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हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण का सुशासन मॉडल मानचित्र स्वीकृति प्रक्रिया में पारदर्शिता और तेजी लाकर जनता को मिल रही राहत अब तक 371 भवन मानचित्र स्वीकृत, 736.62 लाख रुपये की राजस्व प्राप्ति

इन्तजार रजा हरिद्वार- हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण का सुशासन मॉडल
मानचित्र स्वीकृति प्रक्रिया में पारदर्शिता और तेजी लाकर जनता को मिल रही राहत
अब तक 371 भवन मानचित्र स्वीकृत, 736.62 लाख रुपये की राजस्व प्राप्ति

हरिद्वार।
हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण (HRDA) द्वारा शासन के ‘सुशासन मंत्र’ को जमीनी स्तर पर उतारने के लिए चलाया जा रहा विशेष अभियान अब फलदायी साबित हो रहा है। उत्तराखंड सरकार के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के सुशासन के विजन – “सरलीकरण, समाधान, निस्तारण तथा संतुष्टि” के मूल मंत्र पर आधारित यह पहल आमजन को सीधी राहत देने का कार्य कर रही है। इसी क्रम में प्राधिकरण द्वारा आयोजित किए जा रहे ‘सुशासन कैम्प’ अब एक सशक्त और प्रभावी मंच बनते जा रहे हैं, जहाँ आम नागरिक अपने भवन मानचित्र स्वीकृति जैसे तकनीकी विषयों को सरल और त्वरित रूप से पूरा करवा पा रहे हैं।

छठवां सुशासन कैम्प में मिला जबरदस्त रिस्पॉन्स

दिनांक 13 मई 2025 को बहादराबाद ब्लॉक तथा मुख्यालय हरिद्वार में छठा सुशासन कैम्प आयोजित किया गया। इस कैम्प में कुल 65 भवन मानचित्र आवेदन प्राप्त हुए, जिसमें 57 एकल आवासीय भवन और 8 व्यवसायिक भवन सम्मिलित थे। उल्लेखनीय बात यह रही कि इस शिविर में पूर्ववर्ती कैम्पों से लंबित 28 आवेदनों का भी समाधान किया गया, जिससे नागरिकों में प्रशासन के प्रति भरोसा और गहरा हुआ।

इन प्राप्त 65 आवेदनों में से कुल 39 मानचित्र आवेदन स्वीकृत किए गए, जिनमें 31 एकल आवासीय और 8 व्यवसायिक भवन शामिल हैं। इस प्रक्रिया में पारदर्शिता, गति और कुशल प्रशासनिक समन्वय की झलक स्पष्ट रूप से देखने को मिली।

अब तक 371 भवन मानचित्रों को दी गई स्वीकृति

प्राधिकरण द्वारा दिनांक 30 अप्रैल 2025 से लेकर 13 मई 2025 तक कुल 6 सुशासन कैम्प आयोजित किए गए हैं। इन कैम्पों के माध्यम से अब तक कुल 446 भवन मानचित्र आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसमें से 386 आवेदन एकल आवासीय भवनों से और 60 आवेदन व्यवसायिक भवनों से संबंधित हैं।
प्राप्त कुल आवेदनों में से 371 भवन मानचित्रों को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है, जिसमें 313 एकल आवासीय भवन और 58 व्यवसायिक भवन सम्मिलित हैं। यह आँकड़ा इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि प्राधिकरण की यह पहल न केवल कारगर है बल्कि नागरिकों की आवश्यकताओं के अनुरूप कार्य कर रही है।

इस पूरी प्रक्रिया से विकास प्राधिकरण को अब तक कुल 736.62 लाख रुपये की राजस्व प्राप्ति हुई है, जो प्राधिकरण की वित्तीय सुदृढ़ता के साथ ही योजना क्रियान्वयन में सहायक सिद्ध होगी।

उपाध्यक्ष ने कैम्पों का निरीक्षण कर अधिकारियों को दिए निर्देश

कैम्प की सफलता का सीधा श्रेय प्राधिकरण के सक्रिय नेतृत्व को भी जाता है। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष महोदय ने कैम्पों का स्वयं निरीक्षण किया और उपस्थित नागरिकों एवं आवेदकों से संवाद करते हुए उनकी समस्याओं को समझा। उन्होंने मौके पर ही अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए कि आवेदकों को किसी प्रकार की परेशानी न हो और उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित किया जाए।

उपाध्यक्ष महोदय ने सुशासन कैम्पों की कार्यप्रणाली पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह पहल जनता के साथ प्रशासन के सीधे संवाद का माध्यम बन रही है, जिससे पारदर्शिता और विश्वास दोनों बढ़ रहे हैं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि भविष्य में और अधिक सरलता लाने के लिए प्रक्रियाओं को डिजिटाइज और स्मार्ट बनाया जाएगा।

आगामी तिथियों में फिर लगेंगे सुशासन कैम्प

जो नागरिक अभी तक अपने भवन मानचित्रों की स्वीकृति नहीं करा पाए हैं, उनके लिए यह जानना आवश्यक है कि आगामी सुशासन कैम्प दिनांक 15 मई, 19 मई एवं 21 मई 2025 को मुख्यालय हरिद्वार में आयोजित किए जाएंगे। इन कैम्पों में केवल एकल आवासीय भवनों तथा अधिकतम 75 वर्ग मीटर भूखण्ड क्षेत्रफल के व्यवसायिक भवनों के मानचित्र आवेदन ही स्वीकार किए जाएंगे।

प्राधिकरण ने नागरिकों से अपील की है कि वे इन तिथियों में निर्धारित स्थान पर आवश्यक दस्तावेजों के साथ पहुँचें और अपने भवन मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया पूर्ण करवाएं। इससे उन्हें न केवल समय की बचत होगी बल्कि अनावश्यक भागदौड़ और दलालों की परेशानियों से भी मुक्ति मिलेगी।

निष्कर्ष: जन सहभागिता और ईमानदार प्रशासन की मिसाल

हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण द्वारा आयोजित किए जा रहे सुशासन कैम्प वास्तव में जन सहभागिता और उत्तराखंड सरकार की सुशासन नीति का उत्कृष्ट उदाहरण बनते जा रहे हैं। भवन मानचित्रों की शीघ्र स्वीकृति, राजस्व में वृद्धि और नागरिकों की संतुष्टि, इन तीनों पहलुओं में एक साथ सकारात्मक परिणाम मिलना किसी भी प्रशासनिक प्रयास की सफलता का प्रमाण होता है।

हरिद्वार जैसे तीर्थनगरी में निर्माण कार्यों का नियमन अत्यंत आवश्यक है और जब ये कार्य प्रशासनिक सरलता और पारदर्शिता के साथ हो रहे हों, तो न केवल नागरिक लाभान्वित होते हैं बल्कि शहर का व्यवस्थित विकास भी सुनिश्चित होता है।

हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण की यह पहल निश्चय ही एक अनुकरणीय मॉडल है, जिसे अन्य शहरी निकायों को भी अपनाना चाहिए।

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