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महिला सुरक्षा व सशक्तिकरण की नई पहल, बिखरते परिवारों को जोड़ने में जुटा महिला ऐच्छिक ब्यूरो, सम्मान, समझौता और सहमति से मिल रहा है रिश्तों को नया जीवन

इन्तजार रजा हरिद्वार- महिला सुरक्षा व सशक्तिकरण की नई पहल,
बिखरते परिवारों को जोड़ने में जुटा महिला ऐच्छिक ब्यूरो,
सम्मान, समझौता और सहमति से मिल रहा है रिश्तों को नया जीवन

हरिद्वार। महिला सुरक्षा और पारिवारिक एकता को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से महिला हेल्पलाइन मायापुर द्वारा एक सराहनीय पहल की जा रही है। आज दिनांक 24 मई 2025 को रिजर्व पुलिस लाइन रोशनाबाद हरिद्वार में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र सिंह डोबाल के दिशा-निर्देशन में महिला ऐच्छिक ब्यूरो की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य था—बिखरते हुए परिवारों को जोड़ना और आपसी संवाद व सहमति के माध्यम से घरेलू विवादों का समाधान निकालना।

बैठक में नोडल अधिकारी महिला सुरक्षा/हेल्पलाइन अविनाश वर्मा (पुलिस उपाधीक्षक/क्षेत्राधिकारी ज्वालापुर), मनोवैज्ञानिक अरुण कुमार, समाजशास्त्री विनोद शर्मा, अधिवक्ता रीमा साहीम, शिक्षिका रंजना शर्मा, प्रभारी महिला हेल्पलाइन मायापुर उ0नि0 अनीता शर्मा, कांस्टेबल पंकज रावत और महिला कांस्टेबल आंचल मनवाल मौजूद रहे। इन सभी ने मिलकर गहन संवेदनशीलता के साथ महिला हेल्पलाइन हरिद्वार में दर्ज जटिल पारिवारिक विवादों की समीक्षा की और दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाकर बातचीत करवाई।

बैठक के दौरान कुल 06 पारिवारिक मामलों पर चर्चा की गई। इनमें से 04 मामलों में महिला ऐच्छिक ब्यूरो के प्रयासों और सकारात्मक माहौल की बदौलत पति-पत्नी आपसी सहमति से साथ रहने को राजी हो गए। इन परिवारों में जहां पहले तनाव और दूरी थी, अब फिर से संवाद और विश्वास की बहाली हुई है। शेष 02 मामलों में पति-पत्नी को सोचने और समझने का समय देते हुए परिवार की अहमियत को समझाया गया। दोनों पक्षों ने भी सहमति जताई कि वे जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे और रिश्ते को एक और मौका देंगे।

महिला हेल्पलाइन की यह पहल न केवल महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा कर रही है, बल्कि परिवारों को टूटने से बचाने में भी अहम भूमिका निभा रही है। ऐसे प्रयास समाज में सकारात्मक संदेश देते हैं कि समस्याओं का समाधान संवाद से संभव है। एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि पुलिस केवल कानून व्यवस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारियों के निर्वहन में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है।

इस पहल के जरिए यह संदेश स्पष्ट होता है कि हर महिला को सम्मान मिलना चाहिए, और परिवार ही उसकी सबसे बड़ी पहचान है।

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