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दो से अधिक संतान” नियम में बदलाव लागू: पंचायत चुनाव के लिए बदलेगा योग्यता का आधार,, उत्तराखण्ड पंचायतीराज संशोधन अध्यादेश 2025 जारी, राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को भेजा निर्देश,, 25 जुलाई 2019 के बाद जन्मी तीसरी संतान पर लागू होगी अयोग्यता, जुड़वां संतान को दी गई छूट

इन्तजार रजा हरिद्वार- “दो से अधिक संतान” नियम में बदलाव लागू: पंचायत चुनाव के लिए बदलेगा योग्यता का आधार,,

उत्तराखण्ड पंचायतीराज संशोधन अध्यादेश 2025 जारी, राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को भेजा निर्देश,,

25 जुलाई 2019 के बाद जन्मी तीसरी संतान पर लागू होगी अयोग्यता, जुड़वां संतान को दी गई छूट

देहरादून, 21 जून 2025 | रिपोर्ट: ‘डेली लाइव उत्तराखंड’
उत्तराखण्ड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की योग्यता से संबंधित एक अहम बदलाव अब औपचारिक रूप से लागू कर दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा हाल ही में उत्तराखण्ड पंचायतीराज (संशोधन) अध्यादेश, 2025 को अधिसूचित कर दिया गया है, जिसके अनुसार अब दो से अधिक संतान वाले व्यक्तियों के पंचायत चुनाव लड़ने की पात्रता में परिवर्तन किया गया है।

इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखण्ड ने दिनांक 19 जून 2025 को एक आवश्यक अति महत्वपूर्ण ई-मेल के माध्यम से समस्त जिलाधिकारियों एवं जिला निर्वाचन अधिकारियों (पंचायत) को संशोधित नियमों के अनुपालन हेतु निर्देशित किया है। आयोग की ओर से यह ई-मेल सचिव राहुल कुमार गोयल द्वारा जारी किया गया है।


क्या है संशोधन का मुख्य बिंदु?

राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना संख्या 206/XXXVI(3)/2025/26(1)/2025 (दिनांक 16.05.2025) के अनुसार अब उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम की धारा 8(1)(द), 53(1)(द) तथा 90(1)(द) में संशोधन कर दिया गया है।

संशोधन के अनुसार:

“(द) उसकी दो से अधिक जीवित जैविक संतान हैं, जिनमें एक का जन्म 25 जुलाई 2019 को अथवा उसके पश्चात हुआ है, तो वह व्यक्ति पंचायत चुनाव के लिए अयोग्य माना जाएगा।”

हालांकि, अधिनियम में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि:

“पहली संतान के बाद यदि दूसरी बार गर्भधारण में एक साथ दो या अधिक संतानें पैदा होती हैं, तो ऐसी स्थिति में यह अयोग्यता लागू नहीं होगी।”

इस संशोधन का उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण नीति को सुदृढ़ करना है, लेकिन जुड़वां या त्रैज संतान के मामलों में मानवीय छूट दी गई है।


निर्वाचन आयोग ने दिए स्पष्ट निर्देश

राज्य निर्वाचन आयोग ने साफ कहा है कि आगामी सामान्य पंचायत निर्वाचन अथवा उपचुनाव में आयोग द्वारा जारी निर्देश पुस्तिका 2025, नामांकन प्रपत्रों, और रिटर्निंग एवं असिस्टेंट रिटर्निंग अफसरों के प्रशिक्षण सामग्री में इन संशोधनों को स्पष्ट रूप से शामिल किया जाए।

साथ ही आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को यह निर्देशित किया है कि:

  • संबंधित अधिकारी अपने क्षेत्र में इन संशोधनों को लेकर जनप्रतिनिधियों, चुनाव कर्मियों व नामांकन करने वाले नागरिकों को पूर्व में ही सूचित करें।
  • चुनाव प्रक्रिया के दौरान नामांकन पत्रों की जांच में संशोधित नियमों का कड़ाई से पालन हो।
  • किसी भी भ्रम की स्थिति में आयोग द्वारा संशोधित उपबंधों के अनुसार निर्णय लिया जाए।

जुड़वां बच्चों पर मिलेगी राहत

संशोधित अध्यादेश का सबसे मानवीय पहलू यह है कि यदि कोई प्रत्याशी पहली संतान के बाद एक ही प्रसव में दो या अधिक संतानें प्राप्त करता है, तो उसे अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा। इससे उन माता-पिता को राहत मिलेगी जो एक ही बार में जुड़वां या अधिक बच्चों के माता-पिता बने हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार यह संशोधन उत्तराखण्ड में जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और नियमों की स्पष्टता लाने की दिशा में एक ठोस कदम है।


पंचायतीराज अधिनियम की इन धाराओं में हुआ है संशोधन

राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार निम्नलिखित धाराएं संशोधित की गई हैं:

  • धारा 2
  • धारा 8
  • धारा 10-क
  • धारा 11
  • धारा 16
  • धारा 53
  • धारा 55-क
  • धारा 56
  • धारा 61
  • धारा 90
  • धारा 92-क
  • धारा 93
  • धारा 98
  • धारा 131-झ

इनमें से धारा 8, 53 और 90 में दो से अधिक संतान वाले प्रावधान में विशेष परिवर्तन किया गया है।


क्या होगा असर पंचायत चुनाव पर?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से पंचायत चुनावों में भाग लेने वाले कई संभावित उम्मीदवार अयोग्य ठहर सकते हैं। खासकर वे लोग जिनकी तीसरी संतान 25 जुलाई 2019 या उसके बाद जन्मी है। जिला प्रशासन को इस संबंध में जागरूकता अभियान भी चलाना पड़ सकता है ताकि लोग बिना नियमों की जानकारी के चुनाव प्रक्रिया में शामिल न हों।

उत्तराखण्ड सरकार द्वारा पंचायतीराज अधिनियम में किया गया यह संशोधन भविष्य की राजनीति में योग्य और जवाबदेह जनप्रतिनिधियों को सामने लाने में सहायक साबित हो सकता है। वहीं राज्य निर्वाचन आयोग की तत्परता और स्पष्ट दिशानिर्देश यह संकेत देते हैं कि पंचायत चुनावों को पूरी पारदर्शिता और क़ानूनी दायरे में संपन्न कराने का संकल्प मजबूत है।


रिपोर्टर: इंतज़ार रज़ा
मीडिया: डेली लाइव उत्तराखंड
संपर्क: dailyliveuttarakhand@gmail.com

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