⚠️ पुराने कफ सिरप से बच्चों की सेहत को खतरा,, एफडीए ने अभिभावकों को किया सतर्क, खुली बोतल को दोबारा इस्तेमाल करने से बचें,, रासायनिक संरचना में बदलाव से हो सकता है लीवर-किडनी पर असर,, दवा की ‘ओपनिंग डेट’ जरूर देखें
राज्य के अपर आयुक्त, खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ताजबर सिंह जग्गी ने साफ चेतावनी दी है कि “पुराने या खुल चुके कफ सिरप का इस्तेमाल बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।” एफडीए की यह चेतावनी उस समय आई है जब प्रदेश भर में मौसम परिवर्तन के कारण बच्चों में सर्दी-खांसी की शिकायतें बढ़ रही हैं। कई परिवार डॉक्टर की सलाह के बजाय घर में रखी पिछली बार की दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।

इन्तजार रजा हरिद्वार ⚠️ पुराने कफ सिरप से बच्चों की सेहत को खतरा,,
एफडीए ने अभिभावकों को किया सतर्क, खुली बोतल को दोबारा इस्तेमाल करने से बचें,,
रासायनिक संरचना में बदलाव से हो सकता है लीवर-किडनी पर असर,, दवा की ‘ओपनिंग डेट’ जरूर देखें
देहरादून। बदलते मौसम के बीच बच्चों में खांसी-जुकाम और बुखार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में कई अभिभावक पुरानी पड़ी दवाओं, खासकर कफ सिरप का दोबारा इस्तेमाल करने की गलती कर बैठते हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इस लापरवाही को बेहद गंभीर माना है और अब अभिभावकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। राज्य के अपर आयुक्त, खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ताजबर सिंह जग्गी ने साफ चेतावनी दी है कि “पुराने या खुल चुके कफ सिरप का इस्तेमाल बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।” एफडीए की यह चेतावनी उस समय आई है जब प्रदेश भर में मौसम परिवर्तन के कारण बच्चों में सर्दी-खांसी की शिकायतें बढ़ रही हैं। कई परिवार डॉक्टर की सलाह के बजाय घर में रखी पिछली बार की दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं, जिससे बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।

एफडीए के अनुसार, तरल रूप में मिलने वाली दवाएं (जैसे कि कफ सिरप) केवल सीमित समय के लिए सुरक्षित रहती हैं। एक बार बोतल खुल जाने के बाद उसकी रासायनिक संरचना धीरे-धीरे बदलने लगती है, जिससे दवा का असर कम हो जाता है। कई बार यह सिरप हानिकारक या जहरीली प्रतिक्रिया भी दे सकता है।
अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने बताया—
“सिरप में मौजूद सक्रिय तत्व हवा, नमी और तापमान के संपर्क में आने से ऑक्सीकरण या बैक्टीरियल संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इससे दवा की गुणवत्ता घट जाती है और बच्चों में उल्टी, पेट दर्द, या एलर्जी जैसी प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं।”
उन्होंने कहा कि यह खासतौर पर शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है क्योंकि उनका शरीर कमजोर होता है और लीवर-किडनी की कार्यक्षमता वयस्कों की तुलना में कम होती है। ऐसे में किसी भी रासायनिक परिवर्तन का असर सीधे उनके स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
एक्सपायरी और ‘ओपनिंग डेट’ पर दें ध्यान, रंग या गंध बदले तो तुरंत फेंकें
