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मुख्यमंत्री के निर्देश पर हरिद्वार में लगा समाधान शिविर,, जनता दरबार में गूंजीं आमजन की समस्याएं, 47 मामलों पर तुरंत कार्रवाई के निर्देश,, भूमि, पेंशन और राजस्व विवादों को लेकर छाया रहा जनाक्रोश, प्रशासन ने दिया सख्त संदेश

इन्तजार रजा हरिद्वार-  मुख्यमंत्री के निर्देश पर हरिद्वार में लगा समाधान शिविर,,
जनता दरबार में गूंजीं आमजन की समस्याएं, 47 मामलों पर तुरंत कार्रवाई के निर्देश,,
भूमि, पेंशन और राजस्व विवादों को लेकर छाया रहा जनाक्रोश, प्रशासन ने दिया सख्त संदेश

हरिद्वार, 23 जून 2025 – संवाददाता: इन्तजार रजा

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के अनुपालन में हरिद्वार कलेक्ट्रेट भवन के सभागार में सोमवार को आयोजित जनता दरबार एक बार फिर आम नागरिकों के लिए राहत का संदेश लेकर आया। जनपद के विभिन्न हिस्सों से आए नागरिकों ने अपनी समस्याएं प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष रखीं। कुल 47 शिकायतें इस दरबार में दर्ज की गईं, जिनमें से अधिकतर मामले भूमि विवाद, पेंशन में अनियमितता, बिजली-पानी की आपूर्ति और राजस्व संबंधित विवादों से जुड़े थे।

इस अवसर पर जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की अनुपस्थिति में मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोंडे ने जनता की समस्याएं सुनीं और मौके पर ही कई मामलों में संबंधित अधिकारियों को समाधान की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने के निर्देश दिए।

भूमि विवाद और पेंशन अटकी योजनाओं पर छाया रहा मुख्य फोकस

जनता दरबार में प्रस्तुत शिकायतों में से बड़ी संख्या में ऐसे नागरिक पहुंचे जो वर्षों से जमीन के बंटवारे, खतौनी में नामांतरण, अवैध कब्जों और सीमांकन जैसे विवादों से जूझ रहे हैं। वृद्धजनों ने पेंशन की कटौती, आवेदन प्रक्रिया की जटिलता और सत्यापन में आ रही देरी की शिकायत की। कुछ शिकायतें बिजली-पानी की अनियमित आपूर्ति और नगर पालिका की उदासीनता से भी जुड़ी थीं।

मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोंडे ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “लंबित मामलों को निस्तारित करना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अधिकारी जिम्मेदारी से अपने कार्यों का निर्वहन करें।

मौके पर ही शुरू हुई कार्रवाई, कई मामलों का किया गया निस्तारण

दरबार में आई कुछ समस्याओं का तत्काल समाधान किया गया। जैसे कि कनखल क्षेत्र के एक वरिष्ठ नागरिक की वृद्धावस्था पेंशन कई महीनों से बंद थी, जिसका मामला समाज कल्याण विभाग के अधिकारी के समक्ष रखा गया और मौके पर ही दस्तावेज जांच कर उसे पुनः चालू करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसी तरह रुड़की के समीपवर्ती गांव में एक भूमि विवाद के प्रकरण में लेखपाल को तीन दिनों के भीतर सीमांकन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।

ज्वालापुर निवासी एक महिला ने अपने आवासीय क्षेत्र में गंदे पानी की निकासी न होने की शिकायत की, जिस पर नगर निगम के अधिकारियों को अगले 24 घंटे में निरीक्षण कर समाधान की प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया।

समस्याओं का डिजिटलीकरण और ट्रैकिंग पर भी दिया जा रहा है जोर

मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि सभी शिकायतों को एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल पर दर्ज किया जा रहा है, जहां से उनकी निगरानी की जा सकेगी। “हर एक शिकायत का फॉलोअप किया जाएगा। निस्तारण के बाद उसकी पुष्टि भी की जाएगी कि शिकायतकर्ता संतुष्ट है या नहीं।”

इसके लिए प्रशासन ने विभागीय अधिकारियों को तीन दिनों के भीतर एक प्रारंभिक रिपोर्ट और सात दिनों में अंतिम कार्यवाही रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

प्रशासन की दृढ़ता और जनता की उम्मीदें

जनता दरबार में आए लोगों ने भी प्रशासन के इस कदम की सराहना की। लक्सर से आए राधेश्याम कुमार ने कहा कि “हम कई बार दफ्तरों के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन यहां हमारी बात गंभीरता से सुनी गई। उम्मीद है अब कुछ बदलाव जरूर आएगा।”

जनता दरबार के आयोजन से साफ है कि सरकार ‘जनता के दरवाजे तक समाधान’ की नीति पर कार्य कर रही है। हरिद्वार जैसे बड़े और संवेदनशील जिले में इस तरह के प्रयास नागरिकों के विश्वास को मजबूत करते हैं।

चुनौतीपूर्ण लेकिन सराहनीय पहल

भले ही प्रशासनिक तौर पर एक ही दिन में दर्जनों शिकायतों का समाधान कर पाना कठिन कार्य है, लेकिन यह पहल शासन और प्रशासन की संवेदनशीलता और जवाबदेही को दर्शाती है। जिले में व्याप्त पुराने राजस्व और पेंशन विवादों के निस्तारण के लिए प्रशासन को अब क्षेत्रवार विशेष समाधान कैंप लगाने पर भी विचार करना चाहिए, ताकि हर वर्ग तक न्याय पहुंच सके।

मुख्य विकास अधिकारी ने कहा,

“हमारी प्राथमिकता है कि हर शिकायत का समाधान समयबद्ध रूप से हो। मौके पर ही कई समस्याओं के समाधान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। संबंधित अधिकारी पूरी संवेदनशीलता से काम कर रहे हैं।”

हरिद्वार में जनता दरबार का आयोजन सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं बल्कि जनता के विश्वास की पुनर्स्थापना का एक ठोस प्रयास है। यह दिखाता है कि शासन अब जनता के मुद्दों पर संवाद स्थापित करने को तत्पर है, और कार्रवाई को सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रखना चाहता। यदि इस व्यवस्था को निरंतरता और पारदर्शिता के साथ लागू किया गया तो यह पूरे उत्तराखंड के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है।


रिपोर्ट: इन्तजार रजा, हरिद्वार
प्लेटफॉर्म: Daily Live Uttarakhand
दिनांक: 23 जून 2025

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