचा कर रहे हैं। वंदना कटारिया हों या मनोज सरकार, ये ऐसे नाम हैं जो हर युवा के लिए प्रेरणा हैं। इनकी मेहनत, संघर्ष और उपलब्धियों को देखते हुए इनके नाम पर बने संस्थानों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। स्टेडियम का नाम बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं है, न ही कोई ऐसी मंशा।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार खेलों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और राज्य के होनहार खिलाड़ियों को उचित सम्मान देने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

◼ वंदना कटारिया की दो टूक – “नाम परिवर्तन की बात निराधार”

इस विवाद में उस समय और स्पष्टता आ गई जब हॉकी स्टार वंदना कटारिया ने स्वयं सामने आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। दर्जाधारी राज्य मंत्री देशराज कर्णवाल और पूर्व कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के साथ मंच साझा करते हुए उन्होंने कहा:

“स्टेडियम का नाम बदलने की कोई सच्चाई नहीं है। कुछ लोग अफवाहें फैला रहे हैं। सरकार ने इस स्टेडियम का नाम मेरे नाम पर रखा, यह मेरे लिए सम्मान की बात है। और इसे बदलने की कोई जरूरत नहीं है।”

वंदना का यह बयान जहां खेलप्रेमियों के लिए सुकून देने वाला था, वहीं अफवाह फैलाने वालों के लिए एक कड़ा जवाब भी।


◼ राजनीति की ओट में खेल भावनाओं पर प्रहार?

जानकारों का मानना है कि इस पूरे नाम परिवर्तन विवाद के पीछे एक सुनियोजित राजनीतिक साजिश थी। कुछ स्थानीय नेताओं और उनके समर्थकों द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा था कि स्टेडियम का नाम बदलकर किसी प्रभावशाली राजनीतिक नेता के नाम पर किया जा रहा है।

हालांकि ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर थी। स्टेडियम आज भी वंदना कटारिया के नाम पर है और रहेगा। अफवाहों का मकसद सिर्फ अस्थिरता और जनभावनाओं को भड़काना था।


◼ खिलाड़ी बोले – “नाम नहीं, सम्मान चाहिए”

इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कुछ पूर्व और वर्तमान खिलाड़ियों ने कहा कि नाम बदलने का मुद्दा नहीं उठाना चाहिए।

हरिद्वार के पैरालंपिक खिलाड़ी मनोज सरकार ने कहा:

“वंदना दीदी हमारे लिए प्रेरणा हैं। सरकार ने जब स्टेडियम का नाम उनके नाम पर रखा, तो यह हम सबके लिए गर्व का विषय था। अब जब ऐसी अफवाहें फैलती हैं, तो यह खिलाड़ियों की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।”

खेल जगत से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता राकेश बिष्ट ने भी सवाल उठाए कि:

“खेल संस्थानों के नाम बदलने की बजाय सुविधाएं बेहतर करने पर ध्यान देना चाहिए। खिलाड़ियों को बेहतर ट्रेनिंग, उपकरण, और आर्थिक मदद की जरूरत है।”


◼ नाम बदलने की जगह खेल ढांचे पर हो फोकस

उत्तराखंड में खेल ढांचे की स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं कही जा सकती। कई जिलों में स्टेडियम या तो अधूरे हैं या बदहाल। राज्य सरकार यदि वास्तव में खेलों को लेकर गंभीर है, तो उसे नामकरण से ज़्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना चाहिए।

हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जैसे जिलों में खेल प्रतिभाएं तो हैं, लेकिन सुविधाओं की भारी कमी है। खिलाड़ियों के लिए उच्च गुणवत्ता की ट्रेनिंग और कोचिंग की व्यवस्था अब भी सपना बनी हुई है।


◼ अफवाह फैलाने वालों पर हो कार्रवाई: जनभावना

स्थानीय नागरिकों और खेलप्रेमियों ने मांग की है कि ऐसी झूठी अफवाहें फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
कुंभ क्षेत्र के समाजसेवी वीरेंद्र सैनी ने कहा:

“इस तरह की साजिशें सिर्फ प्रदेश की छवि खराब करती हैं। खिलाड़ियों के सम्मान को राजनीतिक हथियार नहीं बनाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह ऐसे मामलों में स्पष्ट नीति बनाए और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटे।”

पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड:

“वंदना कटारिया जैसे खिलाड़ी हमारे गौरव हैं। उनके नाम पर बने स्टेडियम का नाम बदलने का सवाल ही नहीं उठता। अफवाहें सिर्फ लोगों को गुमराह करने के लिए फैलाई गई थीं।”

देशराज कर्णवाल, दर्जाधारी राज्य मंत्री:

“राज्य सरकार खिलाड़ियों को सर्वोच्च सम्मान देने के लिए प्रतिबद्ध है। वंदना कटारिया हमारे लिए एक आदर्श हैं।”


◼ निष्कर्ष: अफवाहों का खेल खत्म, खिलाड़ियों का सम्मान बरकरार

हरिद्वार में वंदना कटारिया स्टेडियम को लेकर फैलाई गई अफवाहें आखिरकार सच्चाई के सामने टिक नहीं पाईं। मुख्यमंत्री से लेकर स्वयं वंदना कटारिया तक सभी ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि न तो स्टेडियम का नाम बदला गया है, न ही भविष्य में ऐसा कोई इरादा है।

यह मामला एक बार फिर यह दिखाता है कि राजनीति और अफवाहों के इस दौर में सच्चाई को सामने लाना कितना आवश्यक हो गया है। उम्मीद है कि अब भविष्य में खिलाड़ी सम्मान की राजनीति का शिकार नहीं बनेंगे, बल्कि उनके नाम और कार्य देश व प्रदेश के युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे।


रिपोर्टर: Daily Live Uttarakhand टीम
स्थान: हरिद्वार
तारीख: 1 जून 2025

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