गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय ने किया अफसरों का फोन पर रियलिटी चेक,, आपदा काल में फोन न उठाने वाले अधिकारियों पर जमकर बरसी फटकार,, सरकारी नंबर को किया इग्नोर, निजी नंबर आते ही उठा लिया कॉल, वन रेंजर साहब हुए बेनकाब

इन्तजार रजा हरिद्वार- गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय ने किया अफसरों का फोन पर रियलिटी चेक,,
आपदा काल में फोन न उठाने वाले अधिकारियों पर जमकर बरसी फटकार,,
सरकारी नंबर को किया इग्नोर, निजी नंबर आते ही उठा लिया कॉल, वन रेंजर साहब हुए बेनकाब
पौड़ी गढ़वाल, 03 सितंबर 2025।
आपदा की घड़ी में जब जनता प्रशासन से मदद की उम्मीद करती है, ऐसे समय में अधिकारियों का फोन न उठाना जनता की परेशानी को और बढ़ा देता है। पौड़ी दौरे पर पहुंचे गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे ने इसी गंभीर शिकायत का现场 पर ही रियलिटी चेक कर डाला। पत्रकारों ने जब उनसे अधिकारियों द्वारा फोन न उठाने की बात कही, तो उन्होंने तुरंत ही इसका परीक्षण कर दिखाया।
सबसे पहले कमिश्नर ने वन विभाग के अधिकारी को सरकारी नंबर से कॉल किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने अपने निजी नंबर से फोन मिलाया, और जैसे ही स्क्रीन पर अलग नंबर दिखाई दिया, अधिकारी ने तुरंत कॉल उठा लिया। यही देखकर कमिश्नर का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।
कमिश्नर ने फोन पर ही अधिकारी को कड़े शब्दों में फटकार लगाते हुए कहा कि “अगर आपदा के समय जनता या कोई पीड़ित फोन करेगा और आप फोन नहीं उठाएंगे, तो ऐसी जिम्मेदारी का क्या फायदा? आप लोगों को संवेदनशील रहना होगा और तुरंत रिस्पॉन्स देना होगा।”
पत्रकारों से बातचीत में गढ़वाल कमिश्नर ने साफ कहा कि आपदा काल में हर अधिकारी को 24 घंटे सतर्क रहना चाहिए। अगर कोई फोन नहीं उठाता है तो यह जनता के साथ धोखा है। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
जनता के बीच इस पूरे घटनाक्रम की चर्चा गर्म हो गई। लोगों ने कमिश्नर की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यही असली प्रशासनिक जवाबदेही है। ऐसे ही रियलिटी चेक से लापरवाह अफसरों की हकीकत सामने आती है।
आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लोग अक्सर शिकायत करते रहे हैं कि फोन करने पर अधिकारी कॉल नहीं उठाते, जिससे राहत और बचाव कार्य में देरी होती है। लेकिन इस बार गढ़वाल कमिश्नर की तत्परता ने इस समस्या को उजागर कर दिया।
कमिश्नर ने जिले के समस्त विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि फोन रिसीव करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है। कोई भी अधिकारी यह न समझे कि सरकारी नंबर से आने वाली कॉल को टाल सकता है।
इस घटना ने यह भी साफ कर दिया है कि “प्राइवेट नंबर आते ही रिस्पॉन्स और सरकारी नंबर को इग्नोर करने की आदत” अब और नहीं चलेगी। गढ़वाल कमिश्नर के इस रियलिटी चेक ने अफसरों को एक स्पष्ट संदेश दे दिया है कि जनता और प्रशासन के बीच संचार को कमजोर करना उनकी नौकरी पर भारी पड़ सकता है।
👉 प्रशासनिक सिस्टम में मौजूद ढिलाई और गैर-जिम्मेदारी पर गढ़वाल कमिश्नर की तत्परता ने दिखा दिया कि अधिकारी चाहे कितने भी बड़े क्यों न हों, जवाबदेही से बच नहीं सकते।