आपदा सखी योजना से बढ़ेगी महिला भागीदारी, मुख्यमंत्री धामी ने “Monsoon -2025: Preparedness” कार्यशाला में की घोषणा, आपदा प्रबंधन को लेकर राज्य को बनाया जा रहा और अधिक सतर्क और संवेदनशील

इन्तजार रजा हरिद्वार- आपदा सखी योजना से बढ़ेगी महिला भागीदारी,
मुख्यमंत्री धामी ने “Monsoon -2025: Preparedness” कार्यशाला में की घोषणा,
आपदा प्रबंधन को लेकर राज्य को बनाया जा रहा और अधिक सतर्क और संवेदनशील
देहरादून, 31 मई।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्राधिकरण द्वारा आयोजित “Monsoon -2025: Preparedness” कार्यशाला में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने “आपदा मित्र योजना” की तर्ज पर “आपदा सखी योजना” शुरू करने की घोषणा करते हुए बताया कि यह योजना महिला सशक्तिकरण और आपदा प्रबंधन में सामुदायिक सहभागिता को नया आयाम देगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “आपदा सखी योजना” के तहत महिला स्वयंसेवकों को चेतावनी तंत्र, प्राथमिक चिकित्सा, राहत और बचाव कार्यों के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक सहायता देने हेतु प्रशिक्षित किया जाएगा। यह न केवल महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि आपदा प्रबंधन प्रणाली को अधिक व्यापक और प्रभावी बनाएगा।
प्राकृतिक आपदाओं से निपटने को चाहिए प्रोएक्टिव रणनीति
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड एक संवेदनशील पर्वतीय राज्य है, जहां भूकंप, भूस्खलन, बादल फटना और बाढ़ जैसी आपदाएं लगातार चुनौती बनी रहती हैं। इन परिस्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया, सतर्कता और आपसी समन्वय से ही जन-धन की हानि को कम किया जा सकता है।
उन्होंने वर्ष 2024 में गौरीकुंड और टिहरी के तोली गांव में आई आपदाओं का उदाहरण देते हुए बताया कि समय पर कार्रवाई कर हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी। उन्होंने दोहराया कि “प्रोएक्टिव और रिएक्टिव अप्रोच” दोनों ही आपदा प्रबंधन में अनिवार्य हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, “आपदा प्रबंधन केवल किसी एक विभाग का काम नहीं है, बल्कि यह सभी विभागों और नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है। जब तक समाज सतर्क, जागरूक और प्रशिक्षित नहीं होगा, सरकारी प्रयासों का प्रभाव सीमित रहेगा।”
एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सैन्य बलों से तालमेल का आह्वान
मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि वे एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सैन्य बलों से नियमित समन्वय बनाए रखें। संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर जेसीबी, क्रेन जैसे उपकरणों की तैनाती पूर्व से सुनिश्चित की जाए। साथ ही पुराने एवं जर्जर पुलों की तकनीकी जांच कर आवश्यकतानुसार बैली ब्रिज और वैकल्पिक व्यवस्थाएं बनाई जाएं।
मुख्यमंत्री ने नदियों के किनारे बसे इलाकों में जलस्तर की निगरानी के लिए तकनीकी यंत्रों की स्थापना, मानव संसाधनों की तैनाती और सभी जिलों में खाद्यान्न, ईंधन, पेयजल एवं जीवनरक्षक औषधियों की पर्याप्त आपूर्ति के निर्देश भी दिए। उन्होंने यह भी कहा कि सभी तैयारियों को मानसून शुरू होने से पहले ही पूर्ण कर लिया जाए।
एनडीएमए ने उत्तराखण्ड को दिए 200 करोड़ से अधिक, चारधाम यात्रा प्रबंधन की सराहना
कार्यक्रम में मौजूद राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य श्री राजेंद्र सिंह ने उत्तराखण्ड सरकार की तैयारियों की सराहना करते हुए बताया कि आगामी मानसून में राज्य में सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना है। ऐसे में 15 जून से सितंबर तक का समय आपदा के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण होगा।
उन्होंने जानकारी दी कि एनडीएमए ने उत्तराखण्ड को भूस्खलन की रोकथाम हेतु ₹140 करोड़ तथा संवेदनशील झीलों के लिए ₹40 करोड़ का आवंटन किया है। वहीं, फॉरेस्ट फायर की तैयारी के लिए ₹16 करोड़ की योजना को भी स्वीकृति प्रदान की गई है।
श्री सिंह ने कहा, “उत्तराखण्ड सरकार की ओर से चारधाम यात्रा का प्रबंधन अत्यंत सुचारु रूप से किया गया है। यह एक मिसाल है कि किस प्रकार राज्य आपदा संभावित परिस्थितियों में भी व्यवस्थित संचालन कर सकता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि पूरे देश के लिए आपदा गाइडलाइन एनडीएमए द्वारा तैयार की गई हैं, जिन्हें जिलों तक पहुंचाना आवश्यक है।
कार्यशाला में विशेषज्ञों और अधिकारियों की रही भागीदारी
इस कार्यशाला में उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष श्री विनय रोहेला, मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु, सचिव आपदा श्री विनोद कुमार सुमन, सचिव श्री शैलेश बगौली, प्रमुख वन संरक्षक श्री धनंजय मोहन सहित विभिन्न विभागों के प्रमुख अधिकारी, तकनीकी विशेषज्ञ और संस्थानों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
कार्यशाला का उद्देश्य राज्य के आपदा प्रबंधन तंत्र को और अधिक सुदृढ़ करना तथा मानसून पूर्व तैयारियों की गहन समीक्षा कर सभी विभागों में सामंजस्य स्थापित करना था।
उत्तराखण्ड जैसे संवेदनशील राज्य के लिए आपदा प्रबंधन केवल एक सरकारी प्रक्रिया नहीं बल्कि सामाजिक दायित्व है। मुख्यमंत्री द्वारा “आपदा सखी योजना” की घोषणा महिला सशक्तिकरण और सामुदायिक आपदा प्रबंधन को मजबूती देने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। मानसून-2025 को लेकर राज्य सरकार, एनडीएमए और सभी संबंधित विभागों द्वारा की जा रही तैयारियां यह संकेत देती हैं कि उत्तराखण्ड अब आपदाओं से जूझने के लिए पहले से कहीं अधिक सजग और सक्रिय है।