सलेमपुर महदुद का नाम बदलने पर नया सियासी संग्राम, कौन है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जिसने की थी लोकमाता ‘अहिल्याबाई होल्कर’ के नाम पर सलेमपुर महदुद का नाम रखे जाने की मांग, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने गांव के गौरव और नारी सम्मान की दुहाई देकर सीएम धामी के सामने अपने संबोधन के दौरान रखी थी सलेमपुर महदुद का नाम बदलने की मांग,, सीएम धामी की तुरंत मंच से घोषणा के बाद अब गांव में उभरा आक्रोश,, अहिल्याबाई होल्कर नाम पर कांग्रेसी नेता की मांग, बीजेपी सीएम की तत्काल मंच से घोषणा, लेकिन अब गांव में विरोध की लहर,, सीएम धामी की मंचीय घोषणा से मचा सियासी भूचाल, अफसरशाही और जनता दोनों सन्न

इन्तजार रजा हरिद्वार- सलेमपुर महदुद का नाम बदलने पर नया सियासी संग्राम,
कौन है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जिसने की थी लोकमाता ‘अहिल्याबाई होल्कर’ के नाम पर सलेमपुर महदुद का नाम रखे जाने की मांग,
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने गांव के गौरव और नारी सम्मान की दुहाई देकर सीएम धामी के सामने अपने संबोधन के दौरान रखी थी सलेमपुर महदुद का नाम बदलने की मांग,,
सीएम धामी की तुरंत मंच से घोषणा के बाद अब गांव में उभरा आक्रोश,,
अहिल्याबाई होल्कर नाम पर कांग्रेसी नेता की मांग, बीजेपी सीएम की तत्काल मंच से घोषणा, लेकिन अब गांव में विरोध की लहर,,
सीएम धामी की मंचीय घोषणा से मचा सियासी भूचाल, अफसरशाही और जनता दोनों सन्न
हरिद्वार, 15 जून 2025।
सलेमपुर महदुद गांव का नाम बदलकर ‘अहिल्याबाई होल्कर नगर’ रखे जाने की मुख्यमंत्री द्वारा की गई मंचीय घोषणा अब विरोध और विवादों की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। हालांकि धनगर महासभा के मंच से यह राजनीतिक घोषणा ज़रूर हुई थी, लेकिन अब तक इसे लेकर न कोई आधिकारिक आदेश जारी किया गया है, न ही नाम परिवर्तन की कोई प्रशासनिक प्रक्रिया शुरू हुई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तेलूराम की अपील पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंच से की थी घोषणा
धनगर महासभा सम्मेलन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तेलूराम धनगर ने मुख्यमंत्री धामी के समक्ष सलेमपुर महदुद का नाम ‘अहिल्याबाई होल्कर नगर’ रखने की भावनात्मक अपील की थी।
हरिद्वार, 15 जून 2025।
सलेमपुर महदुद गांव का नाम बदलने की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा की गई घोषणा अब विवाद और टकराव का कारण बन गई है। ‘अहिल्याबाई होल्कर नगर’ नामकरण की यह घोषणा धनगर महासभा सम्मेलन के मंच से हुई थी, लेकिन अब यह न केवल प्रशासनिक उलझन में फंसी है, बल्कि गांव के भीतर सामाजिक विभाजन और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप को भी जन्म दे चुकी है।
कांग्रेसी नेता तेलूराम की भावनात्मक अपील पर हुई घोषणा
धनगर महासभा के सम्मेलन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तेलूराम धनगर ने मुख्यमंत्री के समक्ष एक भावनात्मक मांग रखी — कि सलेमपुर महदुद गांव का नाम बदलकर ‘अहिल्याबाई होल्कर नगर’ किया जाए। उन्होंने इसे धनगर समाज के गौरव और नारी सम्मान से जोड़ते हुए जनभावना का विषय बताया।
मुख्यमंत्री धामी ने तत्काल मंच से सकारात्मक रुख दिखाते हुए कहा –
“राज्य सरकार इस मांग पर गंभीरता से विचार करेगी और प्रस्ताव आने पर नाम बदलने की दिशा में निर्णय लिया जाएगा।”
