CSR फंड में करोड़ों की धांधली का आरोप,, बाहरी NGO को ठेका, स्थानीय विकास धरातल से नदारद,, सुराज सेवा दल ने MSME सचिव को सौंपा ज्ञापन, उच्च स्तरीय जांच की मांग

इन्तजार रजा हरिद्वार-CSR फंड में करोड़ों की धांधली का आरोप,,
बाहरी NGO को ठेका, स्थानीय विकास धरातल से नदारद,,
सुराज सेवा दल ने MSME सचिव को सौंपा ज्ञापन, उच्च स्तरीय जांच की मांग
हरिद्वार | डेली लाइव उत्तराखंड | 30 जून 2025
उत्तराखंड के प्रमुख औद्योगिक केंद्र हरिद्वार में CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड के उपयोग को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है। अंतरात्मा को झकझोर देने वाली इस जानकारी को लेकर सुराज सेवा दल ने उद्योग विभाग के सचिव को ज्ञापन सौंपते हुए पैनासोनिक लाइट सॉल्यूशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर सीधा आरोप लगाया है कि कंपनी ने वर्ष 2023-24 में CSR मद से करोड़ों रुपये का खर्च कागज़ों पर दर्शाया, जबकि ज़मीनी हकीकत इससे एकदम विपरीत है।
सुराज सेवा दल के प्रदेश अध्यक्ष रमेश जोशी ने कहा कि यह मामला सिर्फ़ वित्तीय अनियमितता नहीं बल्कि CSR की मूल भावना के साथ धोखा है। ग्रामीण विकास, स्थानीय रोजगार और सामाजिक सहभागिता जैसे विषयों को दरकिनार कर, कंपनियां बाहरी NGOs के साथ गठजोड़ बनाकर इस कोष का दुरुपयोग कर रही हैं।
📍 हलजोरा बना ‘मॉडल गांव’ काग़ज़ों में, धरातल पर विकास गायब
ज्ञापन में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि हरिद्वार के भगवानपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम हलजोरा में पैनासोनिक द्वारा ‘विलेज डेवलपमेंट प्रोजेक्ट’ नामक योजना चलाई गई। कंपनी ने दावा किया कि उसने CSR फंड के अंतर्गत सड़क निर्माण, पेयजल सुविधा, महिलाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, डिजिटल एजुकेशन व सामुदायिक भवन निर्माण जैसे कार्यों पर करोड़ों रुपये खर्च किए।
परंतु गांव के ज़मीनी हालात इस कथित विकास की पोल खोलते हैं। ग्रामीणों के अनुसार—
“कंपनी के लोगों ने सिर्फ़ बोर्ड लगाए और दो-तीन कार्यक्रमों की फ़ोटो खिंचवा कर चले गए। हकीकत में न सड़क बनी, न कोई महिला समूह सक्रिय है और न ही स्कूल में कोई नई सुविधा जुड़ी।”
यह कार्य BAIF नामक मसूरी स्थित एक NGO को दिया गया, जिसकी न कोई स्थानीय पहचान है और न ही प्रशासनिक स्वीकृति। आश्चर्य की बात यह है कि जिलाधिकारी कार्यालय को भी इस परियोजना की विधिवत सूचना तक नहीं दी गई।
📍 स्थानीय NGO को हटाकर दिया बाहर की संस्था को काम
CSR कार्यों की पारदर्शिता पर और भी प्रश्न तब खड़े हुए जब शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत हरिद्वार के एक अनुभवी स्थानीय NGO को हटाकर कंपनी ने नैनीताल स्थित ‘चिराग फाउंडेशन’ को शिक्षा परियोजना का जिम्मा सौंप दिया। यह निर्णय भी गुपचुप ढंग से लिया गया और मुख्य शिक्षा अधिकारी (C.E.O.) को इस बदलाव की जानकारी तक नहीं दी गई।
सुराज सेवा दल ने इसे CSR कानून और शासन व्यवस्था की खुली अवहेलना बताया है।
📝 ज्ञापन में उठाई गईं चार मुख्य मांगें
- CSR फंड के खर्च की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच:
पैनासोनिक कंपनी द्वारा पिछले दो वर्षों में CSR मद में किए गए समस्त खर्चों की स्वतंत्र जांच कराई जाए। - जिला स्तर पर निगरानी तंत्र की स्थापना:
CSR कार्यों की स्वीकृति और निगरानी के लिए स्थायी निगरानी समिति बनाई जाए, जिसमें प्रशासन, पंचायत प्रतिनिधि व सामाजिक संगठनों की भागीदारी हो। - स्थानीय NGOs को प्राथमिकता की नीति:
CSR योजनाओं में स्थानीय, पंजीकृत और अनुभवी NGOs को प्राथमिकता देने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। - दोषी कंपनियों और NGOs पर कार्रवाई:
जिन कंपनियों और NGOs ने प्रशासन की जानकारी के बिना कार्य किए हैं, उन पर दंडात्मक कार्यवाही की जाए और उन्हें CSR निगरानी सूची में शामिल किया जाए।
📢 रमेश जोशी ने चेताया, “CSR का यह लूट तंत्र है”
रमेश जोशी ने कहा—
“CSR फंड गरीबों, मजदूरों, महिलाओं और पिछड़े वर्गों के लिए है। लेकिन जब इसका लाभ दिल्ली, मुंबई या नैनीताल के NGOs को सेटिंग-गेटिंग से दे दिया जाता है, तो यह CSR नहीं, बल्कि आर्थिक शोषण है।”
उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे मामलों पर त्वरित और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, वरना जनता का भरोसा भी टूटेगा और CSR जैसी जनकल्याणकारी योजनाएं कंपनियों की ब्रांडिंग का साधन मात्र बनकर रह जाएंगी।
📌 प्रशासन का रुख: प्रारंभिक जांच के आदेश
ज्ञापन के आधार पर MSME सचिव ने जिलाधिकारी हरिद्वार को प्रारंभिक जांच करने के निर्देश दिए हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, संबंधित कंपनी और NGOs से कार्य विवरण, खर्च की रसीदें, और कार्यस्थलों की जियो टैग्ड फ़ोटोग्राफ्स मांगे गए हैं।
10 दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश जारी हुआ है। यदि अनियमितता पाई जाती है, तो एफआईआर तक की कार्रवाई संभव है।
❗ स्थानीय संगठनों का फूटा गुस्सा, जनआंदोलन की चेतावनी
भगवानपुर क्षेत्र के कई सामाजिक संगठनों और पंचायत प्रतिनिधियों ने भी CSR फंड के इस दुरुपयोग पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि—
“जब गांव में कोई काम ही नहीं हुआ, तो करोड़ों खर्च कहां गए? अगर शासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा।”
🚨 CSR की भावना के साथ विश्वासघात
CSR का मुख्य उद्देश्य है— सामाजिक न्याय, स्थानीय विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार। लेकिन जब कंपनियां बाहरी NGOs से गठजोड़ कर बिना स्थानीय सहभागिता के मनमाने तरीके से करोड़ों खर्च करती हैं, तो यह केवल वित्तीय अपराध नहीं बल्कि जनहित के साथ विश्वासघात है।
सुराज सेवा दल की पहल ने इस मामले को उजागर कर जनता की आवाज़ को शासन तक पहुंचाया है। अब देखना होगा कि शासन इस विषय में कितनी गंभीरता दिखाता है।
रिपोर्टर: इंतज़ार रज़ा
स्थान: हरिद्वार | डेली लाइव उत्तराखंड
प्रकाशन तिथि: 30 जून 2025