कांवड़ मेले में जाम से जंग!,, हरिद्वार पुलिस का मिशन ‘नो ट्रैफिक ब्लॉक’,, एसपी ट्रैफिक जितेन्द्र मेहरा का ट्रेफिक एक्शन प्लान हुआ सार्वजनिक,, श्रावण कांवड़ मेला 2025: श्रद्धालुओं की भीड़, ट्रैफिक की चुनौती और पुलिस की तैयारी

इन्तजार रजा हरिद्वार- कांवड़ मेले में जाम से जंग!,,
हरिद्वार पुलिस का मिशन ‘नो ट्रैफिक ब्लॉक’,,
एसपी ट्रैफिक जितेन्द्र मेहरा का ट्रेफिक एक्शन प्लान हुआ सार्वजनिक,,
श्रावण कांवड़ मेला 2025: श्रद्धालुओं की भीड़, ट्रैफिक की चुनौती और पुलिस की तैयारी
श्रावण मास का आगमन और कांवड़ यात्रा की शुरुआत हरिद्वार में एक महायात्रा का रूप ले लेती है। इस बार 11 जुलाई 2025 से कांवड़ मेला शुरू हो रहा है और अनुमान है कि करीब दो करोड़ से अधिक श्रद्धालु इस यात्रा में हरिद्वार पहुंचेंगे। हरकी पैड़ी, सप्तऋषि, भीमगोडा, और अन्य गंगा घाटों पर आस्था की बाढ़ सी आ जाती है। लेकिन इस बाढ़ के साथ जो सबसे बड़ा खतरा मंडराता है, वह है—ट्रैफिक जाम।
हर साल जाम की भयावह तस्वीरें चर्चा में रहती हैं। हाईवे से लेकर शहर की गलियों तक घंटों रेंगती गाड़ियां, एंबुलेंस फंसी हुई, श्रद्धालु परेशान—ये दृश्य प्रशासन के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं होते। लेकिन इस बार हरिद्वार ट्रैफिक पुलिस ने बड़ी तैयारी की है। एसपी ट्रैफिक जितेन्द्र मेहरा की अगुवाई में ‘नो ट्रैफिक ब्लॉक’ मिशन को साकार करने की दिशा में हर स्तर पर योजना तैयार की गई है।
वनवे ट्रैफिक, सीलिंग पॉइंट और वैकल्पिक रूट—हरिद्वार में नए सिरे से यातायात का ब्लूप्रिंट
एसपी ट्रैफिक जितेन्द्र मेहरा ने विस्तार से बताया कि इस बार जाम से निपटने के लिए प्लान को चार स्तरों पर विभाजित किया गया है:
1. वनवे ट्रैफिक व्यवस्था
हरकी पैड़ी, भीमगोडा पुल, सप्तऋषि और खड़खड़ी के मुख्य घाटों पर ट्रैफिक को पूरी तरह से एकतरफा किया गया है। यह व्यवस्था श्रद्धालुओं की निरंतर आवाजाही और पैदल यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
2. भारी वाहनों पर प्रतिबंध
हरिद्वार शहर की सीमाओं पर ही भारी वाहनों का प्रवेश रोक दिया जाएगा। विशेषकर हाईवे 334, 58 और 74 पर कंटेनर, ट्रक, और अन्य व्यवसायिक वाहनों को अनुमति नहीं दी जाएगी। आवश्यक सेवा वाहनों के लिए अलग लेन आरक्षित की गई है।
3. वैकल्पिक रूट और डायवर्जन
जो वाहन हरिद्वार होकर उत्तराखंड के अन्य हिस्सों (जैसे ऋषिकेश, देहरादून) जाना चाहते हैं, उन्हें नजीबाबाद, लक्सर, बाईपास और बहादराबाद रूट के माध्यम से डायवर्ट किया जाएगा। इसके लिए एनएचएआई और पीडब्लूडी के साथ समन्वय बनाकर साइनबोर्ड और सूचना केंद्र लगाए गए हैं।
4. श्रद्धालुओं के लिए पैदल मार्ग
कांवड़ यात्रा की आत्मा है—पैदल चलना। इस परंपरा को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाए रखने के लिए हरिद्वार में दर्जनों सड़कें सिर्फ पैदल यात्रियों के लिए आरक्षित की गई हैं। हरकी पैड़ी की ओर आने वाले श्रद्धालु अब सीधे इन सुरक्षित रास्तों से पहुँच सकेंगे।
तकनीक के सहारे निगरानी: CCTV, ड्रोन और कंट्रोल रूम की कमान
इस बार पुलिस महकमा कोई चूक नहीं छोड़ना चाहता। संभावित जाम के हॉटस्पॉट्स की पहचान पहले ही कर ली गई है, जैसे—हरकी पैड़ी पुल, भीमगोडा चौक, देवपुरा चौक, कनखल-नजीबाबाद रोड, और सप्तऋषि बाईपास।
इन जगहों पर:
- CCTV कैमरे चौबीसों घंटे निगरानी करेंगे।
- ड्रोन कैमरे ऊपर से स्थिति पर नज़र रखेंगे।
- ट्रैफिक कंट्रोल रूम से रियल-टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी।
- Google Maps और अन्य ट्रैफिक ऐप से भी समन्वय कर वाहनों को जानकारी दी जाएगी।
एसपी ट्रैफिक ने कहा कि “कहीं भी जाम लगने की स्थिति बनती है तो तुरंत नजदीकी पुलिसकर्मी या वालंटियर मौके पर पहुंचकर स्थिति सामान्य करेंगे।”
मानव संसाधन की तैनाती: पुलिस, होमगार्ड और ट्रैफिक वॉलंटियर्स हर चौराहे पर
