Travelअपराधउत्तराखंडएक्सक्लूसिव खबरेंदुर्घटनादेहारादूनधर्म और आस्थापॉलिटिकल तड़काप्रशासनस्वास्थ्य

बहादराबाद क्षैत्र के सुमन नगर की ‘बंद सड़क’ का आखिरी क्या है सच: बनी भी, बंद भी – सुमन नगर की रहस्यमयी सड़क गुणवत्ता पर शक या घोटाले की पटकथा? जनता जानना चाहती है जवाब लेकिन जब “Daily Live Uttarakhand” ने इस सड़क की पड़ताल कर सवाल उठाए, तो विभाग की नींद टूटी। खबर का बड़ा असर हुआ – दबाव बढ़ा, तो आनन-फानन में गड्ढे भरने शुरू कर दिए गए।

लेकिन जब "Daily Live Uttarakhand" ने इस सड़क की पड़ताल कर सवाल उठाए, तो विभाग की नींद टूटी। खबर का बड़ा असर हुआ – दबाव बढ़ा, तो आनन-फानन में गड्ढे भरने शुरू कर दिए गए। फिलहाल सड़क जरूर खुल गई है, लेकिन "डेली लाइव उत्तराखंड" की इस पड़ताल ने बहादराबाद में विभागीय कार्यप्रणाली की परतें उधेड़ दी हैं। अब जनता सिर्फ सड़क पर नहीं चलना चाहती, वह सच की राह पर भी जवाबों के साथ चलना चाहती है। सवाल अब भी वहीं हैं – और जवाब देने वाला कोई नहीं।

बहादराबाद क्षैत्र के सुमन नगर की ‘बंद सड़क’ का आखिरी क्या है सच:

बनी भी, बंद भी – सुमन नगर की रहस्यमयी सड़क

गुणवत्ता पर शक या घोटाले की पटकथा? जनता जानना चाहती है जवाब

 

लेकिन जब “Daily Live Uttarakhand” ने इस सड़क की पड़ताल कर सवाल उठाए, तो विभाग की नींद टूटी। खबर का बड़ा असर हुआ – दबाव बढ़ा, तो आनन-फानन में गड्ढे भरने शुरू कर दिए गए।

फिलहाल सड़क जरूर खुल गई है, लेकिन “डेली लाइव उत्तराखंड” की इस पड़ताल ने बहादराबाद में विभागीय कार्यप्रणाली की परतें उधेड़ दी हैं। अब जनता सिर्फ सड़क पर नहीं चलना चाहती, वह सच की राह पर भी जवाबों के साथ चलना चाहती है। सवाल अब भी वहीं हैं – और जवाब देने वाला कोई नहीं।

इन्तजार रजा, हरिद्वार
हरिद्वार के बहादराबाद क्षेत्र में सुमन नगर की 500 मीटर लंबी सड़क पिछले एक महीने से ‘बनी हुई बंद सड़क’ के नाम से कुख्यात हो चुकी है। पथरी रौ नदी के किनारे बनाई गई यह सड़क प्रशासनिक तंत्र की कार्यशैली पर बड़ा सवालिया निशान बनकर खड़ी है। न उद्घाटन हुआ, न उपयोग शुरू – क्योंकि इसके चारों ओर खुदे खड्डों ने इसे जानबूझकर ‘अघोषित रूप से प्रतिबंधित’ कर रखा था।

फाइल फोटो

लेकिन जब “Daily Live Uttarakhand” ने इस सड़क की पड़ताल कर सवाल उठाए, तो विभाग की नींद टूटी। खबर का बड़ा असर हुआ – दबाव बढ़ा, तो आनन-फानन में गड्ढे भरने शुरू कर दिए गए।

जब पत्रकारिता बनी आवाज़ – तब जाकर प्रशासन जागा

हमने अपनी पिछली रिपोर्ट में सवाल उठाए थे – क्या विभाग और ठेकेदार को अपनी ही बनाई सड़क पर भरोसा नहीं? क्या ये गड्ढे गुणवत्ता छुपाने का हथियार थे? और इन सवालों ने जो असर दिखाया, वह अब सबके सामने है। कई हफ्तों से ठप पड़ी सड़क को जनता के लिए खोलने का काम एकदम से शुरू हो गया, जैसे सब कुछ पहले से तैयार रखा गया हो – बस दबाव का इंतज़ार था।

अब सड़क खुली, पर सवाल और गहरे हो गए

अब जब सड़क पर गाड़ियों का आवागमन शुरू हो गया है, तब असली सवालों का जवाब देना और भी जरूरी हो गया है। आखिर एक महीने तक यह सड़क किस वजह से बंद रखी गई? किन कारणों से इसके चारों ओर गड्ढे खोदे गए थे? क्या यह कोई तयशुदा रणनीति थी ताकि सड़क की गुणवत्ता की जांच से पहले ही उसे ‘ठीक’ कर लिया जाए?

घोटाले की जमीन या लापरवाही की इमारत?

जनता अब यह जानना चाहती है कि यह पूरा मामला केवल लापरवाही थी या फिर किसी निर्माण घोटाले की परछाईं? सड़क पर लगाए गए ताले और खोदे गए खड्डे आखिर किसके आदेश से बने? किस अधिकारी ने इसकी मंजूरी दी? और क्या विभागीय कार्रवाई होगी या हमेशा की तरह फाइलों में दबी सच्चाई को समय के हवाले कर दिया जाएगा?

जनता के सवाल – जवाब कौन देगा?

  • क्या निर्माण सामग्री मानकों के अनुरूप थी?
  • क्या किसी स्वतंत्र एजेंसी से गुणवत्ता जांच कराई गई?
  • क्या संबंधित ठेकेदार को बचाने की कोशिश हो रही है?
  • क्या यह एक और ‘बनाओ और भूल जाओ’ योजना थी?

फिलहाल सड़क जरूर खुल गई है, लेकिन “डेली लाइव उत्तराखंड” की इस पड़ताल ने बहादराबाद में विभागीय कार्यप्रणाली की शायद परतें उधेड़ दी हैं। अब जनता सिर्फ सड़क पर नहीं चलना चाहती, वह सच की राह पर भी जवाबों के साथ चलना चाहती है। सवाल अब भी वहीं हैं – और जवाब देने वाला कोई नहीं।

Related Articles

Back to top button
× Contact us