एफडीए ने सभी अभिभावकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी दवा को इस्तेमाल करने से पहले उसकी एक्सपायरी डेट और ‘ओपनिंग डेट’ जरूर देखें। कई बार बोतल पर “ओपनिंग डेट” लिखने की आदत नहीं होती, लेकिन यह छोटी-सी सावधानी बच्चे को गंभीर बीमारी से बचा सकती है।
स्वास्थ्य विभाग की सलाह है कि—
- सिरप को एक बार खोलने के बाद 15 से 30 दिनों के भीतर ही प्रयोग करें।
- बोतल को हमेशा ठंडी, सूखी और बच्चों की पहुंच से दूर जगह पर रखें।
- अगर सिरप का रंग, गंध, गाढ़ापन या स्वाद बदल गया हो तो उसे तुरंत फेंक दें।
- डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवा को दोबारा न दें, भले ही पहले वही बीमारी क्यों न रही हो। जग्गी ने यह भी स्पष्ट किया कि “कई बार अभिभावक सोचते हैं कि पहले दी गई दवा से बच्चा ठीक हुआ था, इसलिए वही सिरप दोबारा काम करेगा। लेकिन यह सोच गलत है। दवा हर बार डॉक्टर की सलाह और बच्चे की वर्तमान स्थिति के अनुसार ही दी जानी चाहिए।”
बैक्टीरिया पनपने से संक्रमण का खतरा बढ़ता है
एफडीए विशेषज्ञों का कहना है कि कफ सिरप या अन्य तरल दवाएं यदि लंबे समय तक खुली पड़ी रहें, तो उनमें बैक्टीरिया या फफूंद (fungus) विकसित हो सकती है। यह संक्रमण न केवल गले और पेट में जलन पैदा करता है, बल्कि लीवर और किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
कई मामलों में देखा गया है कि बच्चे सिरप पीने के बाद पेट दर्द, मिचली या त्वचा पर रैशेज की शिकायत करते हैं। यह दवा के भीतर विकसित सूक्ष्म जीवाणुओं का परिणाम हो सकता है। डॉक्टरों ने भी चेतावनी दी है कि “खुली बोतल को महीनों तक फ्रिज में रखने से यह सुरक्षित नहीं हो जाती। यदि उसका रासायनिक संतुलन बिगड़ चुका है तो दवा अब औषधि नहीं, बल्कि जहर बन जाती है।”
एफडीए की अपील – जागरूकता ही सुरक्षा है
राज्य के एफडीए विभाग ने जनता से अपील की है कि वे अपने घरों में रखी पुरानी दवाओं की नियमित जांच करें। विशेष रूप से बच्चों की खांसी, बुखार या सर्दी-जुकाम की दवाओं को सावधानीपूर्वक निपटाएं। एफडीए ने कहा कि अब विभाग जिलेवार “होम मेडिसिन सेफ्टी ड्राइव” शुरू करने की योजना बना रहा है, जिसमें अभिभावकों को दवा के सुरक्षित उपयोग और स्टोरेज के नियम बताए जाएंगे। विभाग का उद्देश्य केवल कार्रवाई नहीं बल्कि जनजागरूकता बढ़ाना है, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाहियां बच्चों की सेहत पर भारी न पड़ें।
विशेषज्ञों की राय
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रितु उपाध्याय का कहना है कि—
“बच्चों के शरीर में दवा का प्रभाव बेहद तेजी से पड़ता है। अगर सिरप की गुणवत्ता खराब है तो यह लीवर, किडनी और इम्यून सिस्टम पर गहरा असर डाल सकता है। ऐसे में पुरानी या संदिग्ध दवा को दोबारा इस्तेमाल करना किसी भी हाल में सही नहीं है।”
उन्होंने कहा कि खांसी-जुकाम आम बीमारी है लेकिन हर बार उसका कारण अलग हो सकता है — कभी वायरल, कभी एलर्जिक या बैक्टीरियल। इसलिए दवा भी हर बार अलग होनी चाहिए, न कि पुरानी बोतल से दी जाए।
छोटी सावधानी, बड़ी सुरक्षा
मौसम बदल रहा है और बच्चों में बीमारियां बढ़ रही हैं। लेकिन इस समय अभिभावकों की जागरूकता और सावधानी ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है। पुरानी या खुली दवाओं को घर में रखकर “कभी जरूरत पड़ जाए” सोचने की बजाय, उन्हें सुरक्षित तरीके से निपटाना जरूरी है।स्वास्थ्य विभाग का संदेश स्पष्ट है —
“एक्सपायरी और ओपनिंग डेट देखें, डॉक्टर की सलाह लें, और बच्चों की सेहत से कोई जोखिम न उठाएं।”