कांवड़ मेला महज एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि एक प्रशासनिक चुनौती भी होता है। इसे देखते हुए इस बार पुलिस विभाग ने निम्नलिखित व्यवस्थाएं की हैं:
- 500 से अधिक ट्रैफिक पुलिसकर्मी केवल ट्रैफिक नियंत्रण में लगाए गए हैं।
- 600 होमगार्ड जवानों को विभिन्न पॉइंट्स पर तैनात किया गया है।
- 200 ट्रैफिक वॉलंटियर्स को भी नियुक्त किया गया है, जो श्रद्धालुओं को दिशा-निर्देश देने के साथ-साथ आपात स्थिति में सहायता करेंगे।
- एनसीसी, स्काउट और स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाएं भी यातायात प्रबंधन में प्रशासन को सहयोग करेंगी।
हरिद्वार के भीतर 50 से अधिक ट्रैफिक पॉइंट चिन्हित किए गए हैं, जिन पर चौबीसों घंटे ट्रैफिक स्टाफ तैनात रहेगा।
एसपी ट्रैफिक ने कहा: ‘श्रद्धालु भी बनें सहयोगी’
जितेन्द्र मेहरा (एसपी ट्रैफिक, हरिद्वार) ने जनता से अपील की है:
“कांवड़ मेला सबकी आस्था और मर्यादा का पर्व है। हमारी कोशिश है कि श्रद्धालुओं को जाम जैसी परेशानियों से बचाया जाए। लेकिन इस मिशन में हमें आमजन का सहयोग भी चाहिए। कृपया ट्रैफिक निर्देशों का पालन करें, गलत दिशा में न चलें, वाहन सीमित स्थानों पर पार्क करें और अनुशासन में यात्रा करें। तभी हमारा प्रयास सफल होगा।”
मीडिया मॉनिटरिंग, जन-जागरूकता और कांवड़ियों से सीधा संवाद
इस बार पुलिस सिर्फ सड़कों पर नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहेगी। कांवड़ यात्रा के दौरान निम्नलिखित माध्यमों से श्रद्धालुओं को ट्रैफिक अपडेट मिलते रहेंगे:
- हरिद्वार पुलिस का ट्विटर हैंडल, फेसबुक पेज और इंस्टाग्राम से रियल टाइम अपडेट।
- ट्रैफिक डायवर्जन और जाम की सूचना के लिए FM रेडियो और मेला कंट्रोल रूम की घोषणाएं।
- प्रेस ब्रीफिंग और लोकल चैनलों पर अपडेट।
- कांवड़ियों को SMS वॉर्निंग और दिशा-निर्देश।
पार्किंग की नई व्यवस्था: शहर के बाहर बने हैं पार्किंग हब
हरिद्वार में पार्किंग की समस्या हमेशा से बड़ी रही है, लेकिन इस बार:
- बड़ा बाजार, ऋषिकुल, और मोतीचूर के बाहर विशेष पार्किंग हब बनाए गए हैं।
- प्रत्येक पार्किंग स्थल से हरकी पैड़ी तक मुफ्त शटल सेवा चलाई जाएगी।
- पार्किंग स्थल पर CCTV, पीने के पानी, शौचालय और मेडिकल की व्यवस्था भी होगी।
कांवड़ियों के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा भी बनी प्राथमिकता
ट्रैफिक के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है:
- हर प्रमुख पॉइंट पर 108 एंबुलेंस और मेडिकल टीम तैनात रहेंगी।
- ट्रैफिक ब्लॉक की स्थिति में एंबुलेंस को फास्ट लेन से निकाला जाएगा।
- हरिद्वार जिला अस्पताल, ऋषिकुल मेडिकल, और राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
जनता क्या कहती है? श्रद्धालुओं ने जताया भरोसा, लेकिन की ये मांगें
कुछ श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों से जब इस प्लान के बारे में बात की गई तो मिला ऐसा फीडबैक:
राजू शर्मा, कांवड़ यात्री (गाजियाबाद):
“हर साल जाम में घंटों फंसे रहते थे। अगर ये योजना सही से लागू हो जाए तो बड़ा राहत मिलेगी। बस जरूरी है कि हर जगह वॉलंटियर्स मदद करें।”
पुष्पा देवी, स्थानीय दुकानदार:
“पुलिस को दुकानदारों को भी साथ लेना चाहिए। जब भी ट्रैफिक रोका जाता है, दुकानदारी पर असर पड़ता है। लेकिन व्यवस्था जरूरी है।”
सफल कांवड़ मेला = ट्रैफिक नियंत्रण + सामूहिक अनुशासन
हरिद्वार प्रशासन इस बार कोई कसर नहीं छोड़ रहा। ट्रैफिक प्लान, तकनीकी निगरानी, जनभागीदारी और मीडिया समन्वय से एक कोशिश की जा रही है कि श्रद्धा के इस महाकुंभ में अव्यवस्था की कोई छाया न पड़े।
एसपी ट्रैफिक जितेन्द्र मेहरा की यह योजना अगर सटीक ढंग से क्रियान्वित होती है, तो यह आने वाले वर्षों के लिए भी एक मॉडल साबित हो सकती है। लेकिन यह तभी संभव है जब प्रशासन के साथ-साथ श्रद्धालु, दुकानदार, वाहन चालक और स्वयंसेवी संगठन एकसाथ मिलकर इस मिशन को सफल बनाने का संकल्प लें।
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