✨ देवसंस्कृति विवि में विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत संगम,, 🌐 एआई: विश्वास और भविष्य पर ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय महासम्मेलन,, 🗣️ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और नोबेल विजेताओं ने साझा किए विचार

इन्तजार रजा हरिद्वार ✨ देवसंस्कृति विवि में विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत संगम,,
🌐 एआई: विश्वास और भविष्य पर ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय महासम्मेलन,,
🗣️ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और नोबेल विजेताओं ने साझा किए विचार
हरिद्वार, 16 सितंबर 2025।
देवभूमि उत्तराखंड स्थित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय (देसंविवि) उस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना, जब देश-विदेश के कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence – AI) के विशेषज्ञ, दो नोबेल पुरस्कार विजेता, संयुक्त राष्ट्र आयोग के प्रतिनिधि और बीस देशों के गणमान्य अतिथि एक मंच पर एकत्र हुए। “एआई: विश्वास एवं भविष्य” विषय पर आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय महासम्मेलन ने विज्ञान और अध्यात्म के अनूठे संगम को उजागर किया।
महासम्मेलन का शुभारम्भ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या और अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय प्रांगण में वैश्विक स्तर पर एआई के बढ़ते प्रभाव और उसके सामाजिक-आध्यात्मिक पहलुओं पर गहन मंथन हुआ।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने संबोधन में कहा कि आधुनिक युग में एआई की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो गई है। आज शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, यातायात समेत अनेक क्षेत्रों में एआई का उपयोग हो रहा है। उन्होंने आह्वान किया कि एआई को आध्यात्मिक मूल्यों और मानवीय संवेदनाओं के साथ जोड़ा जाए ताकि यह भारत की ज्ञान-परंपरा और संस्कृति को पूरी दुनिया तक पहुंचाने में सार्थक भूमिका निभा सके। बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि देवसंस्कृति विश्वविद्यालय तकनीकी नवाचार और आध्यात्मिक दृष्टि के समन्वय से भावी पीढ़ी को सुदृढ़ करेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में एआई जैसे समसामयिक और महत्वपूर्ण विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होना गौरव की बात है। उन्होंने बताया कि भारतीय सनातन संस्कृति केवल आस्था और विश्वास पर आधारित नहीं बल्कि गहरे वैज्ञानिक चिंतन और शोध का परिणाम है। महर्षि पतंजलि के योगशास्त्र से लेकर आर्यभट्ट के खगोल सिद्धांतों तक हमारे वैज्ञानिक योगदानों ने दुनिया को दिशा दी है। धामी ने कहा कि आज एआई केवल तकनीकी नवाचार नहीं बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व और नैतिक जिम्मेदारी भी है। यदि इसकी शक्ति का सही दिशा और उद्देश्य के साथ उपयोग हो तो यह करोड़ों लोगों के जीवन में सुधार ला सकती है।
देसंविवि के प्रतिकुलपति और संयुक्त राष्ट्र आस्था एवं एआई आयोग के एशिया क्षेत्र के कमिश्नर डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि हमें एआई को ‘भस्मासुर’ बनने से बचाना होगा। उन्होंने युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के चिंतन को समाधान बताते हुए कहा कि वर्तमान में एआई शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है, लेकिन साथ ही नैतिकता, गोपनीयता, डेटा सुरक्षा और रोजगार पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं।
इस अवसर पर स्विट्जरलैंड के इंटर पार्लियामेंट्री यूनियन के सचिव-जनरल मार्टिन चुंगोंग ने वीडियो संदेश के माध्यम से एआई की वैश्विक भूमिका पर प्रकाश डाला।
भारत सरकार के एआई मिशन के सीईओ डॉ. अभिषेक सिंह, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ रॉबर्ट ट्रैगर, विलियम जोन्स, स्टुअर्ट रसेल, जान टैलिन, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सचिन चतुर्वेदी समेत अनेक वक्ताओं ने भी अपने विचार साझा किए।
अतिथियों को डॉ. चिन्मय पंड्या ने गायत्री महामंत्र चादर और देसंविवि का प्रतीक चिह्न भेंटकर सम्मानित किया।
समारोह में प्रदेश उपाध्यक्ष स्वामी यतीश्वरानंद, जिला पंचायत अध्यक्ष किरण चौधरी, विधायक मदन कौशिक, राज्यमंत्री डॉ. जयपाल सिंह चौहान, ओम प्रकाश जमदग्नि, सुनील सैनी, जिलाध्यक्ष आशुतोष शर्मा, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोभाल, उपाध्यक्ष एचआरडीए अंशुल सिंह, मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोण्डे, अपर जिलाधिकारी पीआर चौहान, उप जिलाधिकारी जितेंद्र कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान, एसपी सिटी पंकज गैरोला, एचआरडीए सचिव मनीष सिंह सहित देवसंस्कृति विवि के छात्र-छात्राएं और आमजन उपस्थित रहे।
इस प्रकार देवसंस्कृति विश्वविद्यालय का यह ऐतिहासिक सम्मेलन न केवल एआई के वैज्ञानिक, सामाजिक और नैतिक पक्ष को उजागर करने वाला बना, बल्कि विज्ञान और अध्यात्म के बीच सामंजस्य की भारतीय परंपरा को भी वैश्विक मंच पर स्थापित करने वाला रहा।