पथरी रेंज में दो शिकारी गिरफ्तार: वन्यजीव तस्करी नेटवर्क का खुलासा, संयुक्त जांच टीम गठित, जांच में सामने आ रहे हैं चौंकाने वाले तथ्य, क्या अभी और गिरफ्तारियाँ भी संभव
वन्यजीवो के शिकार के बढ़ते खतरे और सख्त कार्रवाई की जरूरत,वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में अहम कदम,स्थानीय लोगों की भूमिका भी अहम

इन्तजार रजा हरिद्वार- पथरी रेंज में दो शिकारी गिरफ्तार: वन्यजीव तस्करी नेटवर्क का खुलासा, संयुक्त जांच टीम गठित, जांच में सामने आ रहे हैं चौंकाने वाले तथ्य, क्या अभी और गिरफ्तारियाँ भी संभव
वन्यजीवो के शिकार के बढ़ते खतरे और सख्त कार्रवाई की जरूरत,वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में अहम कदम,स्थानीय लोगों की भूमिका भी अहम
हरिद्वार जनपद की पथरी रेंज में वन विभाग की सक्रियता एक बड़ी सफलता के रूप में सामने आई है। एंटी-पोचिंग (शिकार विरोधी) अभियान के तहत वन विभाग की टीम ने दो संदिग्ध शिकारियों को गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान नसरत अली, निवासी हरिद्वार, और बहादुर, निवासी दिल्ली, के रूप में हुई है। प्रारंभिक जांच में इन दोनों के एक बड़े वन्यजीव तस्करी नेटवर्क से जुड़े होने की आशंका जताई गई है, जिससे वन विभाग और पुलिस प्रशासन में हलचल मच गई है।
पकड़े गए आरोपियों के पास से वन विभाग ने एक बंदूक और एक चाकू बरामद किया है। इन हथियारों का इस्तेमाल अवैध शिकार में किया जा रहा था, ऐसा संदेह है। अधिकारियों के अनुसार, यह गिरफ्तारी एक लंबे समय से चल रही निगरानी और गुप्त सूचना के आधार पर की गई। एंटी-पोचिंग टीम ने पथरी रेंज में इनकी गतिविधियों पर नजर रखते हुए इन्हें रंगे हाथों पकड़ा।
शिकार के बढ़ते खतरे और सख्त कार्रवाई की जरूरत
पथरी रेंज और इसके आसपास का क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर है। यह इलाका कई दुर्लभ वन्यजीवों का घर है, जिनमें तेंदुआ, हिरण, सियार, नीलगाय जैसे जीव प्रमुख हैं। इन क्षेत्रों में पिछले कुछ समय से शिकार की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही थी, जिससे वन विभाग ने अपनी निगरानी बढ़ा दी थी। गिरफ्तार किए गए शिकारी, न केवल स्थानीय वन्यजीवों के लिए खतरा बने हुए थे, बल्कि इनके जरिए एक अंतरराज्यीय तस्करी नेटवर्क के संचालन की आशंका ने प्रशासन की चिंता और बढ़ा दी है।
जांच में सामने आ रहे हैं चौंकाने वाले तथ्य
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने यह स्वीकार किया है कि वे लंबे समय से इस काम में लिप्त थे और दुर्लभ वन्यजीवों की खाल, हड्डियों और अंगों की तस्करी करते थे। इनके माध्यम से यह सामग्री दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में भेजी जाती थी, जहां से आगे अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को बेची जाती थी।
इस नेटवर्क में और कितने लोग शामिल हैं, इसका पता लगाने के लिए वन विभाग और पुलिस की संयुक्त जांच टीम गठित कर दी गई है। यह टीम आरोपियों के मोबाइल फोन, कॉल डिटेल्स, बैंक लेन-देन और अन्य डिजिटल साक्ष्यों की मदद से नेटवर्क का विस्तार जानने का प्रयास कर रही है।
वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में अहम कदम
हरिद्वार वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है। “हम किसी भी हाल में वन्यजीवों के साथ क्रूरता और अवैध शिकार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने के लिए हम सभी जरूरी कानूनी कार्रवाई करेंगे,” डीएफओ हरिद्वार वैभव कुमार सिंह ने कहा।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत दोषियों को सात साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। यह पहली बार नहीं है जब हरिद्वार या आसपास के क्षेत्रों में शिकारियों की गिरफ्तारी हुई हो, लेकिन इस बार मामला खास इसलिए है क्योंकि इसमें नेटवर्क के संगठित रूप से काम करने के प्रमाण मिल रहे हैं।
स्थानीय लोगों की भूमिका भी अहम
इस पूरे अभियान में स्थानीय ग्रामीणों की सजगता भी महत्वपूर्ण रही। वन विभाग को सूचना देने वाले एक ग्रामीण ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि इन संदिग्धों की गतिविधियों पर उसे शक हुआ, क्योंकि वे बार-बार जंगल के रास्ते में देखे जा रहे थे। ग्रामीणों की सतर्कता और वन विभाग की तत्परता ने एक बड़े अपराध को अंजाम तक पहुँचने से पहले ही रोक दिया।
अभी और गिरफ्तारियाँ संभव
सूत्रों के अनुसार, पकड़े गए आरोपियों ने कुछ और नामों का खुलासा किया है जो इस नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं। वन विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम इन नामों की सत्यता की जांच कर रही है। आने वाले दिनों में इस नेटवर्क से जुड़ी और भी गिरफ्तारियाँ हो सकती हैं।
पथरी रेंज से हुई यह गिरफ्तारी न केवल वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि सतर्क निगरानी, स्थानीय सहयोग और त्वरित कार्रवाई से बड़े से बड़े अपराधी भी कानून के शिकंजे से नहीं बच सकते। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि आगे जांच में और क्या खुलासे होते हैं और कितनी जल्दी यह तस्करी नेटवर्क पूरी तरह से उजागर होता है।