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सशक्त महिलाएं, समृद्ध गाँव रुड़की में स्थापित हो रही “सिंघाड़ा कुकीज” बेकरी यूनिट, मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोंडे ने किया स्थल निरीक्षण, 12 जून तक कार्य पूर्ण करने के निर्देश

इन्तजार रजा हरिद्वार- सशक्त महिलाएं, समृद्ध गाँव
रुड़की में स्थापित हो रही “सिंघाड़ा कुकीज” बेकरी यूनिट,
मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोंडे ने किया स्थल निरीक्षण, 12 जून तक कार्य पूर्ण करने के निर्देश


हरिद्वार, 09 जून 2025 | विशेष रिपोर्ट — Daily Live Uttarakhand

रुड़की ब्लॉक के ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को पंख लगाने और महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ाने के लिए ज़िला प्रशासन ने एक अभिनव कदम उठाया है। ग्रामीण महिलाओं के नेतृत्व में “सिंघाड़ा कुकीज” नामक बेकरी यूनिट की स्थापना की जा रही है, जिसमें सिंघाड़े के आटे से ब्रेड, बिस्कुट और कुकीज जैसे उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इस परियोजना के पीछे उद्देश्य है – स्थानीय उत्पादों को बाज़ार में पहचान दिलाना और ग्रामीण महिलाओं को रोज़गार के अवसर देना।

इस पहल का नेतृत्व मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) श्रीमती आकांक्षा कोंडे कर रही हैं, जिन्होंने आज दिनांक 09 जून 2025 को रुड़की विकासखंड में इस प्रस्तावित बेकरी यूनिट का भौतिक निरीक्षण किया।

ग्रामीण महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता का मार्ग

बेकरी यूनिट की स्थापना “आस्था सीएलएफ” यानी क्लस्टर लेवल फेडरेशन के अंतर्गत की जा रही है, जो ग्रामीण स्वयं सहायता समूहों का एक साझा मंच है। इस पहल से सीधे तौर पर जुड़ी महिलाएं न केवल अपने क्षेत्र में रोज़गार पाएंगी, बल्कि उन्हें उत्पाद निर्माण, गुणवत्ता नियंत्रण और विपणन की आधुनिक विधियों का प्रशिक्षण भी मिलेगा।

मुख्य विकास अधिकारी ने यूनिट का निरीक्षण करते हुए कहा —

“यह केवल एक बेकरी यूनिट नहीं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के लिए सशक्तिकरण की प्रयोगशाला है। यदि हम सही दिशा और तकनीकी मार्गदर्शन दें, तो ये महिलाएं आने वाले समय में आत्मनिर्भरता की मिसाल बनेंगी।”

IHM देहरादून से तकनीकी प्रशिक्षण

इस यूनिट को सफलतापूर्वक संचालन योग्य बनाने के लिए आस्था सीएलएफ से जुड़ी महिलाओं को इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (आईएचएम), देहरादून के विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को बेकिंग की आधुनिक तकनीकें, उत्पाद की स्वच्छता, पोषण संतुलन, पैकेजिंग और बाज़ार में प्रस्तुतीकरण की विधियां सिखाई जा रही हैं।

ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के जिला परियोजना प्रबंधक श्री संजय सक्सेना ने बताया कि—

“अब तक प्रशिक्षण कार्यक्रम का 70% कार्य पूरा हो चुका है। महिलाओं में सीखने की अभूतपूर्व ललक दिखाई दे रही है, जो इस पहल की सफलता की गारंटी है।”

बिजली-पानी और निर्माण कार्यों की समीक्षा

निरीक्षण के दौरान सीडीओ आकांक्षा कोंडे ने यूनिट में चल रहे निर्माण कार्यों का गहन अवलोकन किया और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने सहायक खंड विकास अधिकारी श्री कमलेश कांडपाल को निर्देश दिया कि सभी आवश्यक कार्य 12 जून 2025 तक हर हाल में पूरे कर लिए जाएं।

सीडीओ ने दो टूक कहा—

“यह प्रोजेक्ट केवल कागज़ पर नहीं रहना चाहिए। अगर तय समयसीमा के भीतर उत्पादन नहीं शुरू हुआ तो संबंधित अधिकारी जवाबदेह होंगे। किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

स्थानीय स्तर पर ब्रांडिंग और मार्केटिंग की योजना

बेकरी यूनिट में बनने वाले उत्पादों की गुणवत्ता को देखते हुए ज़िला प्रशासन इनकी ब्रांडिंग और विपणन को लेकर भी सक्रिय है। स्थानीय मंडियों, स्कूलों, होटलों और कैटरिंग संस्थाओं के साथ संपर्क स्थापित कर इन उत्पादों को व्यवसायिक रूप देने की योजना बनाई जा रही है। भविष्य में “सिंघाड़ा कुकीज” एक स्थानीय ब्रांड के रूप में विकसित किया जाएगा जो न केवल स्वाद में उत्कृष्ट होगी, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी।

स्थानीय रोजगार का नया केंद्र

इस यूनिट की स्थापना से पहले चरण में लगभग 30 महिलाओं को प्रत्यक्ष रूप से रोज़गार मिलेगा, जबकि अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़ी कई अन्य गतिविधियाँ — जैसे कच्चे माल की आपूर्ति, पैकेजिंग, परिवहन — भी नई संभावनाएं पैदा करेंगी। ग्रामीण युवतियों और महिलाओं के लिए यह एक मॉडल बन सकता है कि कैसे स्वावलंबन की ओर कदम बढ़ाया जाए।

स्थानीय नेताओं और अधिकारियों की उपस्थिति

निरीक्षण के समय विकासखंड और ज़िला स्तरीय समस्त अधिकारी उपस्थित रहे। सभी ने बेकरी यूनिट की तैयारियों का जायज़ा लिया और समयबद्ध तरीके से कार्य पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई।

सहायक खंड विकास अधिकारी श्री कमलेश कांडपाल ने कहा—

“हम पूरी गंभीरता से काम कर रहे हैं। 12 जून से पहले निर्माण, संयंत्र स्थापना और उत्पादन प्रारंभ करने की पूरी तैयारी है। महिलाएं भी पूरे उत्साह के साथ जुड़े हुए हैं।”

एक दृष्टिकोण – ग्रामीण अर्थव्यवस्था की पुनर्रचना

“सिंघाड़ा कुकीज” जैसे प्रयोग उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, जहां कृषि आधारित अर्थव्यवस्था और महिलाओं की भागीदारी को मज़बूत करने की ज़रूरत है। इस पहल से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अब शासन स्तर पर जमीनी सशक्तिकरण की योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।

यह बेकरी यूनिट एक आदर्श के रूप में उभर सकती है जो अन्य जिलों में भी दोहराई जा सकेगी। साथ ही यह परियोजना सरकार की “आत्मनिर्भर भारत” और “वोकल फॉर लोकल” जैसी योजनाओं को भी ज़मीन पर उतारने में अहम भूमिका निभा सकती है।

रुड़की में स्थापित हो रही “सिंघाड़ा कुकीज” बेकरी यूनिट केवल एक उत्पादन केंद्र नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण परिवर्तन की लहर है जो महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और मानसिक रूप से सशक्त बना रही है। मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोंडे की सक्रिय निगरानी और ज़िला प्रशासन की सहभागिता से यह पहल आने वाले वर्षों में एक आदर्श मॉडल बनकर उभरे, यही अपेक्षा की जा रही है।

— विशेष संवाददाता, Daily Live Uttarakhand, हरिद्वार

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