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सिडकुल-बहादराबाद रोड पर आये दिन हादसों से दहलता हरिद्वार,, सड़क चौड़ीकरण की आधी-अधूरी योजना और सड़क के दोनों किनारो पर बेतरतीब खड़े वाहनों के अतिक्रमण ने बढ़ाई मौतों की रफ्तार,, सिडकुल बहादराबाद रोड के दोनों किनारे अवैध पार्किंग स्पॉट में हो रहे तब्दील , सरकार और प्रशासन के आदेशों को ठेंगा दिखाती व्यवस्थाएं, प्रशासन के सामने खड़ा बड़ा सवाल,, कई बार हुई कार्रवाई से भी कोई खास सबक नहीं

इन्तजार रजा हरिद्वार- सिडकुल-बहादराबाद रोड पर आये दिन हादसों से दहलता हरिद्वार,,

सड़क चौड़ीकरण की आधी-अधूरी योजना और सड़क के दोनों किनारो पर बेतरतीब खड़े वाहनों के अतिक्रमण ने बढ़ाई मौतों की रफ्तार,, सिडकुल बहादराबाद रोड के दोनों किनारे अवैध पार्किंग स्पॉट में हो रहे तब्दील ,,

सरकार और प्रशासन के आदेशों को ठेंगा दिखाती व्यवस्थाएं, प्रशासन के सामने एक सवाल,, कई बार हुई कार्रवाई से कोई भी खास सबक नहीं

हरिद्वार का सलेमपुर चौक अब हादसों का पर्याय बन चुका है। कभी धार्मिक आस्था और औद्योगिक नगरी के तौर पर पहचाने जाने वाला हरिद्वार आज एक ऐसी सड़क समस्या से जूझ रहा है, जो हर दिन किसी न किसी परिवार का चिराग बुझा रही है। सिडकुल बायपास, जहां से रोज़ाना हजारों वाहन गुजरते हैं, अब लोगों के लिए “जीवन का मार्ग” नहीं बल्कि “मौत की सुरंग” साबित हो रहा है।

हादसों की काली गाथा—हर दिन मौत का इंतजार

शनिवार को हुए ताजा हादसे ने एक बार फिर इस सड़क की भयावह स्थिति को उजागर कर दिया। सड़क की चौड़ाई न होने और अतिक्रमण की वजह से एक और निर्दोष शख्स ने अपनी जान गंवा दी। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली मौत नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में यहां अनगिनत लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हालत यह है कि अब लोग इस चौक को “मौत का चौराहा” कहने लगे हैं।

सड़क चौड़ीकरण की आधी-अधूरी योजना बनी मौत की वजह

प्रशासन ने सड़क चौड़ीकरण का काम तो शुरू किया, लेकिन वह भी अधूरा और बिना दूरदर्शिता के। हड़बड़ी में सड़क के दोनों ओर नाले बना दिए गए। नतीजा यह हुआ कि सड़क और भी संकरी हो गई। सबसे बड़ी समस्या यह है कि इन नालों को अतिक्रमणकारियों ने ही पाटकर अपने लिए जगह बना ली। यानी सड़क चौड़ीकरण का असल मकसद ही खत्म कर दिया गया। यह सीधे तौर पर धामी सरकार के उस सपने और आदेश को ठेंगा दिखाने जैसा है, जिसमें प्रदेश को अतिक्रमण मुक्त बनाने की बात कही गई थी।

सड़क का 75% हिस्सा बन गया पार्किंग स्पॉट

आज हालात यह हैं कि सड़क के दोनों ओर ट्रक, ट्रेलर और अन्य भारी वाहन खड़े रहते हैं। इनमें से कई तो हफ्तों तक वहीं जमे रहते हैं। इससे सड़क का करीब 75% हिस्सा वाहनों की अवैध पार्किंग में तब्दील हो चुका है, जबकि महज़ 25% हिस्सा ही यातायात के लिए बचता है। ऐसे में सड़क पर गुजरने वाले वाहन एक-दूसरे से टकराने से बच ही नहीं पाते। यही वजह है कि हादसों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है।

धामी सरकार की सख्ती पर प्रशासन की लापरवाही भारी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बार-बार प्रदेश को अतिक्रमण मुक्त बनाने और सुचारू यातायात सुनिश्चित करने की बात कर चुके हैं। लेकिन हरिद्वार में तस्वीर ठीक इसके उलट है। प्रशासन की लापरवाहियों ने सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ा दी हैं। सवाल यह है कि सड़क पर खड़े इन अवैध वाहनों को हटाने की हिम्मत प्रशासन क्यों नहीं जुटा पाता? क्या बड़े वाहन मालिकों की मिलीभगत से ही यह अराजकता कायम है?

लगातार बढ़ते हादसे और गुस्से में जनता

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक सड़क चौड़ीकरण और अतिक्रमण हटाने की ठोस कार्रवाई नहीं होगी, तब तक हादसों का सिलसिला नहीं थमेगा। लोग यह भी पूछ रहे हैं कि जब प्रशासन जानता है कि यह सड़क हादसों का अड्डा बन चुकी है, तो फिर क्यों कोई ठोस और स्थायी समाधान नहीं निकाला जा रहा है। जनता अब खुलकर कह रही है कि प्रशासन सिर्फ हादसों की गिनती कर रहा है, लेकिन पीड़ित परिवारों की चीखें सुनने वाला कोई नहीं है।

प्रशासन के सामने खड़े बड़े सवाल

  1. जब सड़क का 75% हिस्सा वाहनों की अवैध पार्किंग में तब्दील हो चुका है, तो इन्हें हटाने की कार्रवाई क्यों नहीं होती?
  2. जब चौड़ीकरण के नाम पर नाले बनाए गए थे, तो अतिक्रमणकारियों ने इन्हें कैसे पाट दिया?
  3. सरकार के अतिक्रमण मुक्त प्रदेश के आदेशों का पालन क्यों नहीं हो रहा?
  4. आखिर कब तक लोग इस सड़क पर अपनी जान गंवाते रहेंगे?

सड़क को मौत की सुरंग कहना गलत नहीं होगा

आज सिडकुल बायपास का हाल यह है कि यहां हर वक्त मौत मंडराती है। जगह-जगह खड़े ट्रक और ट्रेलर, आधी-अधूरी चौड़ीकरण योजना और अतिक्रमण ने इस मार्ग को मौत की सुरंग में तब्दील कर दिया है। लोग कहते हैं कि अगर यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में और बड़ी दुर्घटनाएं होना तय है।

जरूरत बड़े स्तर के अभियान की

अब वक्त आ गया है कि प्रशासन नींद से जागे और इस सड़क को बचाने के लिए बड़ा अभियान चलाए। चौड़ीकरण को वास्तविक रूप दिया जाए, सड़क के दोनों ओर खड़े वाहनों को तुरंत हटाया जाए और अतिक्रमण पर सख्त कार्रवाई की जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो जनता मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाएगी और तब प्रशासन को कहीं मुंह छुपाने की जगह नहीं मिलेगी।

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