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“बत्ती गुल” बना विरोध की आवाज, वक्फ बिल के खिलाफ जुड़ीं आवाजें, जिलों में दिखा असर, गढमीरपुर, बहादराबाद, धनपुरा, घिस्सुपुरा, सलेमपुर, शाहपुर और ज्वालापुर जैसे जिले भर में मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में लोगों ने पूर्ण एकजुटता के साथ बिजली बंद रखी, मुस्लिम मोहल्लों ने जताया गया शांतिपूर्ण विरोध

AIMPLB की अगुवाई में राष्ट्रव्यापी आंदोलन,शांतिपूर्ण विरोध, स्पष्ट संदेश,सोशल मीडिया ने निभाई अहम भूमिका, संदेश स्पष्ट: अधिकारों से समझौता नहीं

इन्तजार रजा हरिद्वार-“बत्ती गुल” बना विरोध की आवाज,

वक्फ बिल के खिलाफ जुड़ीं आवाजें, जिलों में दिखा असर,

गढमीरपुर, बहादराबाद, धनपुरा, घिस्सुपुरा, सलेमपुर, शाहपुर और ज्वालापुर जैसे जिले भर में मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में लोगों ने पूर्ण एकजुटता के साथ बिजली बंद रखी, मुस्लिम मोहल्लों ने जताया गया शांतिपूर्ण विरोध

 

AIMPLB की अगुवाई में राष्ट्रव्यापी आंदोलन,शांतिपूर्ण विरोध, स्पष्ट संदेश,सोशल मीडिया ने निभाई अहम भूमिका, संदेश स्पष्ट: अधिकारों से समझौता नहीं

हरिद्वार, 30 अप्रैल 2025।
देशभर में आज मुस्लिम समुदाय ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए “बत्ती गुल” अभियान के माध्यम से अपना विरोध दर्ज कराया। रात 9:00 से 9:15 तक देश के लाखों घरों, दुकानों और कार्यालयों की बिजली बंद रही, जिससे यह संदेश गया कि वक्फ संपत्तियों के अधिकारों से कोई समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की अपील पर हुए इस प्रतीकात्मक आंदोलन ने हरिद्वार जिले में भी व्यापक असर दिखाया। गढमीरपुर, बहादराबाद, धनपुरा, घिस्सुपुरा, सलेमपुर, शाहपुर और ज्वालापुर जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में लोगों ने पूर्ण एकजुटता के साथ बिजली बंद रखी और AIMPLB के साथ खड़े नजर आए।

शांतिपूर्ण विरोध, स्पष्ट संदेश

यह आंदोलन किसी नारेबाजी या सड़कों पर प्रदर्शन की बजाय पूरी तरह शांतिपूर्ण और अनुशासित रहा। मात्र 15 मिनट की बिजली बंद कर लोगों ने यह दर्शाया कि वे अपने अधिकारों के लिए सजग और संगठित हैं। यह न सिर्फ विरोध का आधुनिक तरीका बना, बल्कि देशभर में एक सांकेतिक चेतावनी के रूप में भी देखा गया।

बाजारों में दुकानें समय पर खुलीं, लेकिन तय समय पर लाईट बंद कर व्यापारियों ने समर्थन जताया। घरों में महिलाओं ने भी इस विरोध में भाग लेकर एक नई चेतना का संकेत दिया। छोटे-छोटे गांवों से लेकर शहरी बस्तियों तक यह अभियान गूंजता नजर आया।

AIMPLB की अगुवाई में राष्ट्रव्यापी आंदोलन

AIMPLB के महासचिव मौलाना मोहम्मद फजलूर्रहीम मुजद्दीदी ने बताया कि वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर सीधा हस्तक्षेप है। उन्होंने दावा किया कि अब तक 3.66 करोड़ से अधिक मुसलमानों ने केंद्र सरकार को ईमेल के जरिए इस विधेयक के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।

“हम वक्फ संपत्तियों की हिफाजत को लेकर कोई समझौता नहीं करेंगे। यह विधेयक हमारे धार्मिक और सामाजिक ढांचे के विरुद्ध है,” मौलाना मुजद्दीदी ने बयान में कहा। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह मुस्लिम समाज की भावनाओं का सम्मान करे और विधेयक को तुरंत वापस ले।

सोशल मीडिया ने निभाई अहम भूमिका

इस अभियान की सफलता में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। शुक्रवार से लगातार इस विरोध की जानकारी दी गई। समाजसेवियों ने लोगों को बताया कि यह विरोध कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं, बल्कि अधिकारों की रक्षा का प्रयास है।

वहीं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे व्हाट्सऐप, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर “बत्ती गुल” अभियान का प्रचार व्यापक रूप से हुआ। युवाओं ने हैशटैग्स और वीडियो के जरिए आंदोलन को ऑनलाइन मंचों तक पहुंचाया।

स्थानीय स्तर पर उत्साह और प्रतिबद्धता

हरिद्वार के मुस्लिम इलाकों में इस विरोध को लेकर विशेष सक्रियता देखी गई। बहादराबाद में मोहल्ला कमेटियों ने एक दिन पहले ही लोगों को सूचित कर दिया था। गढमीरपुर और धनपुरा में व्यापार संघों ने बैठक कर सामूहिक समर्थन देने का निर्णय लिया था।

सलेमपुर के मोहम्मद राशिद ने बताया, “हमने बच्चों को भी बताया कि 15 मिनट के लिए बिजली बंद करना सिर्फ एक बटन दबाना नहीं है, यह हमारे भविष्य के लिए आवाज उठाना है।”

ज्वालापुर में महिलाओं ने भी इस अभियान को समर्थन दिया। नसीम फातिमा, जो एक स्कूल टीचर हैं, ने कहा, “यह विरोध किसी धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि हमारे धार्मिक अधिकारों की रक्षा के लिए है। हम सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह हमारी बात सुनेगी।”

संदेश स्पष्ट: अधिकारों से समझौता नहीं

“बत्ती गुल” अभियान से स्पष्ट हो गया है कि मुस्लिम समाज अपने धार्मिक अधिकारों को लेकर न सिर्फ जागरूक है, बल्कि उन्हें बचाने के लिए शांतिपूर्ण तरीकों से संगठित भी हो चुका है।

AIMPLB का यह कदम देशभर में एक नजीर बन गया है कि लोकतंत्र में विरोध केवल नारों या प्रदर्शनों से नहीं, बल्कि जागरूकता और एकजुटता से भी दर्ज किया जा सकता है।

अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इस स्पष्ट जनमत को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या वक्फ संशोधन विधेयक पर पुनर्विचार करती है या नहीं।

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