लेकिन घोषणा के बाद गांव में स्थिति कुछ और ही रंग लेने लगी।
गांव में उभरा अप्रत्याशित विरोध
सीएम की इस घोषणा को लेकर गांव में तीव्र विरोध की लहर दौड़ गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह निर्णय एकतरफा, बिना जनसंवाद और ग्रामसभा की राय के लिया गया।
कई ग्रामीणों ने इसे राजनीतिक तुष्टिकरण करार दिया और कहा कि गांव की ऐतिहासिक पहचान से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।
मुस्लिम, ठाकुर और ओबीसी समुदाय के लोगों ने भी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि
“यह फैसला समाज के एक वर्ग को खुश करने के लिए किया गया, लेकिन बाकी वर्गों की भावनाओं को रौंद दिया गया।”
कांग्रेसी नेता की मांग, भाजपा की घोषणा – उलझा मामला
मज़ेदार बात यह है कि मांग कांग्रेस नेता की थी, लेकिन घोषणा भाजपा सरकार ने कर दी। अब कांग्रेस इसे अपनी ‘जनभावनाओं की जीत’ बता रही है, जबकि भाजपा के कुछ स्थानीय नेताओं को यह फैसला राजनीतिक आत्मघाती कदम लग रहा है।
कुछ कांग्रेसी नेता और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने यह कह कर असहमति जताई –
“ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर पहले जनमत लिया जाना ज़रूरी था, वरना यह फैसला पार्टी के वोटबैंक को नुकसान पहुँचा सकता है।”
प्रशासन और अफसरशाही मौन – कोई फाइल, कोई आदेश नहीं
नाम बदलने की सरकारी प्रक्रिया एक तयशुदा ढांचे के तहत चलती है – जिसमें ग्राम सभा की मंजूरी, राजस्व विभाग की रिपोर्ट, राज्य मंत्रिमंडल की स्वीकृति, और अंत में गृह मंत्रालय की मंजूरी शामिल होती है।
लेकिन हरिद्वार प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि
“अब तक न तो कोई प्रस्ताव आया है, न शासन स्तर से कोई निर्देश मिला है। नाम परिवर्तन की कोई फाइल चालू नहीं हुई है।”
इसका मतलब साफ है — मुख्यमंत्री की घोषणा अभी सिर्फ मंचीय बयान है, न कि विधिवत सरकारी निर्णय।
धनगर समाज में उत्साह, लेकिन बाकी समाजों में असंतोष
धनगर महासभा के लोगों में खुशी की लहर है। महासभा के एक स्थानीय निवासी ने कहा –
“हम आभारी हैं कि मुख्यमंत्री ने हमारी वर्षों पुरानी मांग को गंभीरता से सुना। अब जल्द अधिसूचना का इंतजार है।”
लेकिन अन्य समुदायों ने इस पर गहरी नाराजगी जताई है। गांव के कई लोगों ने पंचायत में विरोध दर्ज कराया है और जनसुनवाई की मांग रखी है। गांव की एक महिला नेता ने कहा –
“सिर्फ एक वर्ग के नाम पर गांव का नाम बदलना बाकी समाज के साथ अन्याय है।”
राजनीतिक चाल या वास्तविक बदलाव?
यह पूरा मामला कहीं न कहीं यह सवाल खड़ा करता है कि क्या यह कदम वास्तव में समाज के उत्थान के लिए उठाया गया है या यह सिर्फ चुनावी राजनीति का हिस्सा है?
गांव के युवा कहते हैं –
“सड़क, पानी, बिजली नहीं सुधरी, लेकिन नाम बदलने की होड़ शुरू हो गई। क्या इससे गांव की हालत बदलेगी?”

नाम बदलने का यह खेल अब गांव में फूट का कारण
सलेमपुर महदुद का नाम बदलने की घोषणा अब सियासी बवाल बन चुकी है। जब तक प्रक्रिया की कानूनी औपचारिकताएं पूरी नहीं होतीं, तब तक यह केवल एक मंचीय वादा बना रहेगा।
अगर सरकार वास्तव में इस पर गंभीर है, तो उसे प्रशासनिक प्रक्रिया, जनसुनवाई, और समाज के सभी वर्गों को विश्वास में लेने की पहल करनी होगी।
वरना यह फैसला न सिर्फ गांव में विभाजन बढ़ाएगा, बल्कि भाजपा के लिए राजनीतिक जोखिम भी बन सकता है।
फिलहाल, नाम नहीं बदला है, लेकिन सियासत ज़रूर बदल गई है।