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उत्तराखंड में बिजली बकायेदारी बनी बड़ी चुनौती, यूपीसीएल के फंसे 1273 करोड़ रुपए

इन्तजार रजा हरिद्वार-उत्तराखंड में बिजली बकायेदारी बनी बड़ी चुनौती, यूपीसीएल के फंसे 1273 करोड़ रुपए

उत्तराखंड में विद्युत विभाग यानी यूपीसीएल (Uttarakhand Power Corporation Limited) इन दिनों भारी राजस्व संकट से गुजर रहा है। कारण है—बिजली के बकायेदारों की बढ़ती संख्या और वसूली में लगातार आ रही ढिलाई। बीते पांच वर्षों में न सिर्फ बकायेदारों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है, बल्कि बकाया राशि भी 513 करोड़ रुपए तक बढ़ गई है। विभाग के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बन चुकी है, क्योंकि इससे ना केवल दैनिक संचालन पर असर पड़ रहा है, बल्कि भविष्य की योजनाओं को भी धक्का लग सकता है।

पांच वर्षों में बढ़े 93,875 बकायेदार

2021 के मुकाबले 2024 तक उत्तराखंड में कुल 93,875 नए बिजली के बकायेदार सामने आए हैं। जहां एक ओर सरकार उपभोक्ताओं को नियमित भुगतान के लिए प्रोत्साहित कर रही है, वहीं दूसरी ओर बढ़ती बकायेदारी विभाग की वित्तीय सेहत पर बोझ बन रही है। विभाग की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में यूपीसीएल की राजस्व आवश्यकताओं का 20 प्रतिशत पैसा केवल बकाया बिलों में अटका हुआ है।

बड़ी रकम पर सीमित बकायेदार काबिज

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन उपभोक्ताओं पर 5 लाख रुपए से अधिक का बकाया है, उनकी संख्या मात्र 3,527 है, लेकिन उनके ऊपर कुल 1,273 करोड़ रुपए की बकाया राशि है। इससे साफ है कि कम संख्या में बड़े बकायेदार विभाग के संसाधनों को जकड़े बैठे हैं। इनके बाद 1 लाख से 5 लाख रुपए के बकायेदारों की संख्या 12,507 है, जिन पर 220 करोड़ रुपए बकाया हैं।

मध्यम और छोटे बकायेदारों की भी लंबी सूची

बकायेदारी सिर्फ बड़े उपभोक्ताओं तक सीमित नहीं है। 50 हजार से 1 लाख तक के बकायेदारों की संख्या 24,152 है, जिन पर 165 करोड़ रुपए बकाया हैं। इसके अलावा 10 हजार से 50 हजार तक के बकायेदारों की संख्या 1,87,703 है, जिनसे वसूले जाने हैं 398 करोड़ रुपए। वहीं 5 हजार से 10 हजार तक के बकायेदार 1,39,000 हैं और इनसे 99 करोड़ रुपए की वसूली शेष है।

वसूली की धीमी रफ्तार बनी चिंता का कारण

बकायेदारों की बढ़ती संख्या और विभाग की धीमी वसूली प्रक्रिया ने राजस्व संकट को और गहरा कर दिया है। यूपीसीएल को चाहिए कि वह तकनीकी माध्यमों से वसूली की प्रक्रिया को तेज करे और बड़े बकायेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे। साथ ही, उपभोक्ताओं को समय पर बिल भुगतान के लिए जागरूक करना भी जरूरी है।

यदि यही हालात बने रहे तो आने वाले समय में विद्युत आपूर्ति पर प्रभाव पड़ सकता है और योजनागत विकास बाधित हो सकता है। यूपीसीएल को अब सख्त रणनीति अपनानी होगी, ताकि बिजली आपूर्ति और राजस्व दोनों की निरंतरता बनी रह सके।

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