उत्तराखंड में लेखपालों का फूटा आक्रोश, 27 से 29 मई तक प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार का ऐलान, ‘संसाधनों के बिना काम नहीं, अब आर-पार की लड़ाई’ लेखपालों का ऐलान – सम्मान चाहिए, सिर्फ आदेश नहीं, हरिद्वार से शुरू विरोध, तीन दिन का कार्य बहिष्कार तय

इन्तजार रजा हरिद्वार- उत्तराखंड में लेखपालों का फूटा आक्रोश,
27 से 29 मई तक प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार का ऐलान,
‘संसाधनों के बिना काम नहीं, अब आर-पार की लड़ाई’
लेखपालों का ऐलान – सम्मान चाहिए, सिर्फ आदेश नहीं,
हरिद्वार से शुरू विरोध, तीन दिन का कार्य बहिष्कार तय
हरिद्वार। प्रदेश भर के लेखपालों में लंबे समय से चले आ रहे संसाधन अभाव को लेकर आक्रोश इस कदर बढ़ गया है कि अब उन्होंने आर-पार की लड़ाई का एलान कर दिया है। उत्तराखंड लेखपाल संघ ने 27 मई से 29 मई तक प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार और धरना देने की घोषणा की है। यदि सरकार और राजस्व परिषद ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया, तो लेखपाल संघ आगे की रणनीति 29 मई को तय करेगा।
हरिद्वार सहित पूरे मैदानी जिलों में लेखपालों का कार्यभार दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। भूमि की खरीद-फरोख्त अधिक होने के कारण खतौनी खातों की जटिलता भी बढ़ गई है। इसके बावजूद लेखपाल सीमित संसाधनों में ही अंश निर्धारण, सीमांकन, किसान रजिस्ट्री और रिपोर्टिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
उत्तराखंड लेखपाल संघ के प्रदेश महामंत्री ताराचंद्र घिल्डियाल ने कहा कि राजस्व उपनिरीक्षकों पर तहसील प्रशासन द्वारा अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है। एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार बिना संसाधन दिए लेखपालों से अतिरिक्त काम लेने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे कार्य की गुणवत्ता और समयबद्धता दोनों प्रभावित हो रही हैं।
लेखपाल संघ की मांग है कि उन्हें जल्द से जल्द पर्याप्त संसाधन, तकनीकी उपकरण, कार्यालय सहायता और फील्ड वर्क के लिए यात्रा भत्ता उपलब्ध कराया जाए। साथ ही मैदानी जिलों में कार्यरत लेखपालों की संख्या भी बढ़ाई जाए ताकि दबाव कम किया जा सके।
हरिद्वार में तैनात कई लेखपालों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें फील्ड वर्क के लिए वाहन तक उपलब्ध नहीं है और निजी खर्च पर ही गांव-गांव का दौरा करना पड़ता है। कंप्यूटर, प्रिंटर और इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दी गई हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या शासन इस चेतावनी को गंभीरता से लेगा?
यदि नहीं, तो इसका असर न केवल राजस्व कार्यों पर पड़ेगा बल्कि किसान, आमजन और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी सीधा प्रभाव दिखेगा। लेखपाल संघ ने यह भी साफ कर दिया है कि यदि 29 मई तक मांगें नहीं मानी गईं तो अनिश्चितकालीन हड़ताल भी हो सकती है।
सरकार के लिए अब यह सिर्फ एक संघ का आंदोलन नहीं, बल्कि पूरे राजस्व ढांचे की साख का सवाल बन चुका है।