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उत्तराखंड में अफसरशाही बनी ‘कमाई का जरिया’!,, हरीश रावत का तीखा हमला, कहा – ‘राज्य में अफसरशाही चला रही सरकार’,, ब्यूरोक्रेसी पर गरमाई सियासत, हरदा की पोस्ट बनी सियासी तूफान का कारण

इन्तजार रजा हरिद्वार- उत्तराखंड में अफसरशाही बनी ‘कमाई का जरिया’!,,
हरीश रावत का तीखा हमला, कहा – ‘राज्य में अफसरशाही चला रही सरकार’,,
ब्यूरोक्रेसी पर गरमाई सियासत, हरदा की पोस्ट बनी सियासी तूफान का कारण

देहरादून, 09 जुलाई 2025:
उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर नौकरशाही (ब्यूरोक्रेसी) को लेकर घमासान मच गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने सीधे तौर पर राज्य की ब्यूरोक्रेसी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि “उत्तराखंड में ब्यूरोक्रेसी अब राज्य चलाने का नहीं, रुपए कमाने का माध्यम बन चुकी है।” हरदा की इस टिप्पणी से सियासी गलियारों में गर्मी बढ़ गई है।

हरीश रावत ने मंगलवार रात सोशल मीडिया पर एक तीखी पोस्ट लिखते हुए कहा, “सरकारें बदलती रहीं, लेकिन ब्यूरोक्रेसी का तौर-तरीका वही रहा। आज अधिकारी जनता की सेवा नहीं, अपना बैंक बैलेंस बढ़ाने में जुटे हैं। कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो सरकार से भी ऊपर खुद को समझते हैं।”

इस बयान के बाद सत्ता पक्ष में हलचल मच गई। बीजेपी नेताओं ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस शासनकाल में ही ब्यूरोक्रेसी को भ्रष्टाचार की आदत पड़ी थी। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “हरीश रावत को पहले अपने कार्यकाल की जांच करानी चाहिए, तब वर्तमान सरकार पर उंगली उठानी चाहिए।”

हालांकि कांग्रेस नेताओं ने हरदा का समर्थन करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार के शासन में नौकरशाही बेलगाम हो चुकी है। आम जनता की शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं होती और अधिकारी सिर्फ रसूखदारों के कामों में लगे हैं।

हरदा की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब राज्य में कई योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर जनता में असंतोष है। हाल ही में मनरेगा, शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य सेवाओं में गड़बड़ियों की खबरें सामने आई हैं, जिनमें अफसरों की भूमिका पर सवाल उठे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि हरीश रावत का यह हमला केवल ब्यूरोक्रेसी पर नहीं, बल्कि सरकार की नाकामी को उजागर करने की रणनीति भी है। आगामी पंचायत और निकाय चुनावों को देखते हुए कांग्रेस सत्तारूढ़ दल को भ्रष्टाचार और अफसरशाही के मुद्दे पर घेरना चाहती है।

अब देखना होगा कि सरकार इस बयान पर क्या ठोस प्रतिक्रिया देती है, या फिर यह मामला भी बाकी मुद्दों की तरह सियासी बयानबाजी तक सिमट कर रह जाएगा।

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