हरिद्वार के सलेमपुर क्षैत्र में गऊ घाट पुल पर कबाड़ से भरे ट्रक में लगी भीषण आग, दमकल की तत्परता से टला बड़ा हादसा, रिहायशी इलाकों में दहशत, अवैध कबाड़खानों और लघु उद्योगों पर प्रशासन की चुप्पी बनी खतरा

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार के सलेमपुर क्षैत्र में गऊ घाट पुल पर कबाड़ से भरे ट्रक में लगी भीषण आग,
दमकल की तत्परता से टला बड़ा हादसा, रिहायशी इलाकों में दहशत,
अवैध कबाड़खानों और लघु उद्योगों पर प्रशासन की चुप्पी बनी खतरा
हरिद्वार, 30 अप्रैल — उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में बुधवार की सुबह उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब सलेमपुर के पास एक चलते हुए ट्रक में अचानक भीषण आग लग गई। यह ट्रक कबाड़ से भरा हुआ था, और आग इतनी तेजी से फैली कि कुछ ही पलों में पूरा ट्रक धधकने लगा। क्षेत्र में उठते काले धुएं और आग की लपटों ने आस-पास के निवासियों में भय का माहौल पैदा कर दिया। गनीमत रही कि यह ट्रक रिहायशी क्षेत्र से कुछ दूरी पर था, वरना नतीजे और भयावह हो सकते थे।
स्थानीय लोगों की सतर्कता और फायर ब्रिगेड की समय पर कार्रवाई ने एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया। सूचना मिलते ही दमकल की तीन गाड़ियाँ मौके पर पहुंची और करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। इस घटना में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन ट्रक पूरी तरह जलकर खाक हो गया।
जांच में जुटे अधिकारी, कारण अब तक अज्ञात
दमकल विभाग और पुलिस की टीम मौके पर पहुंचकर जांच में जुट गई है। प्रारंभिक तौर पर आग लगने का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रक में मौजूद ज्वलनशील कबाड़ और संभवतः शॉर्ट सर्किट इसकी वजह हो सकता है। “हम आग के कारणों की गहराई से जांच कर रहे हैं। ट्रक मालिक और चालक से पूछताछ की जा रही है। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि ट्रक किस कबाड़ गोदाम से लोड होकर निकला था।”
रिहायशी क्षेत्र में कबाड़ ट्रकों की आवाजाही पर सवाल
सलेमपुर, दादुपुर और सुमन नगर जैसे क्षेत्रों में बीते कुछ वर्षों में कबाड़खानों और अवैध लघु उद्योगों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ये गोदाम और कारखाने ना सिर्फ बिना किसी सुरक्षा मानकों के संचालित हो रहे हैं, बल्कि रिहायशी इलाकों के भीतर भारी वाहनों की निर्बाध आवाजाही भी करवा रहे हैं। यही ट्रक कभी जलते हुए मिलते हैं तो कभी खुलेआम पटाखों जैसे धमाकों के साथ रसायनों को ढोते नजर आते हैं।
स्थानीय निवासी मुकेश त्नेयागी ने बताया, “हर दो-तीन महीने में कोई न कोई हादसा होता है। धातु, प्लास्टिक और अन्य खतरनाक सामानों का जखीरा हमारे घरों के बगल में रखा जा रहा है। प्रशासन को कई बार शिकायत दी, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा।”
प्रशासन की चुप्पी, जनता में नाराजगी
यह पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में आगजनी की घटना हुई हो। इससे पहले भी कई बार छोटे-बड़े हादसे सामने आ चुके हैं। फिर भी न तो जिला प्रशासन ने नगर निगम और न ही प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने, न जिला प्रशासन ने और न ही पर्यावरण विभाग ने इन अवैध गतिविधियों के विरुद्ध कोई ठोस कदम उठाया है।
रहवासी सीमा राणा ने गुस्से में कहा, “क्या प्रशासन किसी बड़े जनहानि की प्रतीक्षा कर रहा है? क्या किसी स्कूल या घर में आग लगने के बाद ही कार्रवाई होगी?”
स्थानीयो ने जनप्रतिनिधियों पर भी लोगों ने निष्क्रियता का आरोप लगाया है। लोगों का कहना है कि चुनाव के वक्त वादे किए जाते हैं, मगर फिर सब भूल जाते हैं।
क्या यह ‘ज्वलंत’ चेतावनी पर्याप्त है?
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि हरिद्वार जैसे धार्मिक, पर्यावरणीय और पर्यटन दृष्टि से संवेदनशील शहर में भी अव्यवस्था और प्रशासनिक उदासीनता किस कदर हावी हो चुकी है। कबाड़ से भरे ट्रकों की बिना किसी निगरानी के आवाजाही, ज्वलनशील पदार्थों की भंडारण व्यवस्था और फायर सेफ्टी के अभाव में यह इलाका हर वक्त एक बम की तरह फटने को तैयार बैठा है।
आगे क्या करें प्रशासन?
अगर प्रशासन वास्तव में भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचना चाहता है, तो कुछ जरूरी कदम तत्काल उठाने होंगे:
- अवैध कबाड़खानों और लघु उद्योगों की सूची बनाकर उन्हें सील किया जाए।
- रिहायशी क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना पर सख्त रोक लगे।
- फायर सेफ्टी प्रमाणपत्र की अनिवार्यता लागू की जाए।
- जनता की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई के लिए मोबाइल ऐप या हेल्पलाइन चालू की जाए।
- पुलिस और नगर निगम की संयुक्त टीम से नियमित निगरानी करवाई जाए।
हरिद्वार की पवित्रता और जीवनशैली को बचाए रखना केवल धार्मिक आयोजनों तक सीमित नहीं होना चाहिए। जब तक प्रशासन इन अवैध गतिविधियों और लापरवाहियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं करता, तब तक न तो हादसे रुकेंगे और न ही जनता का भरोसा प्रशासन में लौटेगा।